सुमित मिश्रा की यात्रा बीएचयू से शुरू हुई और अब मुंबई पहुंच गई है। वो कला के पारखी भी हैं और खुद एक कलाकार हैं। कैनवस पर उनके स्ट्रोक्स की अपनी दुनिया है, अपने रंग हैं। कैनवस पर रंगों के अलावा वो फिल्मों का निर्देशन इन दिनों कर रहे हैं। 'हिलांश' में वो अपने कॉलम 'आज रंग है' के जरिये पाठको को कला की 'महीन' और खूबसूरत दुनिया तक ले चलेंगे।
संवाद स्थापित करने के लिए कला सबसे सशक्त माध्यम है। शब्दों के अपने सीमित मायने होते हैं, जो उन्हीं तक पहुंच पाते हैं जो उस मायने से परिचित हैं। या यूं भी कह सकते हैं कि शब्दों के द्वारा आप समभाषी से ही संवाद स्थापित कर सकते हैं, लेकिन कला के द्वारा हर जीवित तक अपना भाव और विचार पहुंचा सकते हैं। बाक़ी कलाओं में अपेक्षाकृत चित्रकला ज़्यादा संवाद शील है, क्योंकि इसकी पहुंच सीधे दर्शक के मस्तिष्क तक है।
अब चूंकि चित्रकला एक भाषा है तो इसके भी स्वर (Vowels) और व्यंजन (Consonant) होते हैं और वो हैं रेखा और रंग। रेखाओं और रंगों की अपनी एक समृद्ध अर्थावली और मनोविज्ञान है, जिसे परोक्ष रूप से हमारा अचेतन मन तो समझता है, लेकिन मेरा मानना है कि प्रत्यक्ष रूप से चेतन मन को भी इसे जान लेना चाहिए। यहां तफ्शील से रेखा और रंगों पर ही बात करेंगे...
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क्या है रेखा:
पेन, पेन्सिल, या ब्रश रेखांकन के लिए सिर्फ साधन मात्र है, वास्तव में रेखा मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है और इसी वजह से रेखाओं के अलग-अलग प्रकार की जानकारी के द्वारा रेखांकन करने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति और संवेदना को जाना जा सकता है। इस प्रयोग को बच्चों के साथ करना चाहिए। इस से बच्चों के मानसिक स्वास्थ को जाना जा सकता है, क्योंकि हर रेखा अपने झुकाव और अपने प्रभाव के द्वारा कुछ विशेष भाव को अभिव्यक्त करती हैं।
रेखाएं पांच मुख्य प्रकार की होती हैं:
a. ऊर्ध्वाधर पंक्तियां (Vertical Lines)
b. क्षैतिज रेखाएं (Horizontal Lines)
c. विकर्ण रेखाएं (Diagonal Lines)
d. जिग ज़ैग रेखाएं (Zig Zag Lines)
e. घुमावदार रेखाएं (Curved Lines)
ऊर्ध्वाधर पंक्तियां (Vertical Lines) वो सीधी रेखा है, जो 90 डिग्री पर खड़ी होती है और दर्शक की सोच को ऊंचाई और शक्ति देती है। क्योंकि यही वो रेखा है जो मनोवैज्ञानिक रूप से हमारी सोच को ज़मीन से आसमान की तरफ ले जाती है। अवचेतन अवस्था में खींची गई इस रेखा के द्वारा रेखांकन करने वाले के सकारात्मक और ऊर्जात्मक व्यक्तित्व को जाना जा सकता है।
क्षैतिज रेखाएं (Horizontal Lines) क्षितिज (Horizon) के समान्तर बाएं (Left) से दाएं (Right) की तरफ जाते हुए दर्शक की सोच को शांति और स्थिरता देती है। क्षैतिज रेखा मन की उड़ान को क्षितिज के सामानांतर बांध कर रखती है। इस रेखा से रेखांकन करने वाले के मर्यादित और नियंत्रित मानसिकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
विकर्ण रेखाएं (Diagonal Lines) भी सीधी रेखा ही होती है, लेकिन ये किसी एक खास दिशा और कोण पर झुकी होती है। इस तरह का झुकाव एक आंदोलन का प्रतिनिधित्व करता है या स्थापित के विरुद्ध अस्थिर करता है संतुलन की कमी को दिखाता है इसलिए ये दर्शक और रेखांकन करने वाले के असंतुलित और आंदोलनकारी सोच को अभिव्यक्त करता है।
जिग ज़ैग रेखाएं (Zig Zag Lines) ये भी तिरछी रेखा ही है लेकिन ये कई बिंदुओं पर अपनी दिशा बदलती है। और इस तरह की मानसिक अवस्था उतेज़ना या बेचैनी की स्थिति में होती है, इसलिए चिंता या बेचैनी को व्यक्त करने के लिए इस रेखा का इस्तेमाल किया जाता है। अवचेतन अवस्था में इस रेखा का इस्तेमाल करने वाले की अस्थिरता और विचलित स्थिति को जाना जा सकता है और साथ ही व्यक्ति के आंदोलनात्मक और विद्रोही स्वाभाव को भी दर्शाता है।
