भारत इतना विशाल देश है कि यहां मुद्दों और घटनाओं की कोई कमी नहीं रहती है। पिछले दिनों टीआरपी स्कैम मामले में लपेटे में आए रिपब्लिक टीवी के चीफ एडिटर अर्नब गोस्वामी की मुश्किलें इधर बढ़ी हुई हैं। चलिए मुश्किलें न सही फजीहत तो हद दर्जे की हो रही है। अपने मंहगे स्टूडियों से चिल्ला-चिल्लाकर भारतीयों को देशभक्ति का पाठ पढ़ाते-पढ़ाते अर्णब गोस्वामी कब पत्रकारिता की मर्यादा लांघकर 'खुल्ला खेल फर्रुखाबादी' क्लब का हिस्सा हुए, इसे गुजरे हुए ही लंबा अरसा हो चला है।
अब अर्णब इन दिनों इन सब मसलाअत से आगे बढ़कर एक आरोपी हैं, जिन पर टीआरपी घोटाले के आरोप लगे हैं। हालांकि जैसे-जैसे कोर्ट में कार्यवाही आगे बढ़ रही है, मामला और पुराना होता चला जा रहा है। जनता, जो कि पहले ही इस मसले को तकरीबन भुला चुकी है, उसे भी अब इस केस में बिना 'एक्शन' वो रोमांच नहीं मिल पा रहा है, जिसकी आदत इस पत्रकार ने भारतीयों को लगा दी है। ताजा मामला अर्णब के केस में उनके लिए जरूर राहत भरा कहा जा सकता है। असल में इस मामले में 25 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई की। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिताले की बेंच ने मुंबई पुलिस को निर्देश देते हुए कहा कि अगर टीआरपी स्कैम मामले में पुलिस अर्नब गोस्वामी को गिरफ्तार करना चाहती है, तब उस दशा में पुलिस को अर्नब गोस्वामी को 72 घंटे पहले नोटिस देना होगा।
पूर्व में मुंबई पुलिस ने दावा किया था कि उसे इस मामले में रिपब्लिक टीवी और उसके एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कुछ सबूत मिले हैं इसलिए आरोपियों को सख्त कार्रवाई से कोई राहत न दी जाए। इसके अलावा इससे पहले कोर्ट में अर्णब की ओर से उनके वकीलों ने कहा था कि पार्थो और आरोपी करीबी दोस्त हैं और दोनों की लीक हुई व्हाट्सऐप चैट का टीआरपी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। गजब तर्क था ये... भविष्य में वकील जब इस मसले की स्टडी कर रहे होंगे तब वो इन दांव पेंचों को तो जरूर ही सीख जाएंगे।
इधर अर्नब ने भी पुलिस पर कुछ आरोप जड़े हैं। क्या आरोप जड़े हैं! अर्णब ने कहा कि मुंबई पुलिस जानबूझकर जांच को खींच रही है। कोर्ट अर्नब गोस्वामी और एआरजी मीडिया की कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। दोनों ने ही कुछ मामलों में कोर्ट से राहत मांगी है। अर्नब ने याचिका में दावा किया है कि मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है और पुलिस आरोपपत्र में संदिग्ध के तौर पर उनका नाम लिखकर जांच को केवल खींच रही है। आपने अर्णब के शो देखे हैं तो ऐसी दलीलें आपको मामूली ही लगेंगी, क्योंकि वो इस से बढ़कर दलीलें और सामने वाले को जलील करने की हद तक आरोप लगाते ही रहते हैं, जिनकी पुष्टि निकट भविष्य में तो होती नहीं दिखती।
अर्णब टीआरपी स्कैम के मामले में कई तरह की दलीले कोर्ट में रख चुके हैं। हालांकि, हाईकोर्ट भी पुलिस से कह चुकी है कि वह किसी भी मामले में कोई नाम लिए बगैर महीनों तक जांच नहीं कर सकती है। अदालत ने कहा था कि तथ्यों को देखें तो पुलिस के पास मामले में गोस्वामी के खिलाफ कुछ भी ठोस नहीं है। बता दें कि फेक टीआरपी केस में रिपब्लिक टीवी चैनल पर मुंबई के कांदिवली पुलिस स्टेशन में एक केस दर्ज हुआ है।
क्या बला है ये टीआरपी!
