तिलिस्म से कम नहीं है पीएम केयर्स फंड, मोदी सरकार में पेचीदा है हिसाब मांगना!

तिलिस्म से कम नहीं है पीएम केयर्स फंड, मोदी सरकार में पेचीदा है हिसाब मांगना!

NEWSMAN DESK

क्या आपको ये शब्द याद हैं- 'आज से पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन लगाया जा रहा है। लोगों के घरों से निकलने पर पूरी तरह पाबंदी लगाई जा रही है। अगले 21 दिनों तक आपको यह भूल जाना होगा कि घर से बाहर निकलना क्या होता है।' साल 2020 में 24 मार्च रात आठ बजे नाटकीय ढंग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश को रोक दिया था ताकि कोरोना महामारी को फैलने से रोका जा सके और संक्रमण के चक्र को तोड़ा जा सके। हालांकि, इससे भारतीयों के हिस्से फजीहत ही ज्यादा आई, जो कई महीनों तक नजर भी आती है। पूरे भारत में कारोबार से लेकर कारखानों तक सन्नाटा पसर गया था।

इसके बाद पूरे भारत ने सरकारी अव्यवस्था और कोरोना को लेकर बदइंतजामों के बीच भारत सरकार की अवैज्ञानिक सोच को तक सेलिब्रेट किया और इस दौरान देश की व्यवस्था कोरोना से लोगों को राहत दिलवाने के बजाय नाटक और आडंबरों में ही उलझी ज्यादा दिखी, जिसमें भारतीय मीडिया ने सरकार से कदमताल करने में कोई कमी नहीं छोड़ी। कभी कोरोना काल के दौरान भारत सरकार के मैनजमेंट पर बात होगी तो ये अध्याय धब्बों और सरकारी उदासीनता की गाथा कहे बिना नहीं लिखा जा सकेगा।

खैर, यहां हम महामारी के दौरान उदार भारतीयों से मिले उस दान का जिक्र कर रहे हैं, जिसे पीएम केयर्स फंड में जमा करवाया गया, लेकिन इसका ठीक-ठीक हिसाब मिलने के बजाय इस फंड पर ही संशय के बादल छा गए हैं। 28 मार्च साल 2020 को खुद प्रधानमंत्री ने लोगों से पीएम केयर फंड में दान देने की अपील की, लेकिन ऐसा लग रहा है कि सरकार अब दान के पैसों का सीधा हिसाब देने से बच रही है।

हाल ही में केंद्र सरकार ने अदालत को बताया है कि पीएमकेयर्स फंड सरकार का फंड नहीं है और इसमें संचित धनराशि सरकारी खजाने में नहीं जाती है। ऐसे में इस फंड की वैधता और जनता के प्रति जवाबदेही को लेकर नए सवाल खड़े हो गए हैं। पीएमकेयर्स फंड की मार्च 2020 में एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में स्थापना की गई थी। तब से इसे स्थापित करने के उद्देश्य और इसके संचालन में पारदर्शिता की कमी को लेकर विवाद चल रहा है। कई लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत आरटीआई आवेदन दे कर इसके बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन पूरी तस्वीर अभी तक सामने नहीं आई है।

इसके बाद कई नागरिकों ने पीएम केयर फंड को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसके बाद इस फंड को लेकर सरकार का ताजा बयान दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहे एक मामले पर सुनवाई के दौरान आया। वकील सम्यक गंगवाल ने इसी अदालत में दो अलग अलग याचिकाएं दायर की हुई हैं। एक में उन्होंने फंड को आरटीआई कानून के तहत 'पब्लिक अथॉरिटी' घोषित करने की और दूसरी याचिका में 'स्टेट' घोषित करने की अपील की है।

22 सितंबर को दूसरी याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के एक अधिकारी ने अदालत को बताया कि यह ट्रस्ट चाहे संविधान के अनुच्छेद 12 के तहत "स्टेट" हो या ना हो और आरटीआई कानून के तहत "पब्लिक अथॉरिटी" हो या ना हो, किसी "थर्ड पार्टी की जानकारी देने की हमें अनुमति नहीं है।" ये बेहद चौंकाने वाली बात थी। देश के नागरिकों को ही सूचना देने से इनकार करना, कई सवाल खड़े कर रहा है। सरकार के इस फंड को "थर्ड पार्टी" कहने से मामला और पेचीदा हो गया है। गंगवाल पहले ही अदालत को बता चुके हैं कि फंड की वेबसाइट पर उससे संबंधित जो कागजात मौजूद हैं, उनमें यह बताया गया है कि ट्रस्ट की स्थापना ना तो संविधान के तहत की गई है और ना संसद द्वारा पारित किए गए किसी कानून के तहत।

इसके उलट सरकार के सबसे उच्च दर्जे के अधिकारियों का नाम पीएम केयर फंड से जुड़ा है। खुद प्रधानमंत्री पदेन रूप से इसके अध्यक्ष हैं और रक्षा, गृह और वित्त मंत्री पदेन रूप से ही इसके ट्रस्टी हैं। इसका मुख्य कार्यालय पीएमओ के अंदर ही है और पीएमओ में ही एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी इसका संचालन करते हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठ रहा है कि जब ट्रस्ट की स्थापना ना तो संविधान के तहत की गई है और ना संसद द्वारा पारित किए गए किसी कानून के तहत, तब भला प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय की क्या भूमिका है। पीएम केयर फंड को लेकर मचे घमासान में जब छीछालेदारी होने लगी तब पता चला कि फंड से 3100 करोड़ रुपए कोविड-19 प्रबंधन से संबंधित कार्यों के लिए आबंटित किए गए हैं। वेबसाइट पर सिर्फ वित्त वर्ष 2019-20 में इसमें आए अंशदान की जानकारी उपलब्ध है, वो भी सिर्फ 27 से लेकर 31 मार्च तक, यानी कुल पांच दिनों की। इन पांच दिनों में ही पीएम केयर फंड में 3076 करोड़ रुपए प्राप्त हुए और बाकी के दिनों में कितना पैसा इस फंड में आया इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है।

 

People from all walks of life expressed their desire to donate to India’s war against COVID-19.

Respecting that spirit, the Prime Minister’s Citizen Assistance and Relief in Emergency Situations Fund has been constituted. This will go a long way in creating a healthier India.

— Narendra Modi (@narendramodi) March 28, 2020

 

ऐसे में जब खुद प्रधानमंत्री कार्यालय फंड पर पर्दा डाले बैठा है, तब देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इन याचिकाओं पर क्या रुख अपनाती है। फिलहाल तो पीएम केयर फंड अपनेआप में एक तिलिस्म सरीखा बन गया है, ​जहां पारदर्शिता के लिए लंबी लड़ाई लड़ी जानी बाकी है। इस पैसे का इस्तेमाल कहां हुआ है.. अब शायद ये अदालतें ही भारत के उन उदार नागरिकों को बता सकें जिन्होंने प्रधानमंत्री के आह्वान पर भारत के सबसे मुश्किल दिनों में 'माइक्रो डोनेशन' देकर पीएम केयर फंड में अरबों रुपया जमा कर दिया।

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