अपने ही गढ़ में 'पीट' दिए गए प्रकाश झा और ऋतिक का लखनऊ को उठाकर आबू धाबी ले जाना, नए भारत की इकॉनमी के लिए ठीक नहीं!

अपने ही गढ़ में 'पीट' दिए गए प्रकाश झा और ऋतिक का लखनऊ को उठाकर आबू धाबी ले जाना, नए भारत की इकॉनमी के लिए ठीक नहीं!

फिल्मी पांडा

फिल्मी पांडा कोई शख्स नहीं, बल्कि लेखक का किरदार भर है, जो अक्सर उम्दा सिनेमा को ग्रहण करने के बाद जिंदा हो उठता है। नतीजतन कुछ किस्से या समीक्षा की शक्ल में चीजें हासिल होती हैं।

इंटरनेट पर आईटी सेल की तय पूर्वाग्रहों से भरी हुई बॉयकॉट गैंग और सेट पर दक्षिणपंथी संगठन के छुटभैया गुंडे लगातार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत के भीतर अलग-अलग शहरों में चल रही शूटिंग में व्यवधान होने से स्थानीय स्तर पर मिल रहा रोजगार भी प्रभावित हो रहा है। इस वक्त जब पहले से ही भारत की इकॉनमी भंवर में गोते लगा रही है, तब ऐसे वक्त में फिल्म इंडस्ट्री को निशाना बनाया जाना आम भारतीयों को समझ नहीं आ रहा है। दक्षिणपंथी नेताओं के हमलावर तेवर न केवल फिल्म इंडस्ट्री में क्रिएटिव फ्रीडम को कुचल रहे हैं, बल्कि आर्टिस्ट भी लगातार हो रहे हमलों से खौफजदा हैं। इन बढ़ते हमलों के चलते बॉलीवुड के बड़े प्रोडक्शन हाउस और ए लिस्टर्स एक्टर्स फॉरेन लोकेशंस का रुख कर रहे हैं।

फिल्म इंडस्ट्री के भीतर एक धड़े का मानना है कि हिंदी इंडस्ट्री पर काबू पाने के लिए केवल मुकदमे ही नहीं, बल्कि अब शारीरिक हिंसा का भी सहारा लिया जा रहा है। हाल ही में भोपाल से खबर आई कि प्रकाश झा के सेट पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने तोड़-फोड़ करने के साथ ही लोगों से मारपीट भी की।

यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि मध्यप्रदेश और खासकर भोपाल को प्रकाश झाा का गढ़ माना जाता है। प्रकाश झा ने अपनी पिछली कई फिल्मों की शूटिंग साल दर साल भोपाल और इसके आस-पास के ही इलाकों में की है। दिलचस्प बात यह है कि मध्यप्रदेश सरकार ने भोपाल के आस-पास फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने के उदे्श्य से एक दौर में प्रकाश झा का बांहे फैलाकर स्वागत किया था। नतीजतन 'राजनीति', 'गंगाजल', 'सत्याग्रह', 'चक्रव्यूह', 'आरक्षण' और 'लिपिस्टिक अंडर माय बुर्का' जैसी फिल्मों के सेट भोपाल में लगे और इन फिल्मों में कई स्थानीय एक्टर्स को काम मिला। प्रकाश झा ने बाकायदा भोपाल में अपनी फिल्म कंपनी के लिए बड़े पैमाने पर जमीनें भी खरीदी हुई हैं, लेकिन अब 'आश्रम' की शूटिंग के दौरान हुए हमले से वो भी आहत हैं।

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'आश्रम' के प्रोडक्शन से जुड़े एक शख्स ने कहा- 'सेट पर हुए हमले से प्रकाश झा भी सकते में आ गए थे। वो पिछले कई सालों से भोपाल में ही अपनी फिल्मों की शूटिंग कर रहे हैं और वो इस जगह को लेकर काफी कंफर्टबल हैं। वो शायद इस सब से बेपरवाह थे और ऐसे में अचानक शूटिंग के दौरान सेट पर भीड़ का आ जाना खतरनाक है। सेट पर कई महिला एक्टर्स भी मौजूद थी। आप भीड़ पर भरोसा नहीं कर सकते, लेकिन हमें उम्मीद है कि चीजें जल्दी सुधर जाएंगी।'

एक दौर में फेमिना को दिए एक इंटरव्यू में प्रकाश झा ने कहा था कि जब भी वो भोपाल में शूटिंग करते हैं, तब शिवराज सिंह चौहान सेट पर एक आईएएस को तैनात कर देते हैं, ताकि शूटिंग आराम से चलती रहे। उन्होंने सात फिल्मों की शूटिंग भोपाल में की है ओर अब वो अपनी चर्चित वेबसीरीज 'आश्रम' के तीसरे सीजन की शूटिंग निपटा रहे थे। यह वेब सीरीज स्वयंभू भगवान बने बाबाओं के कारोबार और अपराधों पर बेस्ड फिक्शन है। 

इधर सीएम हाउस से ऐसे इनपुट्स भी आ रहे हैं कि प्रकाश झा के सेट पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के हमले से सीएम शिवराज सिंह व्यक्तिगत तौर पर सहज नहीं हैं। सूत्रों की मानें तो ये उनकी स्टाइल की राजनीति नहीं है और उन्होंने एक दौर में बांहे फैलाकर फिल्म कंपनियों का एमपी में स्वागत किया है, लेकिन अब चीजें बदल गई हैं। इस शख्स ने कहा- 'हिंदुत्व' के नाम पर कंटेट का बायकॉट करना समझ आता है, लेकिन आप लोगों पर हमला करने लगेंगे तो इससे अंतत: राज्य की इकॉनमी पर ही असर पड़ेगा। इस तरह की घटनाएं गलत इमेज बनाती हैं, जिसका असर सीधे निवेश पर पड़ता है।' हालांकि, उनके गृहमंत्री और भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा इस मामले में लगातार हमलावर हैं।

