बीते दिनों 'हिलांश' पर एक खबर प्रकाशित की थी, जिसमें बाबा रामदेव के कोरोना मरीजों का मजाक उड़ाने के बारे में बताया गया था। अब खबर आ रही है कि जालंधर में डॉक्टर नवजोत सिंह दहिया ने बाबा रामदेव के खिलाफ केसदर्ज करवा दिया है। डॉ. नवजोत का कहना है कि इस तरह की टिप्पणियां डॉक्टरों के लिए अपमानजनक और मानहानिकारक हैं। इस मामले में जब हमने डॉक्टर्स से बात की थी, तब उन्होंने भी रामदेव की सलाह को मरीजों के लिए प्राणघातक करार दिया था। जालंधर के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (डीसीपी) गुरमीत सिंह ने कहा है कि उन्हें शनिवार को इस संबंध में एक शिकायत मिली है और उन्होंने जांच करना शुरू कर दिया है, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी। इधर डॉ. दहिया ने कहा है कि यदि पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती है तो वे कोर्ट केस दायर करेंगे।
ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे कोरोना मरीजों और डॉक्टरों का मजाक उड़ाने वाली बाबा रामदेव की टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के उपाध्यक्ष डॉ. नवजोत सिंह दहिया ने शनिवार को जालंधर पुलिस में केस दर्ज करवाया है। डॉ. दहिया का कहना है कि रामदेव की टिप्पणी बेहद घातक है और ऐसे में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिये।
बता दें कि हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बाबा रामदेव कह रहे थे- 'भगवान ने मु्फत में ऑक्सीजन दे रखी है... ले ऑक्सीजन की कमी पड़ रही है। भगवान ने सारा ब्रह्मांड भर रखा है ऑक्सीजन से। ले तो ले बावले .... बाहर सिलेंडर ढूंढ रहे हैं, अपने भीतर के सिलेंडर तो भर ले! सिलेंडर कम पड़ गए! (मखौल उड़ाते हुए नाटकीय आवाज में) ... जिनका 70-80 तक ऑक्सीजन लेवल आ गया था, मैंने भस्रिका, कपाल भाती और अनुलोम विलोम करवाकर उनका ऑक्सीजन लेवल 98-100 कर दिया। मरे जा रहे हैं... हॉस्पिटल कम पड़ गए, श्मसान कम पड़ गए...चारों तरफ नकारात्मक वातावरण बना रखा है।'
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इससे पहले डॉ. नवजोत सिंह दहिया उस वक्त सुर्खियों में आ गए थे, जब उन्होंने महामारी के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों पर टिप्पणी करते हुये उन्हें ‘सुपर स्प्रेडर’ कहा था। आईएमए उपाध्यक्ष ने मांग की है कि कोविड-19 को लेकर प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए रामदेव के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणियां करना कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए जारी किए गए निर्देशों का उल्लंघन है और ऐसे में रामदेव को कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाना बेहद जरूरी हो जाता है। दहिया ने अपनी शिकायत में रामदेव ही नहीं बल्कि पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की है।
डॉ. दहिया ने 'दि वायर' से बातचीत में कहा कि रामदेव ने कोरोना के संबंध में ‘गलत’ सलाह देकर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 और महामारी रोग अधिनियम 1897 का उल्लंघन किया है और इसके तहत उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। आईएमए उपाध्यक्ष ने कहा कि इस तरह की टिप्पणियां करके रामदेव डॉक्टर एवं मेडिकल समुदाय को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं, ताकि ज्यादा लोग उनके पतंजलि योगपीठ में आएं।
न्यूज पोर्टल से बातचीत में उन्होंने कहा- ‘देश की स्वास्थ्य व्यवस्था बिल्कुल चरमरा गई है और डॉक्टरों पर काफी ज्यादा भार है। हम डॉक्टरों और एमबीबीएस छात्रों को लिए प्रार्थना कर रहे हैं, जो कि कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे हैं और रामदेव उनका सहयोग करने के बजाय उनका मखौल उड़ा रहे हैं। महामारी के दौरान 900 से अधिक डॉक्टरों की मौत हो चुकी है।’
बाबा रामदेव और उनकी पतंजलि योगपीठ कोरोना महामारी के दौरान पहले भी विवादों में आ चुकी है। रामेदव की कंपनी इससे पहले कोविड-19 के इलाज की दवा खोज लने का दावा कर चुकी है, जिसपर पतंजलि की खूब फजीहत भी हुई।
इस संबंध में हमने वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. शिव पूजन पटेल से बातचीत की और यह जानने की कोशिश की कि किस अवस्था में किसी मरीज को आखिर ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। इस पर डॉ. शिव ने कहा- 'इंफेक्शन के चलते मरीज के फेफड़ों में इंफेक्सियस प्रोडक्ट (बलगम) भर जाता है, जिसे सामान्य तौर पर निमोनिया कहते हैं। इसकी वजह से लंग्स ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड का लंग्स में एक्सचेंज नहीं हो पाता और शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। ऐसे में यदि मरीज के लंग्स 20 से 25 फीसदी तक भी निमोनिया से ग्रसित हैं, तो मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ने लगती है। आधे लंग्स के साथ नेचुरल ऑक्सीजन जो कि एनवॉयरमेंट में 21 फीसदी ही होती है, में मरीज का सर्वाइव करना मुश्किल हो सकता है। ऐसी स्थिति में मरीज को प्योर फॉर्म में अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत होती है।' कुल मिलाकर, जब मरीज के लंग्स इंफेक्टेड हो जाते हैं, तब उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ती ही है, न कि जैसा रामदेव कहते नजर आ रहे हैं, उस तरह से मरीज की जान बचाई जा सकती है। बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में बाबा की फजीहत बढ़ती है या फिर हर बार की तरह वो बच निकलते हैं।
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