अभिनव सब्यसाची थिएटर की दुनिया से वास्ता रखते हैं और फिल्मों को लेकर उनकी अपनी दुनिया है। वो एक एजुकेटर भी हैं।
इस साल मैंने टीवी, OTT पर और सिनेमा हॉल में नई-पुरानी मिलाकर 115 के आसपास फिल्में देखीं। हां, इस साल में मैंने महीनावार हिसाब भी रखा। ऐसा मैं कई सालों से करना चाहता था। आख़िरकार इस साल सफल हुआ।
सच कहूं तो इस साल मुझे बहुत कम फिल्में बेमिसाल लगीं। ये मेरी व्यक्तिगत पसंद का मसला है। मेरे हिसाब से (और जितनी मैं देख सका उनमें) सबसे ऊपर मैं इन फिल्मों को रख रहा हूं..
राम प्रसाद की तेरहवीं (हिंदी)
फ़िल्म का Premise Tracy Letts के नाटक 'August: Osage County' या रितुपर्णा घोष की बांग्ला फिल्म उत्सव जैसी है जिनमें किसी एक कारणवश एक परिवार के सभी सदस्य एक साथ आते हैं और उनके आपसी रिश्तों के कई रंग देखने को मिलते हैं। राम प्रसाद की तेरहवीं की कहानी पुरानी सी होते हुए भी सधे निर्देशन और कलाकारों के बेहतरीन अभिनय के कारण फ्रेश लगती है।
जिंदगी इन शॉर्ट्स (हिंदी)
इस साल कई एंथोलॉजी (Anthology) फिल्में आईं। ज़्यादातर में सिर्फ़ एक या बहुत हुआ तो दो शॉर्ट फिल्में ही देखने लायक रहीं। लेकिन जिंदगी इन शॉर्ट्स एक ऐसी एंथोलॉजी थी, जिसकी सभी फिल्में मुझे अच्छी लगीं। 'छज्जू के दही भल्ले हो' या 'स्वाहा' या फिर 'पिन्नी', सभी अच्छी कहानियां थीं।
Judas and the Black Messiah (English)
अमरीका के Black Panther's Party के खिलाफ़ एफबीआई ने कई कातिलाना साजिशें रची। उन्ही में से एक की कहानी यह फ़िल्म कहती है। फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक ब्लैक लड़का एफबीआई के कहने पर पार्टी का ख़ास बनता है और अपने ब्लैक कम्युनिटी के ही खिलाफ़ साज़िश का हिस्सा बन जाता है, फ़िल्म उसके धोखे और गिल्ट की कहानी कहती है।
The Great Indian Kitchen (मलयालम)
आम भारतीय परिवारों में पितृसत्तात्मक विचार (Patriarchy) को एक्सपोज करती यह फिल्म भारतीय सिनेमा (Indian Cinema) में मील का पत्थर है।
The Disciple (मराठी)
शास्त्रीय संगीत को केंद्र में रखकर इस फिल्म में साधना और हुनर के जोड़ और विरोधाभास को एक साथ दिखाने की कोशिश की है। इस फ़िल्म को देखना एक अनुभव है।
West Side Story
स्टीवन स्पीलबर्ग Steven Spielberg की यह रीमेक बहुत बहुत ख़ास है। 1957 की Broadway Musical 'West Side Story' पर जब 1961 में जो फ़िल्म बनी तो वह आज तक हॉलीवुड की क्लासिक फ़िल्मो की हर लिस्ट में अपनी जगह बनाती रही है। फिर स्पीलबर्ग ने ऐसी क्लासिक फ़िल्म की रीमेक क्यों बनाई? यह एक बेहद ज़रूरी रीमेक है।
इस फिल्म में पिछली फ़िल्म की तरह व्हाइट रेस के कलाकारों ने अपने चेहरे रंग कर पुर्तगाली और मेक्सिकन किरदार नहीं निभाए हैं, बल्कि जो किरदार जिस रेस के हैं, उसी रेस के कलाकारों द्वारा निभाए गए हैं। फ़िल्म में लगभग 30% स्पेनिश में है और बिना subtitles के फिल्म आगे बढ़ती है, क्योंकि फ़िल्म के निर्माता और निर्देशक का मानना है कि अमरीका बहुभाषी देश है। अन्य भाषी नागरिकों पर इंग्लिश थोपना एक तरह की भाषाई supremacy है। यह रीमेक broadway production के ज़्यादा क़रीब है।
कुल मिला कर स्पीलबर्ग ने एक तरह का कोर्स करेक्शन किया है, जिसे रीमेक फिल्मों की दुनिया में हमेशा याद रखा जाएगा।
The Green Knight
एक मिथकीय कहानी सिनेमाई भाषा में कैसे नए तरीके से कही जा सकती है, उसका अच्छा उदाहरण है यह फ़िल्म। 'Lord of the Rings' से लेकर 'Game of Thrones' तक आते-आते लगने लगा था कि मिथकीय कहानियों को सिनेमा के जरिए कहने के सारे नए अंदाज इस्तेमाल हो चुके हैं, लेकिन 'The Green Knight' पिछली फिल्मों के अंदाज से आगे जा कर कहानी कहती है।
Tick Tick... Boom!
