बेरिल कुक की मुटल्ली स्त्रियों का संसार!
ब्रिटिश आर्टिस्ट बेरिल कुक की पेंटिंग्स की दुनिया बेहद खास है. बेरिल ने जिन्दगी भर सिर्फ मुटल्ली स्त्रियों के चित्र बनाए.
जीवन के हर वर्जित और अकल्पनीय का सुख भोगती हुईं, हर समय खुश रहने वालीं, मजे लूटती हुईं इन बेडौल औरतों की पेन्टिंग्स ने बीसवीं सदी के उत्तरार्ध में आर्ट और उसके समाजविज्ञान के हर स्थापित फार्मूले को ललकारा.
बेरिल की पेंटिग्स में पब लाइफ दिखती थी, जिनमें उन्मुक्त और आजाद औरतों का संसार नजर आता है.
अपने जीवनकाल में बेरिल इंग्लैण्ड की सबसे लोकप्रिय पेन्टर बन चुकी थीं.
बड़ी गैलरियों और संग्रहालयों ने बेरिल के चित्रों को अपने यहां टांगने से परहेज किया, कला-समीक्षकों ने उन्हें ज़रा भी तवज्जो न दी, लेकिन दुनिया भर में उनके चाहने वालों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया.
बेरिल की पेटिंग्स में मौजूद औरतें रेस्तराओं में जाना पसंद करती हैं, टेनिस खेलती हैं, जुआघरों में शराब पीती हैं, स्ट्रिप डांसर्स हैं, पोकर खेलती हैं, बेझिझक नाचती हैं, शराब पीती हैं और कभी-कभी मर्जी होने पर अपने मुटल्ले पति-प्रेमियों को चूम भी लेती हैं.
उनकी पेन्टिंग्स में आने वाले पुरुष बस उतने ही जरूरी हैं, जितना किसी नाइट क्लब में ताश की एक गड्डी हो सकती है.
जीवन का उत्सव मनातीं बेरिल कुक की ये औरतें स्वतंत्र हैं स्वच्छन्द नहीं. वे उस उद्दाम खुशी का इजहार हैं जो उन्हें कभी नहीं मिली.
आप चाहें तो उनके चरित्र को लेकर कुछ भी कह सकते हैं. उनका जवाब होगा , 'भाड़ में जाओ'