गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।
पहाड़ी नदियों में एक बुरा प्रचलन है, जो अक्सर अखबारों के जरिए सुनाई दे जाता रहा है। मछलियों की तलाश में पहाड़ी नदियों में लोग करंट छोड़ देते हैं, जिससे कम समय में ही इफरात मछलियां मर जाती हैं। इसमें दिक्कत यह है कि आप बेवजह कई छोटी मछलियों को गैरजरूरी नुकसान पहुंचा देते हैं। अपने लालच के लिये उस पूरे इलाके की इकोलॉजी को आप नष्ट करते हैं, अलबत्ता आप जरूर मछलियों से भरी बाल्टी पा जाते हैं।
अब ऐसा ही करंट उत्तराखंड की राजनीति में 'आम आदमी पार्टी' के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भी छोड़ दिया है और यह भाजपा-कांग्रेस के लिये लंबे समय में नुकसानदेय साबित हो सकता है। इस करंट के नफे-नुकसान का दायरा राजनीतिक तौर पर व्यापक हो सकता है, बशर्ते आप के सेनापति कर्नल अब 'वोटर' के बीच विश्वास पैदा कर सकें। फिलवक्त तो कर्नल राजनीतिक दल कम और फौज के किसी 'रिटायर्ड आर्मी क्लब' की तरह पार्टी में रंगरूट्स को टोपी पहनाने में ज्यादा मशगूल नजर आ रहे हैं।
खैर, उत्तराखंड की सियासत में आम आदमी पार्टी (आप) ने जोर मारना शुरू कर दिया है। हाल ही में सीएम आवास के घेराव के बाद आम आदमी पार्टी ने सूबे की राजधानी देहरादून में अपने मुखिया अरविंद केजरीवाल का पिछले दिनों जोरदार स्वागत किया। इस दौरान दिल्ली की सियासत को अपने बयानों और कामों से हमेशा घेरने वाले केजरीवाल इस पहाड़ी प्रदेश में भी उसी अंदाज में नजर आये। इस दौरान उन्होंने न केवल भाजपा-कांग्रेस पर खूब हमले किये, बल्कि वोटर्स को आप से जुड़ने के लिये शानदार चारा भी डाल दिया है।
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केजरीवाल ने 300 यूनिट मुफ्त बिजली का दांव चल दिया है, जिससे सूबे की विपक्षी पार्टियां असहज नजर आ रही हैं। विपक्षी पार्टियां भी आप की एंट्री के बाद फ्री बिजली जैसे मुद्दे पर बात करने लगी हैं। सूबे में भाजपा समर्थित एक तबका ऐसा भी है जो केजरीवाल की 'मुफ्त' बिजली का दबी जुबान में विरोध कर रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों केजरीवाल के इस दांव का जादू दिल्ली में देख चुके हैं और बखूबी जानते हैं कि ऐसे दांव आप की झोली में ज्यादा सीटें गिरवा सकते हैं।
सबसे पहले केजरीवाल के इस दांव पर प्रतिक्रिया देने आये हरीश रावत ने इस दावे को ही धुंधलाने का काम किया। हरीश रावत ने केजरीवाल की घोषणा पर तंज कसते हुये लिखा- 'केजरीवाल उपवाच्:! उत्तराखंड में 300 यूनिट बिजली प्रति परिवार फ्री देने का वादा। दिल्ली में मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल का यह दूसरा टर्म है और वहां लोगों को केवल 200 यूनिट तक बिजली फ्री दी जा रही है। फिर दिल्ली की आमदनी और उत्तराखंड की आमदनी का कोई मुकाबला नहीं है। यदि उत्तराखंड का बजट भी दिल्ली के वार्षिक बजट के बराबर हो तो कांग्रेस 400 यूनिट तक बिजली का बिल माफ कर देगी। राज्य के संसाधनों को देखकर हमारा वादा है कि सत्ता में आने के वर्ष 100 यूनिट और दूसरे वर्ष में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त देंगे।' जाहिर है कांग्रेस को केजरीवाल का करंट तगड़ा लगा है। कांग्रेस से झटके हुये वोटर्स आप की गोद में जाकर बैठ सकते हैं।
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केजरीवाल की आप के पास एक बैनिफिट यह भी है कि उत्तराखंड के लोग पिछले 20 सालों में भाजपा और कांग्रेस दोनों के कार्यकाल देख और भुगत चुके हैं। दोनों ही पार्टियों के नेताओं की कार्यशैली से लोग वाकिफ हैं। ऐसे में केजरीवाल एक झटके में यहां 2 प्वाइंट कमा ले जाते हैं, लेकिन संगठन के बतौर यही दो प्वाइंट 'आप' को माइनस में ले जाते हैं। अकेले हरीश रावत ने ही केजरीवाल के दावे के बाद प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि भाजपा में तो इस मुद्दे को लेकर गफलत की स्थिति नजर आई। उत्तराखंड के ऊर्जा मंत्री और भाजपा नेता हरक सिंह रावत ने अगली दफा सरकार बनने पर बिजली बिल माफी और मुफ्त 100 यूनिट बिजली की बात कही। उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधते हुये कहा कि प्रदेश में 'आप' का कोई जनाधार नहीं है। हरक सिंह की इस घोषणा के बाद भाजपा में ही कलह की स्थिति पैदा हो गई।