टीआरपी (TRP) यानी कि टेलीविजन रेटिंग पॉइंट। यह किसी भी टीवी प्रोग्राम की लोकप्रियता को उसकी व्यूवरशिप के जरिए नापने का तरीका है। और ऑडियंस का नंबर पता करने का तरीका है। टीवी के किसी शो को कितने दर्शकों ने देखा, यह टीआरपी से ही पता चलता है। इसी से एडवर्टाइजर्स किसी भी चैनल पर विज्ञापन देते हैं।
क्या है पूरा मामला
मुंबई पुलिस ने 8 अक्टूबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके फॉल्स टीआरपी रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया था। तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया था कि रिपब्लिक टीवी समेत 3 चैनल पैसे देकर टीआरपी खरीदते थे। ये मीडिया के लिए बड़ी खबर थी, लेकिन कई नामी मीडिया घरानों ने इस मामले में चुप्पी साध ली थी, कईयों ने इस मामले में धीरे-धीरे उस वक्त बोलना शुरू किया जब एक दिन मुंबई पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को बड़े ही नाटकीय ढंग से उनके घर से गिरफ्तार कर लिया। तब अपराधियों की तरह धरे गए अर्णब को जेल से बाहर निकालने के लिए रिपब्लिक टीवी ने कई मुहिम चलाई, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के करीबी लोगों का समर्थन भी मिला था।
इस पूरे मामले में कांग्रेस की ओर से शिकायत दर्ज करवाई गई है। कांग्रेस ने शिकायत के लिए BARC के पूर्व सीईओ और टीआरपी घोटाले में गिरफ्तार सह-आरोपी पार्थो दासगुप्ता के उस इकबालिया बयान को आधार बनाया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अर्नब ने टीआरपी बढ़वाने के लिए तीन साल में उन्हें 40 लाख रुपए बतौर रिश्वत दिए थे। दासगुप्ता ने पुलिस को यह भी बताया है कि अर्नब ने दो बार उनके और उनके परिवार को वेकेशन ट्रिप पर जाने के लिए 12 लाख रुपए दिए थे। बता दें कि पार्थो दासगुप्ता और अर्णब की व्हाट्सऐप चैट लीक होने के बाद ही इस मामले में हंगामा बढ़ा था।
पार्थो का इकबालनामा
पुलिस को दिए इकबालनामा में पार्थो ने लिखा है- 'मैं अर्नब गोस्वामी को 2004 से जानता हूं। हम टाइम्स नॉउ में साथ में काम करते थे। मैंने साल 2013 में सीईओ के पद पर BARC जॉइन किया। अर्नब गोस्वामी ने 2017 में रिपब्लिक लॉन्च किया। रिपब्लिक टीवी की लॉन्चिंग से पहले ही उसने मुझे लॉन्चिंग प्लान के बारे में बताया था और इशारों-इशारों में उसके चैनल के लिए अच्छी रेटिंग देने में मदद मांगी थी। गोस्वामी अच्छी तरह जानते थे कि मुझे पता है कि टीआरपी सिस्टम कैसे काम करता है। उन्होंने भविष्य में मेरी मदद की बात कही थी। मैंने टीआरपी रेटिंग में हेरफेर सुनिश्चित करने के लिए अपनी टीम के साथ काम किया, जिससे रिपब्लिक टीवी को नंबर 1 रेटिंग मिली। यह सिलसिला 2017 से 2019 तक चलता रहा। इसके बदले 2017 में अर्नब लोवर परेल स्थित सेंट रेजिस होटल में मुझसे मिले और मेरी फ्रांस व स्विट्जरलैंड की फैमिली ट्रिप के लिए 6000 डॉलर दिए। 2019 में भी अर्नब मुझसे सेंट रेजिस में व्यक्तिगत रूप से मिले और मेरी स्वीडन व डेनमार्क की फैमिली ट्रिप के लिए 6000 डॉलर दिए।'
हालांकि दासगुप्ता के बयान पर उनके वकील अर्जुन सिंह ने 'इंडियन एक्सप्रेस' से बातचीत में कहा था- 'हम इस बयान को पूरी तरह नकारते हैं क्योंकि यह दबाव में दर्ज किया गया होगा। कोर्ट में इसकी कोई प्रमाणिकता नहीं है।'
इस बात का खुलासा मुंबई पुलिस की ओर से 11 जनवरी को अदालत में दायर 3,600 पेज की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में हुआ कि अर्नब ने दासगुप्ता को दो फैमिली ट्रिप के लिए 8,75,910 रुपए दिए थे। चार्जशीट में BARC की एक फॉरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट भी पेश की गई है। इसमें दासगुप्ता और अर्नब के बीच वॉट्सऐप चैट और पूर्व काउंसिल कर्मचारी और केबल ऑपरेटर समेत 59 लोगों के बयान शामिल हैं। मामले में मुंबई पुलिस अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसमें बार्क के पूर्व सीओओ रोमिल रमगढ़िया और रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के सीईओ विकास खानचंदानी भी शामिल हैं। ये मामला ताकतवर लोगों की अदालती कार्रवाई से बड़ा है। इस मामले में ताकतवर लोग जरूर जुड़े हुए हैं, लेकिन ये मामला ये भी बताता है कि कैसे कोई चैनल अपने रसूख और संबंधों का इस्तेमाल कर नियमों की धज्जियां उड़ा सकता है।
खैर अब कुल मिलाकर बात इतनी सी है कि मुंबई पुलिस कभी भी मुंह उठाकर टहलते हुए अर्णब गोस्वामी के घर नहीं जा सकेगी और उनको 'उठाने' से पहले, बहुत पहले ही बताना होगा कि फलां दिन 'डोली' लेकर आएंगे! अब बताइए, अर्णब जैसा शख्स अब ऐसे में टीवी पर कितना कोहराम मचाने वाला है।
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