सुमित मिश्रा की यात्रा बीएचयू से शुरू हुई और अब मुंबई पहुंच गई है। वो कला के पारखी भी हैं और खुद एक कलाकार हैं। कैनवस पर उनके स्ट्रोक्स की अपनी दुनिया है, अपने रंग हैं। कैनवस पर रंगों के अलावा वो फिल्मों का निर्देशन इन दिनों कर रहे हैं। 'हिलांश' में वो अपने कॉलम 'आज रंग है' के जरिये पाठको को कला की 'महीन' और खूबसूरत दुनिया तक ले चलेंगे।
पिकासो 'कलाकार' का पर्यायवाची बन चुके हैं। जब कभी दुनिया में चित्रकला से जुड़ी कोई बात होती है, तो पाब्लो पिकासो का जिक्र जरूर होता है। कलाकार सिर्फ़ एक कलाकार ही नहीं होता है, बल्कि हर कलाकार के साथ उसके हिस्से का एक दिलचस्प कथानक भी जुडा होता है। ...और जब बात पिकासो की हो तो कथानक और भी दिलचस्प हो जाता है।
किसी भी कलाकार की कला, शैली और विचार पर अचेतन रूप से उनके निजी जीवन का बहुत गहरा असर होता है। पिकासो के भी चित्रों के रंग, आकार और विषय को और बेहतर समझने के लिए उनके निजी जीवन में झांकना बहुत ज़रूरी है।
पिकासो अपनी कलात्मक उत्कृष्टता के साथ-साथ अपने बोहेमियन जीवनशैली, विद्रोही स्वभाव, और अपनी प्रेमिकाओं के लिए भी काफी चर्चित रहे हैं। पिकासो के जीवन के विद्रोह और प्रेम दोनों पहलू को समझने के बाद ही उनकी कला का लुत्फ़ उठाया जा सकता है। 25 अक्टूबर 1881 में स्पेन के एक कला अध्यापक के घर जन्मा ये कलाकार बीसवीं शताब्दी का सबसे अधिक चर्चित, विवादास्पद और समृद्ध कलाकार था।
(Marie Françoise Gilot & pablo picasso)
पिकासो के विद्रोही स्वभाव को उसके बचपन की एक घटना से समझते हैं। पिकासो का जब एक बेहतर स्कूल में दाख़िला करवाया गया, तब शुरुआत में तो उन्हें अच्छा लगा लेकिन कुछ समय के बाद वह स्कूल के सख्त नियमों और औपचारिकताओं से परेशान हो गए और उन्होंने स्कूल से भागना शुरू कर दिया। वह गलियों में यहां-वहां घूमकर सभी जगहों को निहारते थे और फिर उन्हें पेपर पर चित्रित किया करते थे।
पिकासो ने 1909 में कला के क्षेत्र में ‘घनवाद’ शैली की शुरुआत की। लगभग 60-65 वर्षों तक उनकी ये शैली आलोचना का विषय रही है, लेकिन साथ ही विश्व के सभी देशों में इस शैली ने युवा कलाकारों को प्रभावित किया। इनके चित्रों में हर तरह के रंगों और रेखाओं का प्रयोग हुआ है।
पिकासो किसी भी रूप में अत्याचार और अन्याय को स्वीकार नहीं कर सकते थे। 1937 में जब नाजी बमवर्षकों ने स्पेन की रिपब्लिकन फौजों पर बमबारी की, तो उन्होंने नाजी हमलावरों के विरुद्ध अपना रोष जताने के लिए दिन-रात मेहनत कर विशालकाय चित्र ‘गुएर्निका’ बनाया। इसके बाद उन्होंने स्वेच्छा से देश निकाला स्वीकार किया। उन्होंने कसम खाई कि जब तक स्पेन में फिर से रिपब्लिक की स्थापना नहीं हो जाती, वह स्पेन नहीं लौटेंगे।
अपनी अभूतपूर्व सफलता के बावजूद, पिकासो हमेशा खुद को विद्रोही मानते थे। 1904 में स्पेन से पेरिस पहुंचने के कुछ समय बाद उन्होंने कहा, 'A painter is always at war with the world. Either he wants to crush it or conquer it, change it or celebrate it.' उनकी शुरुआती 'ब्लू पीरियड' पेंटिंग मुख्यधारा के समाज द्वारा खारिज किए गए लोगों के अकेलेपन और घबराहट से भरी हैं। बाद में उन्होंने आदिम कला के प्रति अपनी कलात्मक सहानुभूति को दुनिया के खिलाफ एक तरह की सुरक्षा के रूप में चित्रित किया। पिकासो का ये भी कहना था कि 'They were against everything-against unknown, threatening spirits... I too believe that everything is unknown, that everything is an enemy!'
