भारत के उत्तर में बसे छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड से निकलने वाले अखबारों या फिर न्यूज पोर्टल्स पर आप नजर मारेंगे, तो आपको विज्ञापनों से पता चलेगा कि कोविड़ अभी गया नहीं है। कोरोना की रोकथाम के लिये सरकार की ओर से जारी किये गये विज्ञापन प्रधानमंत्री को वैक्सीन के लिये धन्यवाद देते हुये नजर आते हैं। असल में ये विज्ञापन सिर्फ कागजों में महामारी को लेकर चिंता जाहिर करते हैं, लेकिन जैसे ही इस राज्य के नेताओं के डेली रुटीन को आप करीब से देखेंगे, तो पाएंगे कि वो किस तरह से खुद दिन में कई दफा कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा देते हैं। यहां तक कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में भी यह नजर आता है।
ऐसा ही हाल यूपी से लेकर पंजाब और हरियाणा या फिर देश के बाकी राज्यों में भी नजर आता है, लेकिन सरकारें इसे लेकर कम ही चिंतित नजर आती हैं। जिन राज्यों में आगे विधानसभा चुनाव करीब हैं, वहां स्थितियां और भी अधिक भयावह नजर आती हैं। 'दो गज की दूरी' केवल बातों में जरूरी दिखती है और देह रगड़ कर चलता नेताओं का हुजूम कोरोना की भयावहता को भुला देता है।
भारत में राज्य दर राज्य आप कोरोना को लेकर लोगों या फिर सरकार की ओर से ही गंभीरता नापने सड़कों पर उतरेंगे तो केवल मायूसी ही हाथ लगेगी। देशभर के शहरी इलाकों समेत ग्रामीण भारत तक में कोरोना की तीसरी लहर से बेखबर लोग मानों दूसरी लहर की भयावहता को भुला बैठे हों। इधर इस बीच कोविड के मामलों को देखते हुये एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि तीसरी लहर दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स को देखें तो एक्सपर्ट्स का मानना है कि कभी भी कोरोना के केस अचानक से बढ़ने लगेंगे।
हालांकि, सरकार की राय इस मसले पर भिन्न है। केंद्र सरकार का कहना है कि अभी भारत में कोरोना की दूसरी लहर ही खत्म नहीं हुई है। सरकार के इस दावे से इतर आंकड़े बता रहे हैं कि कई राज्यों में संक्रमण की रफ्तार फिर से बढ़ने लगी है। 10 मई को देश में 37 लाख एक्टिव केस थे, जो कि घटकर अब 4 लाख रह गए हैं। केरल अकेला ऐसा राज्य है, जहां एक लाख से ज्यादा (1.65 लाख) एक्टिव केस हैं। एक तथ्य यह भी है कि 27 राज्यों में 10 हजार से भी कम मरीजों का इलाज चल रहा है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि कोरोना का रिप्रोडक्टिव नंबर (R नंबर या R वैल्यू) हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और केरल समेत 8 राज्यों में एक से ज्यादा हो गया है। इसका सीधा सा मतलब यह है कि संक्रमण के फैलने की रफ्तार वापस गति पकड़ रही है। रिप्रोडक्टिव नंबर के एक से ज्यादा होने का मतलब है कि कोरोना से एक संक्रमित मरीज एक से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है। ऐसे में सरकार का यह कहना कि अभी देश में दूसरी लहर ही खत्म नहीं हुई है, कई सवाल खड़े करती है।
सरकार दूसरी लहर के अभी खत्म न होने के पीछे अपने तर्क रखती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल कहते हैं कि 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 24 जिलों में 2 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते में 10 फीसदी से ज्यादा पॉजिटिविटी रेट मिला है। इनमें केरल, महाराष्ट्र, मणिपुर सहित 6 राज्यों के 18 जिलों में पिछले 4 हफ्तों से कोरोना के नए मामले लगातार बढ़ रहे हैं और इन जिलों से देश के 47.5 फीसदी केस दर्ज हो रहे हैं। इन आंकड़ों के आधार पर ही सरकार मान रही है कि अभी कोरोना की दूसरी लहर खत्म नहीं हुई है, जबकि एक्सपर्ट्स की राय इस मसले पर बिल्कुल जुदा है।
सोमवार को सामने आई एक स्टडी में एक्सपर्ट्स ने R नंबर के आधार पर ही दावा किया था कि देश तीसरी लहर की चपेट में आने वाला है। इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमैटिकल साइंस चेन्नई के प्रोफेसर सिताभ्र सिन्हा ने कहा है कि देश में कोरोना की रिप्रोडक्शन वैल्यू 1 पर पहुंच गई है। देश में दूसरी लहर के दौरान 7 मई को 4 लाख से ज्यादा केस आए थे, तब देश में कोरोना की रिप्रोडक्शन वैल्यू 1 थी। आज एक बार फिर हम उसी डराने वाले आंकड़े पर आकर खड़े हो गए हैं। यानी अब संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और देश तीसरी लहर की चपेट में आने वाला है।
अगस्त में तीसरी लहर आने का दावा
आईआईटी हैदराबाद के मथुकुमाली विद्यासागर और आईआईटी कानपुर के मनींद्र अग्रवाल ने अपनी रिसर्च में दावा किया था कि अगस्त में कोविड की तीसरी लहर आ सकती है, जबकि अक्टूबर में इसका पीक आ सकता है। ऐसे ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में सीनियर साइंटिस्ट प्रोफेसर समीरन पंडा ने हाल ही में दावा किया था कि देश में कोरोना की तीसरी लहर अगस्त में शुरू हो सकती है। उन्होंने आशंका जताई थी कि अगर वायरस म्यूटेट होता है तब स्थितियां बिगड़ सकती हैं।
दूसरी और पहली डोज के इंतजार में नागरिक
देश में वैक्सीनेशन का दायरा जरूर बढ़ रहा है, लेकिन वैक्सीन की कमी का असर अब भी एक बड़ी आबादी को सुरक्षा के घेरे में ला पाने में बाधा बना हुआ है। कुछ राज्य ऐसे हैं जहां 3 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन डोज सप्लाई की गई है। इनमें यूपी को 4.88 करोड़ और महाराष्ट्र को 4.5 करोड़ डोज दिए गए हैं, जबकि पीएम मोदी के गह राज्य गुजरात में 3.4 करोड़ डोज सप्लाई किये गये हैं। वैक्सीनेशन के बढ़ते दायरे के बावजूद देश में कोरोना के हर दिन 30 हजार से ज्यादा केस आ रहे हैं। अभी भी देश की एक बड़ी आबादी वैक्सीन के इंतजार में ही कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने के इंतजार में दिन काट रही है।
कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के दौरान जिस ढंग से भारत सरकार व्यवस्थाओं को संभालने में नाकाम नजर आई, उस दौर को देखते हुये तीसरी लहर को लेकर सरकार की तैयारियां नाकाफी ही नजर आ रही हैं। अलबत्ता कोरोना को लेकर सरकारों की चिंताएं विज्ञापनों में जरूर नजर आ रही हैं। आने वाले दिनों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उन राज्यों में तमाम दलों के नेता कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाते हुये सरेआम देखे जा सकते हैं, बावजूद इसके मीडिया को खुश रखने के लिये कोरोना के नाम पर विज्ञापनों पर बंपर पैसा जरूर खर्च किया जा रहा है।
Leave your comment