मुंबई से बद्रीनाथ तक ताउते का कहर, उत्तराखंड में कई जगह आफत की बारिश, देश में कई लोगों की गई जान

Tauktae मुंबई से बद्रीनाथ तक ताउते का कहर, उत्तराखंड में कई जगह आफत की बारिश, देश में कई लोगों की गई जान

NEWSMAN DESK

महाराष्ट्र और गुजरात में कहर ढ़ाने के बाद ताउते ने उत्तर भारत के कई इलाकों, खासकर पहाड़ों पर आफत बरसा दी है। ताउते तूफान का असर लगभग भारत के सभी राज्यों में देखा जा रहा है। इसका असर उत्तर भारत में भी व्यापक तौर पर दिखने लगा है। यूपी के कई जिलों में जहां मंगलवार को बारिश हुई तो, देश की राजधानी दिल्ली में साल 1951 के बाद मई में तापमान का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पिछले 24 घंटों से हो रही बारिश का असर भी अब दिखने लगा है। राज्य के कई इलाकों से भूस्खलन की खबरें सामने आ रही हैं, तो कई जगह लोगों के मरने की भी सूचनाएं सामने आई हैं। ताउते को लेकर गुरुवार को ही उत्तराखंड में रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है।

ताऊ ते तूफान ने कई राज्यों के मौसम का मिजाज बिगाड़ दिया है। सामान्य तौर पर जहां मई में तेज गर्मी पड़ती है, वहीं अभी 6 राज्यों में बारिश हो रही है। इससे यहां तापमान भी कम हो गया है। मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक तूफान के कारण दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भारी बारिश हुई है। दिल्ली में बारिश का 120 साल पुराना रिकॉर्ड टूट गया है। उत्तराखंड में जहां एक ओर नदियां उफान पर हैं, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फवारी भी हुई है। राज्य के कई इलाकों में सड़कें बंद हो गई हैं, तो कई जगह भूस्खलन के चलते आवासीय इलाकों में मलबा घुसने की सूचनाएं सामने आ रही है। एनडीआरएफ की टीमें प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू अभियान में जुटी हुई हैं।

उत्तराखंड में कहीं भूस्खलन कहीं बादल फटे
देहरादून जिले के जौनसार बाबर के क्वासी क्षेत्र में बिजनाड खड्ड नामक स्थान पर बादल फटने की घटना में तीन लोग लापता हो गए। इस घटना में कुछ पशुओं के भी बह जाने की सूचना है। जानकारी के अनुसार चकराता के क्वासी क्षेत्र के बिजनाड खड्ड में गुरुवार की सुबह लगभग 8:30 बजे बादल फटने से तेज वर्षा हुई, जिससे पानी व मलबे की चपेट में आकर तीन लोग बह गए। पुलिस और एनडीआरएफ की टीम, स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ मिलकर इस क्षेत्र में रेस्क्यू अभियान चला रही है।

इधर उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में भी दो मकान टूटने की सूचना है। लगातार हो रही बारिश की वजह से मैदानी इलाकों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है। लगातार हो रही बारिश के चलते सूबे की सभी नदियां उफान पर हैं। देहरादून सहित हरिद्वार में जलभराव की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। गढ़वाल मंडल में चमोली जिले में बारिश तबाही मचा रही है। यहां बदरीनाथ हाईवे पर अतिवृष्टि के कारण लामबगड़ नाला उफान पर आ गया है, जिस वजह से यहां एक मालवाहक ट्रक फंस गया। चालक और परिचालक ने किसी तरह से भागकर अपनी जान बचाई है। 

 

#TauktaeCyclone effect in #uttarakhand. Landslide and heavy rainfall has disturbed life in mountains. pic.twitter.com/lnuHKNbkzx

— Hilansh (@Hilansh1) May 20, 2021

 

मलबा आने से बंद हुआ गंगोत्री हाईवे
गंगोत्री हाईवे पर मलबा आने से यातायात बंद हो गया है। यहां खनेडा मोटर पुल के पास भूस्खलन होने से मार्ग बंद हो गया है। इलाके में मौजूद घरों पर मलबा गिरने का खतरा भी बना हुआ है। नैनीताल जिले में ज्योलिकोट वीरभट्टी पुल के पास मलबा आने से हाईवे बंद हो गया है। मलबा हटाने के लिये जेसीबी लगाई गई है। ऋषिकेश-बद्रीनाथ पर आॅल वेदर रोड पर देवप्रयाग से कौडियाला के बीच जगह-जगह बोल्डर आने से यातायात पूरी तरह से बंद हो गया है। यहां केवल एम्बुलेंस का रास्ता बनाने के लिए पुलिस के जवानों की ड्यूटी लगाई गई है।