अगले ही दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से जब मीडियाकर्मियों ने इस पर सवाल किया, तो उन्होंने ऐसे किसी भी प्रस्ताव से इनकार कर दिया। इस बीच अंदरखाने भाजपा में इस घोषणा को लेकर विरोध के सुर उठने लगे। सूत्रों के मुताबिक, हरक सिंह रावत की यह लोकलुभावनी घोषणा पार्टी केंद्रीय नेतृत्व तक भी पहुंच गई है, जिस पर आलाकमान ने नाराजगी जताई है। लिहाजा, ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत के सुर भी तुरंत बदल गए हैं।
हरक सिंह रावत ने यू-टर्न लेते हुये कहा कि उन्होंने ऐसी कोई घोषणा नहीं की थी, केवल विभाग को प्रस्ताव बनाने को कहा था। विभाग प्रस्ताव बना रहा है, इस पर फैसला कैबिनेट को करना है। कुल मिलकार मुफ्त बिजली के नाम पर अब तक आम आदमी पार्टी ही डंके की चोट पर वादा कर रही है, जबकि कांग्रेस-भाजपा इस दांव का तोड़ ढूंढने में नाकाम हैं। अरविंद केजरीवाल आगे भी ऐसी ही घोषणाएं करते रहे तब सूबे में इस दफा त्रिकोणीय स्थिति बननी तय है, जिसमें भाजपा और कांग्रेस को नुकसान पहुंच रहा है, जबकि आप अगर 25 सीटों पर भी टक्कर देती है, तब सूबे की राजनीति में एक नया विकल्प खड़ा हो जाएगा।
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आप की मुसीबत, चेहरे का टोटा!
आप की मुसीबत सिफ इतनी भर नहीं है कि उसके पास संगठन के नाम पर अभी जमीन पर कुछ नहीं है, बल्कि दिक्कत विश्वसनीय और लोकप्रिय चेहरे की कमी भी है। आप ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। फिलहाल आप की ओर से कर्नल अजय कोठियाल को ही आगे किया गया है, लेकिन भविष्य में आप को चुनाव जीतने के लिये एक बड़े चेहरे की दरकार होगी जो कुमाऊं से गढ़वाल तक की राजनीति को बखूबी समझता हो। कर्नल की शैली न तो उन्हें लोकप्रिय बनाने की दिशा में बढ़ा रही है, ना दांव खेलने वाला घोड़ा। वो एक तरह से रिटायर्ड फौजियों के बीच अपने 'फौज के अच्छे दिनों' को भुनाने की फिराक में हैं, लेकिन इतने भर से काम नहीं चलने वाला। कर्नल न तो अच्छे वक्ता हैं, ना उनके पास अपना जनाधार।
क्या बागी बनेंगे तारणहार!
भाजपा और कांग्रेस दोनों के बागियों पर भी 'आप' की नजरें होंगी, ऐसे में कब कौन सा बड़ा चेहरा आप में शामिल हो जाए कहा नहीं जा सकता है। दांव तो हरक सिंह के 'आप' में शामिल होने और पार्टी की ओर से बतौर सीएम प्रोजेक्ट होने पर भी लगाया जा सकता है। राजनीति मौकों का खेल है। भाजपा में हरक सिंह की स्थिति और समय-समय पर छलकते दर्द पर चटखारे लेने वाले तो अभी से यह मानकर चल रहे हैं कि वो जल्द भाजपा का दामन छोड़कर निकल पड़ेंगे। कांग्रेस में लौट जाने की स्थिति में पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं बनाएगी, लेकिन 'आप' में यही संभावनाएं हरक सिंह के लिये प्रबल हो सकती हैं। हालांकि, हरक को लपकने से पहले 'आप' को उत्तराखंड में अपने पक्ष में बहती हवा का अहसास करवाना होगा।
फ्री बिजली के दांव पर क्या कहते हैं लोग?
इस मसले को लेकर मैंने पौड़ी जिले के दूरस्थ इलाके राठ के एक बाशिंदे आनंद रावत से बात की तो उन्होंने कहा- 'बिजली के बिल माफ होते हैं, तब ऐसा कौन नहीं चाहेगा! 200 यूनिट तक बिजली बिल फ्री होने का मतलब है तकरीबन 1200 रुपये की सीधी बचत। आप यहां अभी नई है, लेकिन मैंने दिल्ली में उनकी कार्यशैली देखी है।' फ्री बिजली के अलावा केजरीवाल अगर पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधा और स्कूलों को दुरुस्त करने का कोई मॉडल पेश करते हैं, तब ये 'दांव' डबल कोटेड सिक्योरिटी लेयर के साथ और मजबूत हो जाएगा। फिलहाल तो अरविंद केजरीवाल गोवा से लेकर हिमालयी राज्य उत्तराखंड तक अपने फ्री बिजली के मॉडल पर ही वोट बैंक बढ़ाते नजर आ रहे हैं और उनका यह दांव खासा लोकप्रिय भी हो रहा है।
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