मालेगांव ब्लास्ट की आरोपी रह चुकी साध्वी प्रज्ञा ने तो यहां तक कह दिया कि वो अब पहले स्क्रिप्ट पढ़ेंगे ओर उसके बाद ही शूटिंग हो सकेगी। हालांकि, लोग इस बात का मजाक ही ज्यादा उड़ा रहे हैं। साध्वी प्रज्ञा इससे पहले भी सार्वजनिक मंचों पर उपहास का पात्र बन चुकी हैं।

मशहूर एक्टर रजा मुराद ने भी प्रकाश झा पर हुए हमले को लेकर चिंता जाहिर की है। उन्होंने कहा कि प्रकाश झा भोपाल को बॉलीवुड के भूगोल पर लेकर आए हैं और इससे पहले यहां कोई शूटिंग करने नहीं आता था। प्रकाश झा की शुरुआत के बाद ही भोपाल में प्रोड्यूसर, डायरेक्टर और आर्टिस्टों का रेला लगा है। रजा मुराद ने कार्यकर्ताओं पर स्याही फेंकने की घटना का विरोध करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं से प्रोड्यूसर डायरेक्टर भोपाल नहीं आएंगे, इससे सिर्फ और सिर्फ भोपाल का ही घाटा होगा।

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इंडस्ट्री को करीब से देख रहे लोगों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में हिंसक हुई भारत की राजनीति के निशाने पर सेलेब्स के आ जाने से तेजी से स्थितियां बदल रही हैं। ​पिछले 12 सालों से इंडस्ट्री में डायरेक्शन डिपार्टमेंट में काम कर रहे नितिन चौधरी का कहना है कि इस तरह के हमलों से शूट ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि स्थानीय कलाकारों का भी बड़ा नुकसान हो जाता है। वो बताते हैं कि कई दफा तो छोटे-छोटे रोल की बदौलत ही एक्टर्स को लंबा काम नसीब हो जाता है। वो मुंबई के उस दौर को याद करते हैं, जब इंडस्ट्री शिवसेना के निशाने पर होती थी। हालांकि वो इस वक्त को ज्यादा खतरनाक मानते हैं। इसके पीछे की वजहों को बताते हुए वो कहते हैं कि पहले आपके पास आॅप्शन था कि आप मुंबई से बाहर भारत के किसी दूसरे शहर में सेट लगा सकते थे, लेकिन अब हर जगह उग्र हिंदुत्ववादी या फिर कट्टर धार्मिक संगठन मौजूद हैं।

भारत में दक्षिणपंथी संगठनों के निशाने पर आने के बाद से ही इंडस्ट्री सहमी हुई सी दिख रही है। इस बीच कई 'ए' लिस्टर्स सितारों ने प्रोडक्शन हाउस के सामने, भारत के बजाय बाहर की लोकशंस की शर्त भी रखी है, जिसे मानना प्रोडक्शन हाउस की मजबूरी भी है। 

साल 2017 की मशहूर तमिल फिल्म 'विक्रम वेधा' की रीमेक को ही ले लीजिए। इस फिल्म में ऋतिक रोशन ओर सैफ अली खान मुख्य भूमिकाओं में हैं। इस फिल्म की शूटिंग पहले लखनऊ में होनी थी, लेकिन ऋतिक रोशन ने लखनऊ में शूटिंग करने में सहजता नहीं दिखाई। इसके बाद आबू धाबी में फिल्म के शूट के लिए लखनऊ का सेट लगाया गया है। पूरी टीम को भारत से बाहर आबू धाबी ले जाना और फॉरेन लोकेशंस पर शूटिंग भारतीय प्रोड्यूसर्स को महंगी पड़ जाती है, लेकिन जब स्टार ही भारत में काम करने को राजी न हों, तब भला प्रोड्यूसर्स कर भी क्या सकते हैं। भारत के शहर शूटिंग के लिहाज से फिल्म क्रू के लिए, खासकर दक्षिणपंथी विचारधारा के आलोचक डायरेक्टर-एक्टर्स के लिए नई चुनौतियां पेश कर रहे हैं।

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आर्यन खान केस से माहौल हुआ और खराब
फिल्म सेट्स और आर्टिस्ट पर लगातार बढ़ रहे दक्षिणपंथी संगठनों के हमले के अलावा इन दिनों एनसीबी की कार्रवाइयों से भी फिल्म इंडस्ट्री के लोग सकते में हैं। आर्यन खान केस में मचे घमासान और एनसीबी के अधिकारियों पर लगे उगाही के आरोपों से भी इस तरह का मैसेज गया है कि भारत में काम करना सेलेब्स के लिए अब पहले जितना आसान नहीं रह गया है। आर्यन खान से पहले अमेजॉन प्राइम की वेबसीरीज 'तांडव' की टीम और अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती तक का हश्र बीते दिनों बुरा रहा है। ऐसे में निजी राजनीतिक हमलों और मुकदमों से बचने के लिए भी इंडस्ट्री के दिग्गज भारत के बजाय अपनी फिल्मों को विदेश की धरती पर लेकर जा रहे हैं, जिसका सीधा नुकसान भारत के छोटे-छोटे शहरों में फिल्मों से होने वाली कमाई पर पड़ रहा है। 

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