त्रिपुरा से चिंताजनक खबरें आ रही हैं। भाजपा कार्यकताओं पर अखबार के दफ्तरों समेत भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा के कार्यालयों और नेताओं के घरों पर हिंसा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। बीजेपी कार्यकर्ताओं की उग्र भीड़ द्वारा मुख्य विपक्षी माकपा के कार्यालयों और नेताओं के घरों पर हुई हिंसा के खिलाफ दिल्ली में माकपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शन में माकपा के महासचिव सीतराम येचुरी, पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, प्रकाश करात, सुभाषणी अली, राज्यसभा सांसद वी शिवदसान, दिल्ली राज्य सचिव के एम तिवारी भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव डी. राजा समेत कई अन्य नेता भी शमिल हुए हैं। मीडिया पर हमले की भी व्यापक तौर पर आलोचना की जा रही है, हालांकि भाजपा ने इस मामले को राजनीतिक झड़प बताया है जबकि तस्वीरें कुछ और बयान कर रही हैं।
माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि यह हमला माकपा पर नहीं बल्कि देश के लोकतंत्र पर है। बीजेपी और आरएसएस देश के संवैधानिक मूल्यों को खत्म करना चाहती है। येचुरी न कहा कि ये हमला हमारे द्वारा लड़े जा रहे जनता के संघर्ष को दबाने का प्रयास है। येचुरी ने कहा- 'वो नहीं जानते इससे हम डरने वाले नहीं हैं।' गौरतलब है कि त्रिपुरा में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही विपक्ष लगातार सरकार प्रायोजित हिंसा के आरोप लगा रहा है। पंचायत चुनावों के दौरान भी बीजेपी पर वाम समर्थित उम्मीदवारों को नामांकन तक दाखिल न करने देने के आरोप लग चुके हैं। ये कुछ वैसे ही था जैसा कि पिछले दिनों बीजेपी शाषित राज्य यूपी में देखने को मिला था, जहां सपा ने कुछ इसी तरह के आरोप लगाए थे। हाल ही में त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार को धनपुर जाने से रोका गया था और माकपा ने उस दौरन भी हिंसा का आरोप लगाया था।
खबरों के मुताबिक यह हमला उस वक्त हुआ जब माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने अपने राष्ट्रीय अभियान 'कहां है हमारा रोज़गार' के सवाल पर जुलूस निकाला। इस तरह का प्रदर्शन देशभर के अलग-अलग राज्यों में लगातार हो रहे हैं। दिल्ली में भी डीवाईएफआई ने केजरीवाल सरकार से यही सवाल पूछते हुए 12 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास घेरने का आह्वान किया है। हालांकि, बीजेपी नेताओं का कहना है कि इसी दौरान माकपा के लोगों ने बीजेपी के कार्यकर्ता पर कथित तौर पर हमला किया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए।
डीवाईएफआई के दिल्ली राज्य सचिव अमन सैनी ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार जनता के बीच उठ रहे असंतोष के सुर को दबाने के लिए प्रयास कर रही है। आज त्रिपुरा में बेरोजगारी रिकॉर्ड स्तर पर है, लेकिन जब युवा रोजगार मांगता है तो सरकार उन पर हमला कर रही है। माकपा ने अपने स्टेटमेंट में कहा है कि उदयपुर उपमंडल कार्यालय, गोमती जिला समिति कार्यालय, सिपाहीजाला जिला समिति कार्यालय, विशालगढ़ उपमंडल समिति कार्यालय, पश्चिम त्रिपुरा जिला समिति कार्यालय और सदर उपमंडल समिति कार्यालय को जला दिया गया है।
त्रिपुरा में केवल माकपा के दफ्तरों पर ही नहीं बल्कि सरकार से सवाल पूछने वाले मीडिया को भी नहीं बख्शा गया है। एक स्थानीय अखबार 'प्रतिभा कलम' के कार्यालयों पर भी हमले की खबरें और वीडियो सामने आया है। इसके अलावा माकपा समर्थित समाचार पत्र 'डेली देशारकथा' समेत एक इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल 'पीएन-24 न्यूज' का कार्यालय भी क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। इस मसले पर प्रकाश करात ने कहा- 'ये कोई राजनीतिक झड़प नहीं बल्कि एक सुनियोजित हमला है। बीजेपी के नेता चाहते हैं कि वाम मोर्चा के लोगों को डरा दिया जाए, जिससे वो विरोध न करे, लेकिन बावजूद इसके हम लड़ रहे हैं।'
इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। एक वीडियो में नजर आ रहा है कि माकपा राज्य समिति कार्यालय के सामने सीआरपीएफ जवान मौजूद थे, लेकिन आरोप है कि हमले से ठीक एक घंटे पहले ही उन्हें वापस बुला लिया गया। इससे पहले माकपा के नेता सीताराम येचुरी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि त्रिपुरा में आठ सितंबर को उनकी पार्टी के दफ्तरों पर ‘बीजेपी के लोगों की भीड़’ द्वारा हमला किया गया।
इस पत्र में उन्होंने लिखा कि माकपा और वाम मोर्चे के खिलाफ इन हिंसक हमलों को रोकने के लिए हम आपसे बिना किसी देरी के हस्तक्षेप करने का पुरजोर अनुरोध करते हैं। जिस तरह से हमले हुए, उससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार कानून-व्यवस्था बनाए रखने और राजनीतिक गतिविधियों को शांतिपूर्ण तरीके से आयोजित करने के विपक्ष के संवैधानिक अधिकारों को कायम रखने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने में पूरी तरह विफल है।
दिल्ली की तरह ही माकपा की हरियाणा राज्य कमेटी ने भी अपने सभी इकाइयों से इस बर्बर हिंसा के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरने का आह्वान किया है। बयान जारी करते हुए पार्टी के राज्य सचिव सुरेंद्र सिंह ने कहा है कि पूर्व नियोजित तरीके से राज्य मुख्यालय सहित माकपा के कार्यालयों पर भाजपा कार्यकर्ताओं की भीड़ ने हमला किया जो की निंदनीय है। सिंह ने कहा कि गुंडे जिस ढंग से हिंसा कर रहे हैं, वह राज्य सरकार की मिलीभगत को दर्शाता है।
बहरहाल, त्रिपुरा में मीडिया पर हुए हमले की निंदा की जा रही है। यह कोई पहला मामला नहीं है जब राजनीतिक गुंडों ने मीडिया पर हमला बोला है, बल्कि इससे पहले भी इस तरह की कई घटनाएं देखने को मिली हैं। भारत में पहले से प्रेस की दयनीय स्थिति, इस तरह के हमलों के बाद एक बदरंग तस्वीर ही बनाती है।
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