हवाओं के गठजोड़ से उत्तराखंड में आफत की बारिश, आपदा से निपटने में प्रबंधन फिर हुआ ध्वस्त

हवाओं के गठजोड़ से उत्तराखंड में आफत की बारिश, आपदा से निपटने में प्रबंधन फिर हुआ ध्वस्त

NEWSMAN DESK

पिछले दो दिन बादल उत्तराखंड में आफत बनकर बरसे हैं। अलग-अलग घटनाओं में आपदा के चलते अब तक 48 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई अन्य गायब बताए जा रहे हैं। कुमाऊं के अलग-अलग इलाकों में भूस्खलन, मकान ढहने, पानी में करंट जैसी वजहों के चलते 42 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई अब भी लापता हैं। गुम हुए लोगों की तलाश में प्रशासन की टीमें जुटी हुई हैं। दो दिन हुई बारिश के चलते प्रदेश के कई हिस्सों में सड़कें भी टूट गई हैं, जबकि कई इलाकों में इंटरनेट सर्विस बंद हो गई है।

नैनीताल में 29, अल्मोड़ा में 6, चंपावत में 4, पिथौरागढ़, बागेश्वर और ऊधमसिंह नगर में एक-एक व्यक्ति की मौत की अब तक पुष्टि प्रशासन ने कर दी है। इस तरह से देखें तो प्रदेश में दो दिनों के भीतर मरने वालों की संख्या 48 पहुंच गई है। गढ़वाल में मौसम साफ होने से बंद मार्गों को खोलकर चारधाम रूट पर फंसे यात्रियों को निकालने का काम भी प्रशासन ने इस दौरान पूरा कर लिया है।

पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता और दक्षिणी-पूर्वी हवाओं के गठजोड़ के चलते मौसम के बदले मिजाज ने पहाड़ों पर बारिश के 107 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी पूर्वी हवाओं के गठजोड़ से बिगड़े मौसम के मिजाज ने कुमाऊं क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी पूर्वी हवाओं की सक्रियता बहुत अधिक होने की वजह से नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत जैसे तमाम जिलों में भारी तबाही हुई। नैनीताल में भारी बारिश से कई जगह पानी भर गया है।

पानी का बहाव बहुत तेज होने के कारण दुकानों के अंदर फंसे लोगों को सेना के जवानों ने रेस्क्यू कर निकाला। निचले इलाकों में नदियां उफान पर हैं। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 24 घंटे के भीतर पूरे राज्य में औसतन 1.1 मिलीमीटर बारिश होने की संभावना पूर्व में जताई गई थी, लेकिन मानसून के बदले मिजाज से पूरे राज्य में 122 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई जो अपने आप में बहुत अधिक है।

नैनीताल झील के जलस्तर बढ़ने से तल्लीताल में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना की टुकड़ी ने छह घंटे तक रेस्क्यू अभियान चलाकर 30 लोगों को बचाया, इनमें दो बच्चे भी शामिल थे। ऐसे ही टनकपुर में सेना ने चार घंटे रेस्क्यू अभियान चलाकर 283 ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। इनमें 55 बच्चे भी शामिल थे। जीओसी सब एरिया मेजर जनरल संजीव खत्री ने बताया कि आपात स्थिति से निपटने के लिए दोनों जगह सेना की अतिरिक्त टुकड़ियों को स्टैंड बाय पर रखा गया है।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार कुमाऊं क्षेत्र के मुक्तेश्वर में 107 साल पहले 18 सितंबर 1914 को हुई 254.5 मिलीमीटर बारिश का रिकॉर्ड टूट गया। पिछले 24 घंटे में मुक्तेश्वर में 340.8 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई। चंपावत में जहां 580 मिमी बारिश रिकॉर्ड हुई वहीं नैनीताल में 530, ज्योलीकोट में 490 मिमी, भीमताल में 400 मिमी, हल्द्वानी में 300 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। इधर गढ़वाल क्षेत्र में पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार में 140, थलीसैंण में 140, लैंसडौन में 100, मिलीमीटर,  श्रीनगर में 130, धूमाकोट में 110 मिमी बारिश हुई है। चमोली के जोशीमठ में 190, कर्णप्रयाग 130, और गैरसैंण में 120 मिलीमीटर बारिश हुई। रुद्रप्रयाग में 110, गंगानगर में 100 मिलीमीटर तो टिहरी गढ़वाल के देवप्रयाग में 120 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है।

विपक्ष हुआ हमलावर
उत्तराखंड में आपदा के कारण हुए जानमाल के नुकसान के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है। विपक्षी दलों का कहना है कि मौसम विभाग की ओर से चार दिन पहले ही भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद सरकार ने बचाव के कोई कदम नहीं उठाए, जिसके कारण कई लोगों की बेवजह मौत हो गई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने इसे प्रबंधन की नाकामी बताया है।

अब कहां गए आफत के बादल

उत्तराखंड में भारी तबाही मचाने के बाद अब पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी पूर्वी हवाओं का गठजोड़ वेस्टर्न हिमालयन रीजन में लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों के साथ जम्मू-कश्मीर जैसे इलाकों के साथ ही अफगानिस्तान, दक्षिणी ताजिकिस्तान और पाकिस्तान के कुछ इलाकों में भारी बारिश के साथ तबाही मचाएगा। मौसम विज्ञानियों की मानें तो 22 से 23 अक्तूबर तक दो दिनों तक वेस्टर्न हिमालयन रीजन में पश्चिमी विक्षोभ दक्षिणी पूर्वी हवाएं पूरी तरह सक्रिय होंगी। परिणामस्वरूप इन इलाकों में भारी भारी बारिश व बर्फबारी देखने को मिलेगी।

फिर शुरू हुई यात्रा
हालांकि, चारधाम यात्रा को फिर से शुरू कर दिया गया है। मौसम सामान्य होते ही यात्रा ने रफ्तार पकड़ ली है। बुधवार से केदारनाथ धाम यात्रा भी शुरू हो गई है, जबकि बदरीनाथ हाईवे बंद होने के कारण फिलहाल बदरीनाथ यात्रा शुरू नहीं हो सकी है। यमुनोत्री-गंगोत्री धाम यात्रा मंगलवार से शुरू हो चुकी है। बता दें कि खराब मौसम के चलते चारधाम यात्रा रोक दी गई थी।

Leave your comment

Leave a comment

The required fields have * symbols