कोविड-19 संक्रमण के तेज़ी से बढ़ते मामलों के बीच उत्तराखंड के हरिद्वार में जारी कुंभ मेले में सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। हरिद्वार की सड़कों, खासकर हर की पैडी की ओर जाने वाली सड़कों पर साधुओं के साथ ही आम श्रद्धालुओं का भी रेला नजर आया है। हजारों की संख्या में उमड़े लोगों और देश में बढ़ रहे कोरोना के मामलों के बीच राज्य सरकार को इस आयोजन में लोगों को बुलाने को लेकर कड़ी आलोचनाएं भी झेलनी पड़ रही हैं। तीरथ सिंह सरकार लगातार हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में लोगों को पहुंचने के लिए निमंत्रण तो दे रही है, लेकिन ये कैसे सुरक्षित होगा इसका किसी के पास कोई ठोस वैज्ञानिक तर्क मौजूद नहीं है। सरकार के इस फैसले से न केवल आम लोगों बल्कि कुंभ में ड्यूटी दे रहे हजारों कर्मियों के सामने भी बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।
सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान के लिए हरिद्वार पहुंचे। यहां व्यवस्था के काम में लगे अधिकारियों का कहना है कि भारी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने से उन्हें कोरोना के कारण लगाई पाबंदियों का पालन करने में मुश्किलें पेश आ रही है। लोग और हजारों साधुओं का हुजूम कोरोना गाइडलाइन का मजाक उड़ाते हुए बेखौफ नजर आ रहे हैं। इस साल हरिद्वार में मेले का आयोजन ऐसे वक्त हो रहा है जब देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर का मुकाबला कर रहा है। बीते कुछ दिनों में देश में जिस रफ्तार से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ी है, उससे हरिद्वार के स्थानीय बाशिंदे भी खौफ में हैं। शिवालिक नगर के रहने वाले मोहन काला बताते हैं कि हरिद्वार में इस वक्त पूरे भारत से लोग पहुंच रहे हैं जो इस शहर में स्रकंमण फैला सकते हैं।
कुंभ मेले से पहले सरकार ने कहा था कि मेले में उन्हीं को आने की अनुमति दी जाएगी जिनकी कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव होगी और मेले में शिरकत करने वालों को कोरोना के कारण लागू किए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन करना पड़ेगा। मेले में आए कई जानेमाने साधु-संतों समेत कई लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके बाद सोमवार को हुए गंगास्नान के बाद चिंता जताई जा रही है कोरोना संक्रमण श्रद्धालुओं के बीच तेजी से फैल सकता है और ये भी संभव है कि ये वायरस यहां से लौटने वाले श्रद्धालुओं के साथ उनके गांवों और शहरों तक पहुंचे।
सोशल मीडिया पर भी अमावस्या के दिन गंगा घाटों पर जुटी भीड़ की जमकर आलोचना हो रही है। कई यूजर्स ने सरकार पर निशाना साधते हुए यह तक पूछा है कि जिस तरह से पिछले साल तब्लीगी जमात के नाम पर मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया गया था, क्या अब वो हिंदुओं की भीड़ पर भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देगी। कई यूजर्स ने तो यह तक कह दिया कि इसके बाद देश में कोरोना की स्थिति और अधिक खराब होती है तो इसके लिए कुंभ में जुटी भीड़ ही जिम्मेदार होगी। यूजर्स के कमेंट से परे जाकर भी देखें तो कई राज्यों में हालात बेकाबू हो गए हैं। अस्पतालों में अत्यधिक दबाव बढ़ने लगा है और लोगों को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से देश में लगातार संक्रमण के एक लाख से अधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कुंभ के आयोजन पर चिंता भी जाहिर की है। विशेषज्ञ पूर्व में ही कुंभ को रद्द करने की अपील कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने यह कहते हुए मेले के आयोजन की अनुमति दी कि कोरोना के मद्देनजर जारी किए गए सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। हालांकि कुंभ मेला आईजी पुलिस संजय गुंज्याल ने कहा- 'हम लोगों से लगातार कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए नियमों का पालन करने की अपील कर रहे हैं। लेकिन यहां काफी भीड़ है और चालान करना असंभव है। लोगों को नियंत्रित करना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।'
उन्होंने कहा कि अगर पुलिस जबरन लोगों को घाटों पर सोशल डिस्टेन्सिंग के नियमों का पालन करने के लिए कहती हैं तो यहां पर 'भगदड़ जैसी स्थिति पैदा' हो सकती है। बहरहाल कुंभ राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती तो है ही, ये बड़ी मुसीबतों को दावत देने जैसा भी है। ये हाल तब है जब हाल ही में राज्य के मुख्यमंत्री कोरोना से ठीक होकर काम पर लौटे हैं।
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