साल 1960 का था, जब भारत की निगाहें रोम ओलंपिक पर टिकी हुई थी। इससे पहले की ट्रैक पर भारत की ओर से 400 मीटर दौड़ के लिये वो दुबला पतला सरदार उतरता, टीम का एक सदस्य उसके पास आया और उसके कान में फुसफसाया- 'झंडे गाड़ देने हैं मिल्खे, रुकना नहीं है!' मिल्खा सिंह बिना जवाब दिये हुये चुपचाप मुस्कुराकर मैदान की ओर बढ़ गये, जहां उन्हें भारत का प्रतिनिधित्व करना था। हालांकि, इस रेस में मिल्खा सिंह कांस्य पदक झटकने में मामूली अंतर से चूक गए थे।
रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर की दौड़ 45.73 सेकेंड में पूरी की थी, वे जर्मनी के एथलीट कार्ल कूफमैन से सेकेंड के सौवें हिस्से से पिछड़ गए थे लेकिन यह टाइमिंग अगले 40 सालों तक नेशनल रिकॉर्ड रहा। मिल्खा सिंह ने कभी भी भारत को मायूस नहीं किया, लेकिन कोरोना की जंग में वो एक दफा जीतने के बाद आखिरकार हार गये। इससे पहले पांच दिन पहले मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का निधन भी कोरोना संक्रमण के चलते हो गया था।
भारत के मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह का चंडीगढ़ के अस्पताल में निधन हो गया है। वे पिछले दिनों कोरोना संक्रमित हो गए थे। कोरोना संक्रमित होने के बाद 91 साल के मिल्खा सिंह को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर में भर्ती कराया गया था, जहां शुक्रवार की शाम उनकी तबियत काफी बिगड़ गई और डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। मिल्खा सिंह स्वस्थ रहने के लिये योग भी किया करते थे और बाकायदा एक योग इंस्ट्रक्टर उनके घर पर उन्हें योग सिखाता था। रिपोर्ट्स की मानें तो मिल्खा सिंह का निधन रात 11.30 बजे हुआ है।
मिल्खा सिंह को कोविड संक्रमण के चलते तीन जून को पीजीआईएमईआर के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। वे 13 जून तक आईसीयू में भर्ती रहे और इस दौरान उन्होंने कोविड संक्रमण को हरा दिया। 13 जून को कोविड टेस्ट में निगेटिव होने के बाद कोविड संबंधी मुश्किलों के चलते उन्हें फिर से आईसीयू में दाख़िल कराना पड़ा, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी चिकित्सकों की टीम उन्हें बचा नहीं सकी।
फ़्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह भारत के इकलौते ऐसे एथलीट हैं, जिन्होंने 400 मीटर की दौड़ में एशियाई खेलों के साथ साथ कॉमनवेल्थ खेलों में भी गोल्ड मेडल जीता हुआ था। 1958 के टोक्यो एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया था जबकि 1962 के जकार्ता एशियाई खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर और चार गुना 400 मीटर रिले दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया था।
1958 के कार्डिफ़ कॉमनवेल्थ खेलों में मिल्खा सिंह ने 400 मीटर दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया था, लेकिन मिल्खा सिंह को सबसे ज़्यादा मशहूरी 1960 को रोम ओलंपिक ने दिलाई जिसमें वे 400 मीटर दौड़ में कांस्य पदक मामूली अंतर से चूक गए थे। इसी ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम भी स्वर्ण पदक से चूक गई थी, लेकिन मिल्खा सिंह का पदक से चूकना लोगों को ज्यादा परेशान करने वाला रहा था। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, 'मेरी आदत थी कि मैं हर दौड़ में एक दफा पीछे मुड़कर देखता था। रोम ओलिंपिक में दौड़ बहुत नजदीकी थी और मैंने जबरदस्त ढंग से शुरुआत की। हालांकि, मैंने एक दफा पीछे मुड़कर देखा और शायद यहीं मैं चूक गया। इस दौड़ में कांस्य पदक विजेता का समय 45.5 था और मिल्खा ने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की थी। मिल्खा सिंह के जीवन पर 'भाग मिल्खा भाग' नाम से फिल्म भी बनी है।
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मिल्खा सिंह के निधन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई लोगों ने उन्हें अपने-अपने ढंग से याद किया है। पीएम ने मिल्खा सिंह के निधन पर लिखा- 'श्री मिल्खा सिंह जी के निधन से हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है। उनका असंख्य लोगों के दिलों में विशेष स्थान था। उनके प्रेरक व्यक्तित्व ने लाखों लोगों को प्रेरित किया। उनके निधन से आहत हूं।'
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
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