गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।
हो-हल्ला मचा हुआ है। भारत के अलग-अलग हिस्सों से जब अब तक भी आॅक्सीजन, बेड और दवाओं की कमी से लोगों की मौत की खबरें आ रही हैं, ठीक उसी वक्त हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महामारी के दौरान कार्यशैली की सार्वजनिक तौर पर हवा निकाल दी है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के एक ट्वीट ने पीएम के कामकाज के तरीकों पर न केवल कई सवाल खड़े कर दिये हैं, बल्कि लगातार अविश्वसनीय हो रहे पीएम को कटघरे में भी खड़ा कर दिया है। हेंमत सोरेन के ट्वीट के बाद बीजेपी नेताओं समेत पीएम के बचाव में कई पत्रकार भी उतर आये और 'राजनीतिक शुचिता' की दुहाई देने लगे।
अब तक भारत के नागरिक ही कहते आ रहे थे कि पीएम मोदी सिर्फ अपने मन की बात कर रहे हैं, जबकि देश बुरी स्थितियों में पहुंच चुका है, लेकिन आज यही बात एक राज्य के मुख्यमंत्री ने कहकर इस पर सार्वजनिक तौर पर मुहर भी लगा दी है। भारत में लगातार कोरोना महामारी के संकट के बीच उठ रहे प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग के बीच शुक्रवार को हमेंत सोरेन ने पीएम को सार्वजनिक तौर पर लताड़ लगा दी है। हेमंत ने ट्वीट कर लिखा- 'आज आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने फोन किया। उन्होंने सिर्फ अपने मन की बात की। बेहतर होता यदि वो काम की बात करते और काम की बात सुनते।' यह देश के इतिहास में पहली मर्तबा है, जब मेडिकल आपातकाल की स्थिति में किसी मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री के फोन के बाद सार्वजनिक तौर पर इस तरह से प्रतिक्रिया देकर पीएम की कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिये हों। नरेन्द्र मोदी अपने चर्चित रेडियो शो 'मन की बात' के लिये भी पहचाने जाते हैं और इसी पर तंज कसते हुये सोरेन के हालिया ट्वीट को देखा जा रहा है। इस ट्वीट को साधारण शब्दों में देखें तो इसका सामान्य सा मतलब है कि 'भैया बकवास बंद कर काम की बात कर लो!'
अब जैसे ही हेमंत सोरेन के ट्वीट को नागरिकों ने स्वागत योग्य बयान बताकर अपनी-बपनी वॉल पर चस्पा करना शुरू किया ही था, इतने में पीएम के बचाव में भक्तों की पूरी फौज उतर गई। इनमें हर वक्त सरकार का पक्ष लेने वाले गोदी मीडिया के पत्रकारों से लेकर बीजेपी के नेता तक शामिल हैं। इन तमाम लोगों की टाइमलाइन से आप गुजरेंगे तो आपको अहसास हो जाएगा कि ये तमाम लोग पीएम मोदी की चाटूकारिता में कैसे दिन-रात उलझे रहते हैं और जब भी पीएम पर विपक्षी नेता या फिर आम नागरिक सवाल उठाना शुरू करते हैं, तो ये बचाव की मुद्रा में आ जाते हैं।
बीजेपी नेताओं का अपने सुप्रीम लीडर का बचाव करना तो फिर भी समझ आता है, लेकिन पत्रकारों की उस जमात का भारत क्या करे जो पत्रकारिता के नाम पर बीजेपी के अघोषित प्रवक्ताओं सरीखा व्यवहार लगातार करते आ रहे हैं? अब इन पत्रकारों से लोग ये उम्मीद करें कि वो उनके सवालों को सरकार तक पहुचाएंगे, ऐसा सोचना ही निरा मूर्खता से ज्यादा कुछ नहीं होगा।
हेमंत सोरेन के ट्वीट पर टाइम्स नाउ की टीवी एंकर और 'सुपर भक्त' के तौर पर मशहूर नविका कुमार ने हेमंत सोरेन के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा- 'क्या वास्तव में यह हालत हो गई है? महामारी में जब पीएम नरेंद्र मोदी राज्य में COVID की स्थिति के बारे में पूछताछ करने के लिए एक सीएम को फोन करते हैं, तब सीएम यह कहता है? क्या गरिमा की मौत हो गई है? क्या सम्मान/शिष्टाचार विलुप्त हो गया है? मानव जीवन की तुलना में अब तुच्छ तेवर ज्यादा महत्वपूर्ण है? पीएम को मदद के लिए गाली दी गई? चौंका देने वाला'। इस पर ट्विटर यूजर्स ने नविका को उनके पिछले प्रायोजित कार्यक्रमों के साथ ही अर्णब गोस्वामी के उस लीक व्हाट्सअप चैट की भी याद दिलवा दी, जिसमें अर्णब अपनी पूर्व सहयोगी नविका कुमार को 'कचरा' बता रहे थे।