जब सेजेन और मैटिस जैसे अन्य आधुनिक कलाकार उस समय अपने द्वारा देखी गई वास्तविकता को अपने कैनवास पर उतार रहे थे, तभी पिकासो अपने चित्रों में एक नई वास्तविकता बना रहे थे। एक संवेदनशील हृदय में ही कला प्रस्फुटित होती है और प्रेम भी संवेदना के साथ ही प्रफुल्लित हो सकती है। इसलिए पिकासो की संवेदनशीलता की वजह से उनके प्रेम सम्बन्ध भी काफी चर्चा में रहे। स्पेन के मशहूर चित्रकार पाब्लो पिकासो की प्रेमिकाएं अलग-अलग समय में उनके चित्रों में छाई रहीं। जैसे फर्नांदे ओलिवर, रूसी बैले डांसर ओल्गा कोकलोवा, फ्रेंग्सवाज जीलो और जैक़लीन। इसके अलावा कई अन्य महिलाएं भी उनके संपर्क में रहीं।
1940 से 1950 एक दशक तक फ्रेंग्सवाज जीलो पिकासो के साथ रहीं। उस वक़्त पिकासो लगभग 61 वर्ष के थे और जीलो 21 वर्ष की और यही इनके बच्चों की मां भी थी। जीलो ने 1964 में “लाइफ़ विद पिकासो” लिखी थी। पिकासो के साथ संबंध को जीलो ने प्रेम के साथ अपने करियर में बड़े बदलाव के रूप में देखा। पिकासो के लिए एक तरह से उन्होंने आर्ट क्रिटिक का काम किया।
ये किताब कला के बारे में पिकासो की सोच और साथ ही अन्य कलाकारों के साथ उनके संबंध को जानने के लिए एक महत्वपूर्ण रिकॉर्ड है और यही नहीं पिकासो के अन्य प्रेम संबंधों का एक मजेदार रिकॉर्ड भी है। जीलो जब पिकासो के जीवन में आयीं थी तब तक कई मधुर और कटु संबंधों से पिकासो गुजर चुके थे। जीलो लिखती हैं कि अगर मैं करीब से देखूं तो मुझे पिकासो के आधा दर्जन पूर्व पत्नियां और प्रेमिकायें फंदे से लटकी हुई दिखेंगी। जीलो ने ऐसा इसलिए लिखा क्योंकि पिकासो की पूर्व प्रेमिका मैरी वॉल्टर और उनकी दूसरी पत्नी जैक़लीन रॉक दोनों ने आत्महत्या की थी, लेकिन ऐसा नहीं है कि सभी का हश्र ऐसा ही रहा हो। एक और महिला जो कई महीनों तक पिकासो के प्रेम में सकुशल रही। उसका नाम था सिलवेट डिवेड।
ऐसा कहा जाता है कि पिकासो की पेंटिंग की असल मोनालिसा सिलवेट डेविड ही थी। जब सिलवेट की मुलाकात पिकासो से हुई थी, तब सिलवेट डेविड 19 साल की थीं और पिकासो तब बूढ़े हो रहे थे। सिलवेट से हुई मुलाकात के बाद पिकासो की कई कलाकृतियों में उनकी झलक मिली।
सिलवेट के बाल सुनहरे थे और वह सिर पर ऊंची चोटी बांधा करती थीं। सिलवेट से पिकासो की मुलाकात 1954 में हुई। पिकासो तब अंतरराष्ट्रीय सेलिब्रिटी थे और फ्रांस के वैलेयुरिस में आलीशान महल में रहते थे। कुछ ही महीने पहले सिलवेट और उनके मंगेतर टोबी जेलीनेक वैलेयुरिस शहर आए थे, टोबी फर्नीचर डिजाइनर थे और उनका वर्कशॉप पिकासो के स्टूडियो से थोड़ी ही दूर पर था। यहीं से पिकासो और सिलवेट की मुलाकात का सिलसिला शुरू हुआ। एक दिन सिलवेट पिकासो के स्टूडियो के पास ही किसी कैफे में अपने दोस्तों के साथ कॉफ़ी पीते हुए बातों में व्यस्त थी, तभी सिलवेट की नज़र पिकासो पर पड़ी और उसने देखा कि पिकासो अपने हाथ में बालों की लट और पोनीटेल वाली महिला की एक तस्वीर पकड़े हुए थे। सिलवेट को ये एक तरह का आमंत्रण लगा और वो अपने दोस्तों के साथ पिकासो के घर तक पहुंच गयी। उसे देख पिकासो इतने खुश हुए कि उन्होंने फौरन सिलवेट को गले लगा लिया और ख़ुशी से लगभग चिल्लाते हुए बोले 'मैं आपकी पेंटिंग बनाना चाहता हूं।'
अगले कुछ महीनों में पिकासो ने सिलवेट को अपने सामने बैठने के लिए मना लिया। पिकासो ने सिलवेट के 60 से अधिक रेखाचित्र बना डाले, जिसमें 28 कलाकृतियां शामिल थीं। ऐसा शायद पहली बार हुआ था जब पिकासो ने किसी ख़ास महिला के इतने रेखाचित्र बनाए हों।
प्रेम और विद्रोह के सम्मिश्रण पिकासो (हालांकि मैं प्रेम को विद्रोह से अलग नहीं मानता हूं, प्रेम भी एक तरह का संवेदनशील विद्रोह ही है।) पूरे जीवन कई रिश्तों से जुड़े रहे, वो चाहे विवाह हो या प्रेम हो या मित्रता मात्र हो, लेकिन किसी के साथ भी लम्बा समय नहीं बिता पाए और संभवतः यही रिक्तिता या अपूर्णता भावनात्मक भटकाव की वजह बनी हो। पिकासो ने दो बार शादी की, जिससे उनके चार बच्चे हुए। इसके अलावा कई महिलाओं के साथ उनका प्रेम संबंध भी रहा। इसके बावजूद मौत से बहुत पहले ही त्रासदी पूर्ण एकांत में उन्हें रहना पड़ा और आखिरकार 8 अप्रैल 1973 को 91 वर्ष के उम्र में इस महान और विवादस्पद कलाकार ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दुनिया के महान चित्रकारों में से एक पिकासो, अपनी कलाकृतियों के जरिए हमेशा के लिए अमर हो गया। कला की दुनिया में इस फनकार का नाम अदब से लिया जाता रहेगा।
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