क्या मोदी ने खुद ही ढहा दिया है अपना 'झूठ का किला'!

क्या मोदी ने खुद ही ढहा दिया है अपना 'झूठ का किला'!

गौरव नौड़ियाल

गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।  

24 दिसंबर साल 2014 में बुधवार की एक दोपहर नरेंद्र मोदी वाराणसी में एक मंच से दहाड़ रहे थे कि वह रेलवे में निवेश जरूर करेंगे, लेकिन उनकी सरकार का इरादा इसके प्राइवेटाइजेशन का कतई नहीं है। उनके इस बयान को टीवी चैनलों ने लपक लिया था और इसे भारतीय जनता को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया। यही काम अगले रोज अखबारों ने भी किया। ये वो दौर था जब मोदी की लोकप्रियता लोगों के सिर के उपर हाहाकारी ढंग से नाच रही थी। बीजेपी उन्हें नए 'नेशनल हीरो' की तरह पेश कर रही थी, जो भारत को बेहिसाब सपने बेच रहा था।

मोदी ने वाराणसी पर मंच से इतने आत्मविश्वास से झूठ बोला कि तब शायद ही उनके फॉलोवर्स को लगा होगा कि रेलवे का निजीकरण उनके ही दूसरे कार्यकाल में गाजे-बाजे के शोर के साथ होगा। तब मोदी ने डंके की चोट पर कहा था कि जो लोग ऐसा कह रहे हैं कि मोदी रेलवे को निजी हाथों में सौंप रहा है, वो अफवाह उड़ा रहे हैं। इसके पीछे उन्होंने अपने रेलवे के दिनों से जुड़ी वो भावुक कहानी फिर दोहराई, जिसके दम पर वो अपनी छवि एक गरीब भारतीय के बतौर करते आए हैं। ये उनके प्रोजेक्शन का ही कमाल है कि उनकी इस छवि ने उन्हें चुनावों में खूब लाभ पहुंचाया है। हालांकि, अब स्थितियां बदल गई हैं। अंदेशे के मुताबिक मोदी के दूसरे कार्यकाल में सरकारी संपत्तियों को बेचने का खेल और तेज हो गया है। सरकार पूरे गाजे-बाजे के साथ सरकार की संपत्तियों को लीज पर दे रही है।

 

सबसे पहले ईमान बेचा और अब…#IndiaOnSale

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 25, 2021

 

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अब जबकि राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना के जरिए यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर सड़क जैसे अलग-अलग बुनियादी ढांचा क्षेत्रों का मौद्रिकरण होना है, तब मोदी के पुराने डायलॉग लौट-लौटकर लोगों को चिढ़ाने के लिए वापस आ रहे हैं। मोदी सरकार ने रेलवे तो छोड़िए ऐसे कई एसेट्स को बेचने के अपने इरादों से पर्दा उठा दिया है, जिनको लेकर सुगबुगाहट तक होने पर भाजपा के मंत्री और खुद प्रधानमंत्री राष्टवाद का चोला ओढ़कर बचाव की मुद्रा में आ जाते थे। मोदी सरकार की योजनाएं दरअसल कुछ और थी, जो अब सामने आ रही हैं। ये कोई नई बात भी नहीं है, बल्कि खुद मोदी कई मौकों पर सार्वजनिक तौर पर खुलेआम झूठ बोल चुके हैं।

बुधवार की उस दोपहर मोदी ने हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित करते हुए कहा था कि वो रेलवे में तकनीक जरूर आयात करेंगे, लेकिन इसके निजीकरण के बारे में वो सोच भी नहीं रहे। ये बयान ऐसे ही नहीं आया था, बल्कि उस पूर्वयोजना से ध्यान हटाने का तरीका था, जिसने रेलवे के निजीकरण की सुगबुगाहट को तेज कर दिया था। भीड़ पहले ही मोदी की कैंपेन के आगे विपक्षी नेताओं को हवा में उड़ा चुकी थी और कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी। मोदी ने शायद भांप लिया था कि पब्लिक इस वक्त उनसे कही गई हर बात को लपकने के लिए तैयार है, लिहाजा विपक्षी नेताओं के विरोध का कोई नुकसान मोदी सरकार की नीतियों को नहीं उठाना पड़ा। अब जबकि स्थितियां बेहद साफ हो गई हैं, तब मोदी के समर्थक रहे इन उपक्रमों में काम करने वाले कई कर्मी भी आशंकित नजर आ रहे हैं। इनमें से कई उपक्रमों के कमी हड़ताल पर हैं या जाने का मन बना रहे हैं।

