आदमी के दिमाग में गॉड को बनाने का आइडिया कब आया!

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NEWSMAN DESK

लगभग 13.5 अरब साल पहले पदार्थ, ऊर्जा, देश और काल उस घटना की वजह से अस्तित्व में आये थे, जिसे दुनिया में 'बिग बैंग थ्योरी' के नाम से जाना जाता है। इसके करोड़ों साल बाद यानी आज से 25 लाख साल पहले सबसे पहले पूर्वी अफ्रीका में वानर अस्तित्व में आये, जिसे आस्ट्रेलोपिथिक्स (Southern ape) के नाम से जाना जाता है।

लगभग बीस लाख साल पहले इन आस्ट्रेलोपिथिक्स से कुछ आदि पुरूष और स्त्रियां उत्तरी अफ्रीका, यूरोप और एशिया के विस्तीर्ण इलाकों में बसने के लिये मातृभूमि छोडकर एक लंबी यात्रा पर निकल पड़े। अब क्योंकि उत्तरी यूरोप के बर्फीले जंगलों में जीवित बने रहने के लिये ऐसा लक्षण चाहिये थे जो इंडोनेशिया के प्रवाहमान जंगलों में जिंदा रहने से अलग और जरूरी हों। इसलिये मनुष्यों की आबादी विभिन्न दिशाओं में विकसित हुई। इसका परिणाम अनेक पृथक प्रजातियों के रूप में सामने आया। जिनमें से प्रत्येक प्रजाति के लिये वैज्ञानिकों ने एक लैटिन नाम दिया है। मसलन, यूरोप और पश्चिमी एशिया के मनुष्य 'होमो निएंडरथलेंसिस' के रूप में विकसित हुये, जिन्हें आम तौर पर 'निएंडरथल्स' कहा जाता है। वहीं जो लोग एशिया पहुंचे वो होमो इरेक्टस (तन कर खड़े रहने वाले) कहलाये। दोनों ही प्रजाती बीस लाख सालों तक बनी रही और ये अब तक की सबसे टिकाऊ मनुष्य प्रजाति साबित हुई। इसी तरह इंडोनेशिया में होमो सोलोऐंसिस और साइबेरिया में डेनिसोवा प्रजाति पाई जाती थी। 

अब जबकि धरती पर ईश्वर और धर्म के नाम पर कोलाहल मचा हुआ है, तब ये जानना और जरूरी हो जाता है कि आखिर भगवान का अवतरण कब हुआ! आस्था से परे विज्ञान के पास इस मारक सवाल का सटीक जवाब मौजूं है!

असल में आज से लगभग बीस लाख साल पहले से लेकर लगभग दस लाख साल पूर्व तक दुनिया में एक ही समय में कई मनुष्य प्रजातियां अलग-अलग रहा करती थी। आज जैसे लोमडियां, कुत्ते, बंदर, सूअर, भालू, शेर आदि जानवरों की कई प्रजातियां है, ठीक उसी तरह मनुष्य की भी कई प्रजातियां थी। आदमी बनने का सफर बेहद पुराना है, लेकिन आदमी ने 'आदमी' बनना असल में कुछ सौ साल पहले ही शुरू किया।

आज से एक लाख साल पहले ही होमो सेपियन अस्तित्व में आये थे। होमो सेपियन यानी कि हम लोग, जो इस वक्त दुनिया में अस्तित्व में हैं। अमेरिका से लेकर रूस तक और पाकिस्तान से लेकर भारत और आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड तक के बांशिदे इसी कड़ी का हिस्सा हैं। मतलब पूरी पृथ्वी में जितने भी इंसान रहते हैं, चाहे वो गोरे हों या काले, लंबे हों या नाटे सभी होमो सेपियन प्रजाति ही है। अब खुद सोचिये कि तब धर्म और ईश्वर के झगड़े क्यों... वो इसलिए कि आदमी खुराफाती है!

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होमो सेपियन की उत्पत्ति का बड़ा कारण आग की खोज बना। पहले जहां मानव कच्चा मांस खाता था, आग की उत्पति ने उसे क्रांतिकारी शुरुआत करवा दी थी। कच्चे मांस को पचाने में ही छह से सात घंटे लगते थे, जिसके चलते आंतों को ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती थी। लिहाजा इंसान का शरीर बडा और दिमाग छोटा होता था। आग में खाना बनाने से इंसान को पचाने में कोई दिक्कत नहीं रही। इसलिये अब जो ऊर्जा आंतों को मिलती थी। वो दिमाग के काम आने लगी। जिस कारण इंसान का दिमाग बडा और इंटेलिजेंट होने लगा। सीधे कहें तो बंदर से आदमी बनने के लक्षण आने लगे थे।

वैज्ञानिकों के अनुसार, आस्ट्रेलोपिथिक्स से निएंडरथलेंसिस तक और इससे भी लाखों साल बाद होमो सेपियन काल के मध्य तक धर्म का कहीं नामों निशान पृथ्वी पर नहीं था। आज मजहब को अक्सर भेदभाव, असहमति और फूट के श्रोत के रूप में देखा जाता है, लेकिन असल में धर्म, मानव जाति को एकीकरण करने वाले पैसे और साम्राज्यों के साथ-साथ तीसरी बड़ी शक्ति के रूप में उभरा और फैलता चला गया। इसी वक्त होमो सेपियन धर्मों, पूंजी और साम्राज्य के कारण बंटते चले गए और एक दूसरे से नफरत उपजने लगी। मतलब, जो प्यार पूरी मानव जाति में था, वो अब खत्म होने लगा था। 

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इतिहास के सर्वाधिक सुविख्यात धर्म मसलन, इस्लाम और बौद्ध धर्म, सार्वभौम और प्रचारधर्मी है। नतीजन, लोग ऐसे मानने की ओर प्रवत होते हैं कि सारे मजहब इन्हीं के जैसे है। जबकि प्राचीन मजहब स्थानीय और विशिष्ट होते हैं। इनके अनुयायी स्थानीय देवी देवताओं और आत्माओं में विश्वास रखते थे और सारी मानव प्रजाति को अपने मजहब में मिला लेने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं होती थी। तो हुआ ये कि धर्म और अपने देवताओं के विस्तार की सनक ने मौजूदा दुनिया की नींव रखना शुरू कर दिया।

सार्वभौमिक और प्रचारधर्मी धर्मों के प्रकट होने की शुरूआत ईसा पूर्व पहली सहस्राब्दी में ही हुई है। हालांकि ये मानव सभ्यता की सबसे अहम क्रांतियों में से एक है। इसने मानव जाति के एकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान किया। कुछ वैसे ही ही योगदान, जैसे सार्वभौमिक साम्राज्यों और सार्वभौमिक पैसे के प्रभाव ने किया। कुल मिलाकर जिस धर्म को लेकर इतना सिर फटव्वल पूरी दुनिया में है, जिन आलौकिक शक्तियों के नाम पर इतने दंगे फसाद हैं, असल में वो सभी धर्म इंसानों ने कुछ ही हजार साल पहले बनाये हैं। धर्म बनाने से पहले वो आग बना रहा था, हथियार बना रहा था और लगातार वैज्ञानिक अनुसंधान में अपनी खोपड़ी खपा रहा था। 

रेफरेंस :
- युवाल नोआ हरारी की किताब 'सेपियंस'
 - युलियान ब्रोमलेय और रोमान पोदोल्नी की 'मानव और संस्कति'

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