घुमावदार रेखायें (Curved Line) ऐसी रेखा है जो सीधी तो बिल्कुल नहीं होती है। ये धीरे-धीरे एक रिद्म (Rythem) के मुताबिक एक लय में लहराती है। ये आराम या सहजता को दर्शाती है साथ ही जितनी भी कोमल भावना है जैसे प्रेम, कला और संगीत उसके लिए इस्तेमाल की जाती है।
तो जाहिर है कि कला में रेखाओं का अपना महत्व है। अब दूसरी चीज जो कला को समृद्ध करती है वो हैं रंग। जब हम दूसरे और सबसे ज्यादा शक्तिशाली माध्यम की बात करते हैं तो वो है रंग। रंग का अनजाने में भी हम पर बहुत गहरा प्रभाव है वो चाहे नीले आसमान की विशालता हो या हरे खेतों का मनोहर शांत प्रभाव हो या आपकी गली के फ़ास्ट फ़ूड के ठेले का ललचाता हुआ लाल-पीला रंग, ये ऐसे ही नहीं है। ये मनोविज्ञान के करीब का मामला है।
रंगों के अर्थ का एक सम्पूर्ण विज्ञान, मनोविज्ञान और कला है जिसे हर किसी को जानना और समझना चाहिए। रंगों के इस अर्थ पर सिर्फ कलाकारों का एकाधिकार होने का पक्षधर मैं नहीं हूं। इतना तो अधिकतर लोगों को मालूम है कि तीन प्राथमिक रंग (Primary Colour) हैं। लाल (Red), पीला (Yellow) और नीला (Blue)। इसके अलावा दो प्राकृतिक रंग (Neutral Colour) हैं, सफेद और काला। अब इन रंगों से ही एक करोड़ (10 Million) कलर शेड बन सकते हैं और सभी शेड का एक भिन्न अर्थ भी बन सकता है। फ़िलहाल मैं कुछ महत्वपूर्ण रंगों और उसके अर्थ पर ही बात करूंगा।
सबसे पहले लाल रंग...। लाल यानी ऊर्जा... जूनून.... प्रेम का रंग इसके अलावा क्रोध, शक्ति और खतरे का भी रंग है यही प्रतीक रंग है। लाल पूरे कलर पैलेट का सबसे पावरफुल कलर है और इस वजह से किसी भी तीव्र और उत्तेजित भाव को अभिव्यक्त करता है। मनोवैज्ञानिक तौर पर लाल को एक तरह से गतिशील ऊर्जा के रूप में देखना चाहिए। और इस रंग का प्रमुखता से इस्तेमाल करने वाले को खूंखार नहीं बल्कि जीवन में गतिशील और तीव्र ऊर्जा से भरा हुआ समझें।
दूसरा रंग है पीला जिसे एक खुश रंग के रूप में जाना जाता है। अलग-अलग देश और संस्कृति के लोग भी आशावाद और खुशी को पीले रंग के रूप में मानते हैं। दुनिया भर में, वे घर में खुशी को बढ़ावा देने के लिए पीले रंग का उपयोग करते हैं, और स्माइली चेहरे और अन्य आशावादी चीजों के लिए उपयोग किया जाता है। अफ्रीकी और एशियाई समाज में पीले को उच्च पद (High Rank) और सफलता (Success) के साथ जुड़ा रंग मानते हैं। सबसे अधिक दिलचस्प बात यह है कि जहां इसे ख़ुशी से जुड़ा रंग माना गया है, वहीं दूसरी ओर कहीं-कहीं इसके निराशावादी अर्थ भी हैं।
लाल के अलावा पीला दूसरा रंग है जो आपका ध्यान सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। मनोवैज्ञानिक रूप से पीले रंग को पसन्द करने वाले को सुखी और ज्ञान के प्रति जिज्ञासु के तौर पर समझा जा सकता है, लेकिन जब इसमें किसी निष्क्रिय रंग की मिलावट हो और इसकी तीव्रता कम हो जाये, तो मानसिक बीमार या उदासी समझना चाहिए।
अब इन दो प्राइमरी रंग को मिला कर एक महत्वपूर्ण रंग बनता है नारंगी। Orange यानी नारंगी जो कि रचनात्मकता का रंग है और साथ ही युवा और उत्साह का भी रंग है। ये पीले रंग की चंचलता और ख़ुशी के साथ लाल रंग की गर्मी को जोड़ता है और दोनों रंग की तीव्रता मिल कर प्रज्ञा अथवा ज्ञान का परिचायक केसरिया रंग बन जाता है, जो सुबह के उगते हुए सूरज की तरह ऊर्जावान होता है। केसरिया या नारंगी रंग, आध्यत्मिक ऊर्जा और ज्ञान के मनोविज्ञान का प्रतीक है।
