यायावरी
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Keshav Bhatt

सूखे गोश्त की मालाएं और हिमालय…

सूखे गोश्त की मालाएं और हिमालय के व्यापारियों के उजड़े हुए खंडहर गांव की कहानी!

(भाग - 4) मौसम को करवट बदलते देख हम सही वक्त पर नंदा देवी के मंदिर से अपने रात के ठिकाने पर वापस लौट आए थे। 'शाम के…

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Keshav Bhatt

जंगली मुर्गियों की तलाश में गोरी…

जंगली मुर्गियों की तलाश में गोरी नदी में बहे कोरंगा और मार्तोली की वीरान कथाएं!

रुक-रुक कर मुनस्यारी में उस रोज देर रात तक बारिश होती रही। आंख खुली तो भुरभुरी ठंड महसूस होने लगी थी। पहाड़ नहाधोकर चमक…

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Gaurav Naudiyal

उस शाम आसमान पर एक भी धब्बा नहीं…

उस शाम आसमान पर एक भी धब्बा नहीं था, वो सबसे हसीन रात थी!

(भाग-7)  उस रात हमारा पड़ाव सीमा, असीम शांति से भरा हुआ था। सुपिन के किनारे इस छोटी सी बसावट में दो बड़े भवन सरकारी…

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Keshav Bhatt

हमारी देह नोचने के इंतजार में…

हमारी देह नोचने के इंतजार में डैने फैलाए गोते लगा रही थी चील, बुग्याल फूंककर शिकारियों ने छोड़े थे तबाही के निशान

(भाग-3) अभी हमें लंबा रास्ता तय करना था। वीरान पहाड़ों पर कहीं दूर तक भी जिंदगी नजर नहीं आ रही थी। हम तीनों चुपचाप अपनी…

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Gaurav Naudiyal

इधर ड्राइवर खाई के ऊपर कच्ची सड़क…

इधर ड्राइवर खाई के ऊपर कच्ची सड़क पर शूमाकर बना हुआ था, उधर जगमोहन को एवलांच निगल गया!

(भाग-5) मोरी घाटी से सांकरी की ओर बढ़ते हुये नदी अब काफी पीछे छूट चुकी थी और एक नई दुनिया का द्वार खुल रहा था। पहाड़ों का…

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Keshav Bhatt

मैं उन रास्तों में निकलने के लिये…

मैं उन रास्तों में निकलने के लिये तैयार था, जहां मेरे पूर्वजों के पदचाप की गूंज बाकी है..!

(भाग -1) जब सड़कें नहीं थी, विकास के नाम का ताना-बना नहीं बुना गया था... यात्राएं व दूरियां दोनों पैदल नापी जाती थी। इन यात्राओं…

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