गंगोत्री से गोमुख
साल 2018 में हिमालयी क्षेत्र के बड़े ग्लेशियरों में से एक गोमुख की यात्रा करके लौटा हूं। ग्लेशियरों के हालात बड़े ही विकट हैं। पहले ही कई किलोमीटर पीछे खिसक चुके गोमुख ग्लेशियर के आसपास लगातार भूस्खलन हो रहा है। (फोटो फीचर : प्रशांत बडोनी)
इसी भूस्खलन के चलते एक साल के भीतर ही गोमुख में ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूटने के कारण दूसरा मुहाना बन चुका है। वहीं मुख्य मुहाने और दूसरे मुहाने के बीच तीसरा मुहाना बनने की कगार पर है। (भोजबासा से दिखती भागीरथी समूह के विशाल शिखर)
कई जगह ग्लेशियर में दरारें पड़ चुकी है। जिनसे बड़े-बड़े हिस्से टूट कर गिरते रहते हैं। (गंगोत्री ग्लेशियर- दाईं तरफ भागीरथी( गंगा) का प्रमुख उद्गम और बीच में और बाईं तरफ टूटता ग्लेशियर। पीछे शिवलिंग पर्वत।)
सालभर के भीतर ही गोमुख ग्लेशियर में दूसरा मुहाना बनना इस बात का एक बड़ा सबूत है कि हिमालयी क्षेत्र में ग्लोबल वार्मिंग का असर तेजी से हो रहा है।(गंगोत्री नेशनल पार्क में पहाड़ों के बीच से निकलती भागीरथी)
भोजबासा से दिखाई देता शिवलिंग ( दाएं) और भागीरथी समूह ( बाएं)
गंगोत्री धाम
भोजबासा से गंगोत्री गिलेशियर की ओर जाता ट्रेकर।