सरकार मौद्रिकरण के जरिये इन क्षेत्रों में अपनी हिस्सेदारी निजी क्षेत्रों को बेचेगी। सराकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने को लेकर मोदी सरकार का तर्क है कि कोविड लॉकडाउन और उसके बाद की मंदी ने निजीकरण की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है, जबकि हकीकत में कोविड से पहले भी भारत की अर्थव्यवस्था की हालात कोई खास अच्छी नहीं थी। सरकार उम्मीद जता रही है कि इस योजना के जरिए चालू वित्त वर्ष से मार्च 2022 तक 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाए जा सकेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) की घोषणा की है। इसका मतलब है कि सरकार मौद्रिकरण के जरिये सरकारी उपक्रमों में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी।

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राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना के तहत वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2025 तक चार साल की अवधि में केंद्र सरकार की मुख्य संपत्तियों के माध्यम से छह लाख करोड़ रुपये की निवेश संभावनाओं का अनुमान है। सरकार ने मौद्रिकरण के लिए कुल 400 रेलवे स्टेशनों, 90 यात्री रेलगाड़ियों, रेलवे के कई खेल स्टेडियम और कॉलोनियों के साथ ही प्रसिद्ध कोंकण और पहाड़ी रेलवे की पहचान की है। सड़क के बाद रेलवे दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है, जिसे महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना में शामिल किया गया है. वित्त वर्ष 2025 तक चार वर्षों में रेलवे की ब्राउनफील्ड अवसंरचना संपत्तियों का मौद्रिकरण कर 1.52 लाख करोड़ रुपये से अधिक हासिल किए गाएंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को जारी की गई छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण योजना (एनएमपी) में रेलवे की संपत्ति का 26 प्रतिशत योगदान होगा। निजी निवेश हासिल करने के लिए चेन्नई, भोपाल, वाराणसी एंव वडोदरा सहित भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) के करीब 25 हवाई अड्डे, 40 रेलवे स्टेशनों, 15 रेलवे स्टेडियम और कई रेलवे कॉलोनी की पहचान की गई है। इन्हें निजी क्षेत्र के निवेश से विकसित किया जाएगा। इसके अलावा इन परिसंपत्तियों को सरकारी एजेंसी को वापस करने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए परिसंपत्तियों का संचालन और विकास कर सकती हैं. इसके तहत गोदाम और स्टेडियम जैसी कुछ संपत्तियां भी संचालन के लिए लंबी अवधि के पट्टे पर दी जा सकती हैं।

सीतारमण ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘संपत्ति मौद्रिकरण पाइपलाइन के जरिये एनआईपी (नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन) को अगले चरण में ले जाया गया है, जहां आप सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) पर ध्यान देंगे। एनएमपी ब्राउनफील्ड (मौजूदा) बुनियादी ढांचा संपत्तियों से संबंधित है, जहां निवेश पहले हो चुका है, जहां एक पूर्ण संपत्ति है, जो या तो बेकार पड़ी है या जिसमें संभावनाओं का पूरा निवेश नहीं पाया है या जिसका क्षमता के अनुरूप इस्तेमाल नहीं हुआ है।’

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क्या है सरकार की योजना
सरकार की योजना सड़क क्षेत्र से 1.6 लाख करोड़ रुपये, रेलवे संपत्ति से 1.52 लाख करोड़ रुपये, बिजली ट्रांसमिशन लाइनों से 45,200 करोड़ रुपये, प्राकृतिक गैस संपत्ति से 39,832 करोड़ रुपये और दूरसंचार परियोजनाओं से 35,100 करोड़ रुपये जुटाने की है। 1.6 लाख करोड़ रुपये इस समय चालू राष्ट्रीय राजमार्गों और नई सड़कों के 26,700 किलोमीटर के मौद्रिकरण से आएगा। इनमें से कुछ संपत्तियों के मौद्रिकरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण इन्विट (इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट या InvIT) का रास्ता अपनाएगा। यानी इन्विट के जरिये इन राजमार्गों के लिए संसाधन जुटाए जाएंगे।