Has it really come to this now? In a pandemic when PM @narendramodi calls up a CM to enquire about the COVID situation in the state this is what a CM says? Is propriety dead? Is respect/courtesy extinct? Petty posturing more imp than human lives? PM abused for helping? Shocking https://t.co/fDtzJNlvZE
— Navika Kumar (@navikakumar) May 6, 2021
बता दें कि नविका कुमार केन्द्र की गलतियों और असफलताओं पर भी अक्सर राज्यों के विपक्षी नेताओं और कांग्रेस के नेताओं से अपने शो में सवाल पूछने के लिये भी 'बदनाम' है। हाल ही में देशभर में आॅक्सीजन की कमी पर वो केन्द्र के बाबुओं और अखिलेश यादव पर सवाल दागती हुई नजर आ रही थी, बजाय कि नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री से सवाल दागने के, जो महामारी से लोगों को बचाने के लिये तैयारियों को भूलकर चुनावी रैलियों में दिन-रात मशगूल थे। नविका कई मौकों पर मजाक का विषय बन चुकी हैं, लेकिन बावजूद इयसके उन्होंने अब तक 'भक्ति' का दामन छोड़कर वास्तविक पत्रकारिता शुरू नहीं की है। नविका कुमार को पत्रकार बिरादरी में 'सुपर भक्त' के तौर पर पहचाना जाता है, जो अक्सर अपने प्रायोजित साक्षात्कार के साथ मोदी सरकार की चाटूकारिता करते हुये नजर आ जाती हैं। नविका ने केवल इस मामले में ट्वीट ही नहीं किया बल्कि अपने टीवी शो में भी इस मुद्दे को शुक्रवार को जोर-शोर से उठाया और इसे 'राजनीतिक शुचिता' के खिलाफ बताया।
One can always criticise but mocking people is not acceptable (Jharkhand CM’s remark on PM’s phone call): @TVMohandasPai, Chairman – Aarin Capital Partners, tells Navika Kumar on @thenewshour. pic.twitter.com/Z1fwwuHLF9
— TIMES NOW (@TimesNow) May 7, 2021
हालांकि, अभी कुछ रोज पहले ही पीएम ने बंगाल में एक रैली के दौरान ममता बनर्जी का मखौल उड़ाते हुए अपनी ओर से प्रतिद्धंदियों के प्रति अपने रवैये को उजागर किया था, जिसके नतीजे में बीजेपी को बंगाल में मुंह तक की खानी पड़ी है। पीएम ने न केवल ममता बनर्जी की चोट का मजाक उड़ाया था बल्कि वो इससे पहले भी पीएम पद की गरिमा से उलट व्यवहार के लिये आलोचनाएं झेल चुके हैं। ऐसे में जब लगातार प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली और देश में गंभीर होते हालात को लेकर उनसे देश ही नहीं बल्कि विदेशी मीडिया भी लगातार हमलावर हो रहा है, नविका कुमार जैसे पत्रकारों की फौज सिर्फ अपनी भक्ति साबित करने पर ही उतारू हैं। नविका कुमार जैसे पत्रकारों ने न केवल एक बेहद संवेदनशील माध्यम का दुरुपयोग लगातार किया है, बल्कि भारत में पत्रकारिता के स्तर को भी गिराने का काम किया है। ट्विटर पर पीएम के बचाव में आने वालों में न्यूज 18 के एंकर अमीश देवगन और दीपक चौरसिया जैसे पत्रकार भी शामिल हैं, जो अपने प्रो-बीजीपी कार्यक्रमों के लिये मशहूर हैं। बहरहाल, अब तबकि हेमंत सोरेन ने खुलेआम प्रधानमंत्री को ही निशाने पर ले लिया है, तब देखना दिलचस्प होगा कि केन्द्र में बैठी बीजेपी भविष्य में राज्य सरकार से कैसे पेश आती है।
This tweet tells us everything about #CovidCrisisIndia.
— Pawan Khera (@Pawankhera) May 7, 2021
Our Prime Minister only talks. He does not listen - not even to Chief Ministers. https://t.co/2RMj63d6Q1
इधर सोरेन के ट्वीट के खिलाफ कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी नाराजगी जताई है, जिसपर ट्विटर यूजर मुख्यमंत्रियों को लताड़ लगा रहे हैं और उनसे ईडी और सीबीआई से डरे बिना सच कहने के लिये कह रहे हैं। बहरहाल, हेमंत सोरेन बिना शोर-शराबे के काम करने वाले मुख्यमंत्रियों में गिने जाते हैं। हेमंत सोरेन के बारे में एक दिलचस्प बात यह भी है कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद सार्वजनिक तौर पर लोगों से महंगे तोहफों के बजाय उन्हें किताबें देने को कहा था। पढ़ने की आदत जब नेताओं में विरले ही नजर आती है, ऐसे दौर में सोरेन का किताबों के प्रति लगाव उनकी शख्सियत की भी झलक देता है।
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