तीसरा प्राइमरी रंग है नीला (Blue)- नीला यानी शांति, विश्वास और बुद्धिमत्ता। नीला एक शांत रंग है जो बौद्धिकता और जिम्मेदारी का प्रतिनिधित्व करता है। अब इस नीले रंग के हल्के टोन की बात करें, तो बच्चे की मासूमियत और शांति के लिए इस्तेमाल होता है और इसका जो गहरा टोन है वो शक्ति का संकेत है। व्यक्तिगत और व्यवसायिक रूप से ये सबसे लोकप्रिय रंग है। दिलचस्प बात यह है कि नीला कई सामाजिक नेटवर्क का भी पसंदीदा रंग है। इसके गाढ़े रंग का मनोवैज्ञानिक अर्थ होता है विशालता, विश्वास, बुद्धिमता और सुदृढ़ता और जब इसमें सफ़ेद रंग मिलाते हैं तो बाल सुलभ पवित्रता और मासूमियत का एहसास होता है।
जब हम प्राइमरी कलर ब्लू में प्राइमरी पीला मिलाते हैं, तब बनता है हरा (Green)। हरा मतलब प्रकृति, हरा मतलब विकास, हरा मतलब सद्भाव। इसके साथ ही ये धन और स्थिरता का भी प्रतीक है। हरा शुद्ध रूप से प्रकृति से जुड़ा हुआ है, जैसे घास, पेड़-पौधे, साथ ही ये विकास और नवीकरण का प्रतिनिधित्व करता है। ये पुनर्जन्म का भी प्रतीक है और असोसिएशन के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। हरे रंग का हमारे मनोविज्ञान पर बहुत ही सकारत्मक असर पड़ता है, इसे देख कर सहजता का एहसास होता है और साथ ही अवचेतन मन को स्वाभाविक प्रगती की ओर अग्रसर करता है।
इसी तरह तीव्र लाल और शांत ब्लू को मिला कर बैंगनी बनता है जो दुनिया भर में एक बहुत ही सम्मानजनक रंग है। अधिकांश समाज धन, रॉयल्टी, सफलता और आध्यात्मिकता के लिए बैंगनी का प्रयोग करते हैं। विलासिता और रहस्य का भी प्रतीक है। बैंगनी का मिज़ाज़ गर्म और ठंडा दोनों है, क्योंकि इसमें नीले रंग की शांति और लाल रंग की ऊर्जा दोनों जुड़ा हुआ है। मनोवैज्ञानिक तौर पर बैंगनी के इस्तेमाल करने वाले को विलासी और रहस्यमयी के रूप में पहचाना जा सकता है।
इसी क्रम में शक्तिशाली रंग लाल में न्यूट्रल रंग सफ़ेद मिलाने से गुलाबी बनता है जो स्त्रीत्व, चंचलता और रोमांस के लिए है। ऐसे ही तीनों प्राइमरी कलर को मिला कर बनता है ब्राउन जो पूर्णता, गर्मी और ईमानदारी के लिए है। ये एक नेचुरल कलर है जो पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा दोनों न्यूट्रल कलर सफ़ेद और काले रंग के बारे में जानना भी ज़रूरी है क्योंकि किसी भी प्राइमरी कलर के साथ मिलकर ये उनका मूड और मतलब बदल देता है। काला या ब्लैक एक बहुमुखी रंग है और ग्राफिक डिज़ाइन में शायद सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला रंग भी है जो आम तौर पर विशिष्टता, शक्ति और लालित्य से जुड़ा हुआ है।
वहीं सफ़ेद अतिसूक्ष्मवाद और सादगी के लिए है और सफ़ेद को लेकर विज्ञान और कला में सबसे बड़ा विरोधाभास यह है की विज्ञान सफेद रंग को सात रंगों का मिश्रण मानती है, जबकि कला किसी भी रंग की अनुपस्थिति को सफ़ेद मानती है। इन दोनों न्यूट्रल कलर के मेल से बनने वाला ग्रे कलर अधिक परिपक़्व और जिम्मेदार रंग है, जो बुढ़ापे से जुड़ा हुआ है। इसके सकारत्मक और नकारत्मक दोनों इस्तेमाल हैं। औपचारिकता और निर्भरता इसका सकारत्मक पहलू है, जबकि अत्यधिक रूढ़िवादी और भावुकता की कमी इसका नकारत्मक पहलू है।
अपने घर में या अपने आस-पास के बच्चों के साथ कभी-कभी रंग और रेखाओं के द्वारा संवाद स्थापित करें। यकीन मानिए संवाद के इस माध्यम में बच्चे ज्यादा सहज और ईमानदार होंगे और उनके मनोविज्ञान को समझने के लिए ये सबसे स्वस्थ और सही तरीका है। अगली कड़ी में कला के किसी और रूप-रंग-ढंग पर बात होगी।
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