इस दौर में भारत में पत्रकारिता जब बेहतरी के लिए जूझती हुई दिख रही है, तब ठीक इसके उलट पत्रकारिता अपने अश्लील दौर की गवाह भी बन रही है। पिछले एक दशक में पत्रकारिता जितनी तेजी से अपने निम्नतम स्तर को पार कर गई है, शायद ही ऐसा पहले कभी हुआ हो। राजनीतिक तौर पर दक्षिणपंथ के उभार के साथ ही भारतीय पत्रकारिता का इतनी स्तर तेजी से गिरता चला गया है कि अब अश्लील शब्दों का जाल भी कंटेट के नाम पर परोस दिया जा रहा है।
आलोचना के नाम पर निजी फब्तियां, शारीरिक हिस्सों पर व्यंग्य, असंसदीय भाषा, दो समुदायों के बीच में द्वेष पैदा करना और सामाजिक आंदोलनों को बदनाम करना जब मीडिया की स्ट्रेटजी का हिस्सा बना हुआ नजर आता है, तब पत्रकारों की भाषा को लेकर सीमा क्या हो शायद अब कोर्ट को ही याद दिलवाना होगा। इधर दक्षिणपंथ के उभार के साथ ही ऐसे टिप्पणीकारों की बाढ़ भी आ गई है, जो खुले तौर पर तथ्यों के बजाय लफ्फाजी से सजी रिपोर्ट्स और एक खास विचार से इतर हर चर्चित शख्सियत के लिए अश्लील शब्दावली का प्रयोग करने से भी गुरेज नहीं करते हैं। हालांकि, ऐसा ही एक शख्स अब न्यायालय के हत्थे चढ़ गया है। इस शख्स का नाम अजीत भारती है।
अजीत भारती लंबे समय तक ऑप इंडिया जैसी प्रोपेगेंडा साइट का एडिटर रहा है और इस दौरान भी इस शख्स ने पत्रकारिता के नाम पर कई फूहड़ और अश्लील एपिसोड जारी किए हैं। अब जो मामला अदालत पहुंचा है वह 'डूपॉलिटिक्स' नाम की एक वेबसाइट के यूट्यूब चैनल पर इसी साल 24 जून को जारी किए गए 'अजीत भारती रोस्ट सुप्रीम कोर्ट' नाम के वीडियो से जुड़ा हुआ है।
इस वीडियो में अजीत भारती ने न्यायपालिका को लेकर कई जगह आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। अटॉर्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय और उसके न्यायाधीशों के खिलाफ वीडियो में कथित ‘अपमानजनक’ टिप्पणी को लेकर मंगलवार को अजीत भारती के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति भी दे दी है।
इस मामले में एडवोकेट कृतिका सिंह ने वेणुगोपाल को पत्र लिखकर अदालत की अवमानना कानून की धारा 15 के तहत सहमति देने का अनुरोध किया था। अदालत के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा आपराधिक अवमानना कार्यवाही की शुरुआत करने के लिए एक जरूरी शर्त है। कृतिका सिंह ने इस साल 24 जून के वीडियो में सर्वोच्च अदालत और न्यायाधीशों के खिलाफ भारती की कुछ कथित आपत्तिजनक टिप्पणियों का जिक्र किया था।
शीर्ष विधि अधिकारी ने अपने सहमति पत्र में कहा है- ‘मैंने पाया कि वीडियो की सामग्री, जिसे लगभग 1.7 लाख दर्शकों ने देखी है, भारत के उच्चतम न्यायालय और न्यायपालिका के लिए अत्यधिक अपमानजनक है और इसका मकसद स्पष्ट रूप से अदालतों को बदनाम करना है। अजीत भारती द्वारा उच्चतम न्यायालय के खिलाफ लगाए गए आरोपों में अन्य बातों के अलावा रिश्वत, पक्षपात और अधिकार का दुरुपयोग शामिल है।’
अपने सहमति पत्र में अटॉर्नी जनरल ने लिखा है- ‘इन अपमानजनक बयानों के पीछे जो भी मकसद हो, यह स्पष्ट है कि बोलने वाला व्यक्ति, जो काफी शिक्षित है, वह जानता होगा कि इसका परिणाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अवमानना क्षेत्राधिकार को दावत देना होगा, खासकर जब से वह कई बार अदालत की अवमानना शक्ति को लेकर बात करते हैं।’ वेणुगोपाल ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं था कि यह बयान अदालत के अधिकारों को जनता की नजर में गिराएगा और न्यायिक प्रशासन में बाधा डालेगा।
अटॉर्नी जनरल की ओर से आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के आदेश मिलते ही अजीत भारती ने भी अपने ट्विटर पर इसके खिलाफ समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। अजीत भारती के शोज की रेंज समझने के लिए आप सिर्फ इतना समझ लीजिए कि इस शख्स ने कई शोज केवल रवीश कुमार को केवल 'गाली' देने के लिए ही अब तक बनाए हैं। इसके अलावा मुस्लिमों को लेकर भी भारती की टिप्पणियां कुंठा में डूबी हुई ही ज्यादा नजर आती हैं।
अजीत दानिश सिद्दीकी की अफगानिस्तान में हुई हत्या पर बेस्ड अपने एक एपिसोड की शुरुआत करते हुए कहता है- 'पंचर साधने वालों को स्मार्ट फोन देने से यही होता है। अबे जाकर मुहल्ले में अपनी चचेरी बहन के सीने को दबाकर उसकी ब्लाउज का नाप लो और सिलो, जिसमें तुम्हारी दक्षता सत्यापित है। ये कहां प्रबुद्धजनों के बीच ट्विटर पर ज्ञान दे रहे हो। तुम चपटी धरती वालों को इतना पीटेंगे कि तुम्हारी सामूहिक सूजन से धरती गोल प्रतीत होने लगेगी।' रवीश कुमार पर एक टिप्पणी में अजीत अपने वीडियो में कहता नजर आता है- 'रवीश आज भी वही कर रहा है, जो गांव का कुत्ता करता है। वो कुर्सी के नीचे बैठा हुआ है। लानतें भेजे जा रहा है।'
इसी साल 3 अप्रैल को प्रीमियर किए गए एक एपिसोड में अजीत राहुल गांधी को लेकर कहता है- 'राहुल बाबा की विदेश नीति सत्ता में होने या न होने पर निर्भर नहीं है, वो अनवरत अपनी दईया के साथ देश की मईया-बहनियां एक करता रहता है।' एक टिप्पणी में यह शख्स कांग्रेस पार्टी के नेता को लेकर कहता है- 'राहुल गांधी भारतीय राजनीति में जोकर और मूर्ख के बीच का कोई जीव है।' यह सिर्फ कंटेट की एक झलक है, अजीत भारती की पिछले कुछ सालों की पत्रकारिता इससे भी भयानक कुंठा और कुतर्कों पर झूलते हुए तथ्यों को दफ्न कर प्रोपेगेंडा परोसती हुई चलती चली जा रही है। अजीत इससे पूर्व मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों में काम कर चुका है। ऑप इंडिया से पहले अजीत उसी डांस बाइट कंपनी के एक ब्रांड 'हेलो' का कर्मचारी हुआ करता था, जिसे केंद्र सरकार ने भारत में बैन कर दिया है।
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