एक थिएटर डायरेक्टर की जिंदगी पर बनी ये फिल्म मेरे लिए अतिरिक्त जुड़ाव सरीखी है। Andrew Garfield ने सायलेंस (Silence) के बाद दोबारा सिद्ध किया है कि वो अपने जेनरेशन के सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक हैं।
इन बेहतरीन फिल्मों के आलावा इस साल मुझे 'शेरनी' (हिंदी), 'मलिक' (मलयालम), 'Sarpatta Parambarai' (तमिल), 'Kuruthi' (मलयालम), 'सरदार उधम' (हिंदी), 'Jai Bhim' (तमिल), 'Joji' (मलयालम) और 'House of Gucci' (English) भी बहुत अच्छी लगी। ख़ालिस मनोरंजन की नज़र से देखे तो 'The Suicide Squad', 'A Simple Favour', 'I Care A Lot' और 'Spiderman: No Way Home' अच्छी फिल्में थीं।
कुछ पुरानी फिल्में दोबारा देखी जैसे 'मकबूल', 'चोखेर बाली', 'Rosemary's Baby', 'Erin Brockovich', इत्यादि। लेकिन कुछ ऐसी फिल्में भी थीं जो थी तो पिछले कुछ सालों की लेकिन मैंने देखी पहली बार। ऐसी फिल्मों में सबसे ऊपर 'The Lady in the Van' है। मैगी स्मिथ (Maggie Smith) क्यों एक महान एक्टर है इस फ़िल्म को देखकर पता किया जा सकता है। फ़िल्म का स्क्रीनप्ले शानदार है।
मुझे अफसोस हुआ कि मैंने यह फ़िल्म पहले क्यों नहीं देखी। ऐसी ही एक अद्भुत फिल्म है पिकासो। मराठी फ़िल्म 'पिकासो' मराठी लोक नाट्य परंपरा के दशावतार को जीवंत कर देती है। एक रंगकर्मी होने के नाते इस फिल्म ने मुझे अत्यधिक प्रभावित किया। एक और मराठी फिल्म 'साइकिल' भी मुझे बहुत पसंद आई। इसकी पिक्चर पोस्टकार्ड सी सिनेमेटोग्राफी कमाल की है। 'One Night in Miami' भी एक यादगार फ़िल्म है। यह फ़िल्म Black Rights Movement के शुरुआती दौर में Malcolm X के Mohammad Ali, Jim Brown, और Sam Cooke पर पड़े प्रभाव की कहानी है।
ऐसी ही और शानदार फिल्में रहीं 'Sir', 'Knives Out', 'The Irishman', 'Roma', 'Enola Holmes', 'The Killing of a Sacred Deer', 'Believe Me: The Abduction of Lisa McVey', 'Searching' और 'Bombshell'.
वेबसीरीज को लेकर मैं बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं रहता, फिर भी जितनी देखी उनमें सबसे ऊपर है बांग्ला वेबसरीज 'Feluda Pherot'। सत्यजीत राय के आइकॉनिक चरित्र Detective Feluda पर बनी यह सिरीज़ रेट्रो फील भी देती है और रोमांचित भी करती है। इसके अलावा 'टब्बर', 'अनदेखी', 'गुल्लक 2', 'The Woods' और 'अरण्यक' ने प्रभावित किया है।
अलग से जिस शॉर्ट फिल्म का ज़िक्र करना चाहता हूं, वह है 'गीली पुच्ची'। 'अजीब दास्तान' एंथोलॉजी (Anthology) में शामिल इस फ़िल्म को कोंकणा की अद्भुत एक्टिंग की वजह से मैं सबसे ऊपर रख रहा हूं। दूसरा कारण है फ़िल्म की कहानी। Class, caste और gender को एक साथ रखते हुए यह फिल्म एक सशक्त कहानी कहती है। एक स्त्री जब दलित भी हो और एलजीबीटी समुदाय से भी तो भारतीय समाज में उसका जीवन कतई आसान नहीं हो सकता। गीली पुच्ची एक तरह की सोशल कमेंट्री (social commentary) है।
मिलाजुला कर यही फिल्में मुझे ज़िक्र करने लायक लगीं। उम्मीद है नए साल में मेरी फ़िल्म की लिस्ट और लंबी होगी और पसंद भी इस साल से ज़्यादा आएंगी।
Leave your comment