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक मैदान से लेकर पहाड़ तक बारिश के साथ ही कई स्थानों पर बिजली गिरने का भी खतरा है। मैदानी क्षेत्रों में 40 से 50 किलोमीटर की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। मौसम विज्ञान केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक समुद्री चक्रवात और पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के चलते मौसम में आए बदलाव की वजह से उत्तराखंड के कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है।

ओएनजीसी के कई लोग गायब
ताउते तूफान के दौरान मुंबई में डूबे बार्ज P305 से लापता 61 लोगों को बचाने का काम जारी है। इस बीच बचाए गए लोगों ने बार्ज को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि तूफान आने से पहले कप्तान ने कहा था कि बार्ज नहीं डूबेगा और जब स्थितियां बिगड़ी तो कप्तान खुद बोट लेकर मौके से गायब हो गया। इस खुलासे के बाद केंद्र सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं। पी-305 पर मौजूद लोगों में से अब तक 26 की मौत हो गई है।

गौरतलब है कि 600 से ज्यादा लोगों के साथ ओएनजीसी के कई जहाज चक्रवात ताउते के दौरान अपतटीय क्षेत्रों में फंसे हुए थे। जहाज़ों के फंसे होने और बाद की घटनाओं के कारण दसियों लोगों की जान चली गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक नौसेना के एक प्रवक्ता ने बताया कि दो अन्य बार्ज्स और एक ऑयल रिंग पर मौजूद सभी लोग सुरक्षित हैं। प्रवक्ता ने बताया— 'मुंबई और गुजरात में तीसरे दिन भी तलाश और बचाव अभियान अभी जारी है और लोगों को तट तक सुरक्षित लाने की उम्मीद हमने अब तक नहीं छोड़ी है।' हालांकि, लोगों के सुरक्षित मिलने की उम्मीद समय बीतने के साथ क्षीण पड़ती जा रही है।

शव लेकर पहुंचा युद्धपोत
नौसेना का युद्धपोत आईएनएस कोच्चि पी-305 से बचाए गए 186 लोगों में से 125 को लेकर बुधवार सुबह मुंबई पहुंचा। प्रवक्ता ने बताया कि इनके साथ ही 22 शवों को भी लाया गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक नौसेना के एक प्रवक्ता ने बताया, 'बुधवार सुबह तक, पी-305 पर मौजूद 186 कर्मियों को बचा लिया गया है। आईएनएस तेग, आईएनएस बेतवा, आईएनएस ब्यास, पी-81 विमान और हेलीकॉप्टरों की मदद से तलाश और बचाव अभियान जारी है।'

ताउते के बाद तबाही लेकर आ रहा है साइक्लोन यास
चक्रवात के बाद देश में एक और चक्रवात तबाही मचाने के लिए रास्ते में आ रहा है। भारत मौसम विभाग ने इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी है। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले 48 घंटे में हवा का कम दबाव बनने की आशंका है जो चक्रवात का रूप ले सकता है। इस सूचना के बाद पश्चिम बंगाल और ओडिशा के वरिष्ठ अधिकारियों ने जिला प्रशासन के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। भारतीय मौसम विभाग IMD के अधिकारियों ने बताया कि हवा का कम दबाव उत्तरी अंडमान सागर में बन रहा है। 22 मई को यह दबाव तेजी से बढ़ना शुरू होगा और 26 मई की शाम तक या तो यह बंगाल की खाड़ी या फिर उड़ीसा के से टकरा सकता है। अगर यह चक्रवात वास्तव में बनता है तो इस साल बंगाल की खाड़ी से टकराने वाला यह दूसरा चक्रवात होगा।

पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा खतरा 
मौसम विज्ञान विभाग के क्षेत्रीय निदेशक जी के दास ने कहा कि यह उत्तर पश्चिम की तरफ बढ़ सकता है और 26 मई की शाम तक पश्चिम बंगाल-उड़ीशा के तटों तक पहुंच सकता है। 22 मई को बनने वाला कम दबाव का क्षेत्र अगले 72 घंटे में चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। साथ ही बताया कि पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों में 25 मई से हल्की से मध्यम स्तर की बारिश हो सकती है। दक्षिण बंगाल के जिलों में तेज बारिश की आशंका जताई जा रही है।

दिल्ली में टूट गया रिकॉर्ड
दिल्ली में बुधवार को हुई बारिश के बाद मैक्सिमम टेम्परेचर गिरकर 23.8 डिग्री सेल्सियस हो गया। इससे पहले दिल्ली में मई में इतना कम तापमान 1951 में हुआ था। ये सामान्य से 16 डिग्री कम है। 70 साल बाद मई में इतना कम टेम्परेचर दर्ज किया गया है। दिल्ली में भारी बारिश के चलते कई इलाकों में पानी भर गया है।  बहरहाल ताउते मुंबई से बदरीनाथ तक भारी तबाही लेकर आया है, जिसके निशान अगले कुछ दिनों तक नजर आते रहेंगे।

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