अकेले रेलवे पर बड़ा दांव
वित्त वर्ष 2022-25 के दौरान मौद्रिकरण के लिए चिह्नित की गई प्रमुख रेल संपत्तियों में 400 रेलवे स्टेशन, 90 यात्री रेलगाड़ियां, 1400 किलोमीटर लंबी रेल की पटरी, कोंकण रेलवे का 741 किलोमीटर लंबा हिस्सा, 15 रेलवे स्टेडियम और चयनित रेलवे कॉलोनियां और चार पहाड़ी रेल शामिल हैं। निजी भागीदारी के जरिये इनका विकास किया जाएगा। कोंकण रेलवे से 7,281 करोड़ और पहाड़ों पर चलने वाली रेलवे के मौद्रीकरण से 630 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। 

यहां से भी रुपया बटोरेगी सरकार
दूरसंचार क्षेत्र में भारतनेट फाइबर के 2.86 लाख किलोमीटर और बीएसएनएल एवं एमटीएनएल के 14,917 सिग्नल टावरों के मौद्रिकरण से 35,100 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसी प्रकार गोदामों और कोयला खदानों में मौद्रिकरण से 29,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। वहीं 8,154 किलोमीटर लंबे प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के मौद्रिकरण से 24,462 करोड़ रुपये और 3,930 किलोमीटर उत्पाद पाइपलाइनों के मौद्रिकरण से 22,504 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। हवाई अड्डों के मौद्रिकरण से 20,782 करोड़ रुपये और बंदरगाहों से 12,828 करोड़ रुपये मिलेंगे। नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम सहित दो राष्ट्रीय स्टेडियम और बेंगलुरु एवं जीरकपुर (चंडीगढ़ के पास) में स्थित दो क्षेत्रीय केंद्रों के मौद्रिकरण से 11,450 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है। दिल्ली में सरोजिनी नगर एवं नौरोजी नगर सहित सात आवासीय कॉलोनियों के पुनर्विकास और साथ ही घिटोरनी में 240 एकड़ भूमि पर आवास/वाणिज्यिक इकाइयों के विकास से भी 15,000 करोड़ रुपये जुटाए जाने का आंकलन है। बिजली के 28,608 सर्किट किलोमीटर बिजली ट्रांसमिशन लाइनों के मौद्रिकरण से 45,200 करोड़ रुपये मिलने का अनुमान है और अन्य 39,832 करोड़ रुपये छह गीगावाट की विद्युत उत्पादन संपत्तियों से आएंगे।

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कांग्रेस ने किया जोरदार प्रहार
सरकार की इस घोषणा के तुरंत बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने कहा, "मैं युवाओं को बताना चाहता हूं कि देश क्या बेच रहा है। नरेंद्र मोदी जी और भाजपा का नारा था कि 70 साल में कुछ नहीं हुआ। लेकिन वित्त मंत्री ने कल 70 सल में जो पूंजी बनी थी, उसे बचने का फैसला किया। मतलब यह है कि प्रधानमंत्री ने सबकुछ बेच दिया।" उन्होंने कहा कि, "यह 2 से 3 निजी खिलाड़ियों को बेचा जा रहा है...मैंने कोरोना पर बात की, आप सभी हंसे और आपने देखा, और मैं यह कह रहा हूं कि इसका इस देश के भविष्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा।" कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की छह लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (एनएमपी) के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकाश, पाताल और जमीन सब बेच डालेंगे। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया- ‘60 लाख करोड़ रुपये की देश की संपत्ति की सेल- सड़क, रेल, खदान, दूरसंचार, बिजली, गैस, हवाईअड्डे ,बंदरगाह, खेल स्टेडियम… यानी मोदी जी… आसमान, जमीन और पाताल सब बेच डालेंगे। भाजपा है तो देश की संपत्ति नहीं बचेगी।’ हालांकि, इसके तोड़ में बीजेपी की आईटी सेल पहले से ही तैयार नजर आ रही है।

वापस उस दोपहर पर लौटते हैं जब मोदी अपने विरोधियों के उन आरोपों को अफवाह बता रहे थे, जिनमें उन पर रेलवे की संपत्तियों को बेचने के आरोप लगाए जा रहे थे। उस रोज मोदी ने अपने झूठ के जिस किले को मजबूत बनाने की कोशिश की थी, ऐसा लग रहा है इस योजना की घोषणा के साथ ही उन्होंने खुद लात मारकर अपने 'झूठ के किले' को ढहा दिया है। हालांकि, यह भी सच है कि बावजूद इसके अधिकत्तर भारतीय इस मसले को लेकर उदासीन ही नजर आ रहे हैं।

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