केजरीवाल ने बैठक में कर दिया ‘खेला’,  बड़े साहब ने भड़कते हुए कहा ‘ई ना चोलबे!’

Ho-Hallaकेजरीवाल ने बैठक में कर दिया ‘खेला’,  बड़े साहब ने भड़कते हुए कहा ‘ई ना चोलबे!’

गौरव नौड़ियाल

गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।  

कोरोना से ज्यादा हो-हल्ला अब ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर मचा हुआ है। कारोना से तो मरीज जंग लड़ भी ले, लेकिन अव्यवस्थाओं से भला अदना सा आम आदमी कैसे जंग जीते! आम आदमी के पास तो दवा-दारू का पैसा भी नहीं बचा और जिनके पास पैसा है भी उनके लिए बेड ही नहीं है। ...तो स्थिति कुछ ऐसी बनी है कि इस बार भाजपा के कोर वोट बैंक, यानी कि मिडिल क्लास में भी त्राहिमाम मच गया है।

आनन-फानन में फजीहत होती देख पीएम मोदी ने बंगाल में अपनी रैलियां स्थगित कर दी, कुंभ वालों से भी कह दिया ‘बहुत नहा लिये गुरू, अब मान भी जाओ’ और फिलहाल असली काम में जुट गए! कम से कम टीवी चैनलों पर तो यही खबरें आ रही हैं कि पीएम उच्च स्तरीय बैठकों के दौर में मशगूल हैं। अलबत्ता बड़े लोग निम्नस्तरीय बातें ही भर करते हैं, बैठकें तो वो अनादिकाल से उच्च स्तरीय ही करते आये हैं। इससे पद मेंटेन रहता हो शायद और जनता तक भी संदेश जाता ही होगा कि- ‘नहीं ...नहीं! हम काम ही कर रहे हैं भई!’।

हर कोई इन दिनों मशगूल ही तो है... कोई तीमारदारों की खिदमत में मशगूल है, कोई रेमेडेसिविर लेने के लिए हिन्दुस्तान के एक कोने से दूसरे कोने तक जाने का जोखिम उठा रहा है, तो संसाधन विहीन तबका अपनों की लाशों को ठिकाने लगाने में मशगूल है। क्या किया जाये दौर ही ऐसा है। ‘हो-हल्ला’ नहीं इस दफा हाहाकार मचा हुआ है... सोशल मीडिया और फोन पर लगने वाली गुहार की कोई संख्या नहीं है, ये अनंत की ओर बढ़ रही हैं। मानों पूरे 130 करोड़ भारतीयों के मुंह से ‘बदइंतजामी का फसाना’ सुनने को आतुर हो!

इधर टीवी वालों ने भी इस बार दबी जुबान ही सही कुंभ को लेकर सवाल करने शुरू कर दिये थे, लेकिन तभी साहब ने धर्मगुरुओं से बात कर चौका मार दिया और टीवी वाले फिर ‘महानायक’ के स्तुतिगान में जुट गये, लेकिन स्थितियां इस दफा अनुकूल नहीं थी। कोरोना को विस्तार के लिए जो खुराक चाहिये थी वो चुनावी रैलियों और शादी-समारोह के साथ ही धार्मिक आयोजनों से मिलने लगी। कोरोना ‘खा-पीकर’ तगड़ा होता गया और साहेब, 'दे रैलियों पर रैली' के लिए ‘मूर्ख भीड़’ का आह्वान करते रहे।

दुःखद ये रहा  कि गृह मंत्री को भी बीच में ही रैली छोड़नी पड़ी। 'रैलियां', 'बड़ी-बड़ी बातें' हमारे गृहमंत्री के लिए प्राणवायु का काम करती है, लिहाजा रैलियों पर जब हंगामा मचा तो उन्होंने 'टाइम्स नाउ' की अपनी चहेती एंकर को इंटरव्यू दिया और बेहद बोल्ड अंदाज में कह दिया- 'महाराष्ट्र में तो रैलियां नहीं थी, दिल्ली में तो रैलियां नहीं थी, फिर वहां क्यों स्थितियां बेकाबू हुई।' मतलब साफ था कि हमारी रैलियों पर देश दोष न मढ़े... इसे ‘पूरी बेशर्मी’ और ‘असंवेदनशीलता’ भी कह सकते हैं।

इतना कुछ हो रहा है तब भला दिल्ली के ‘छोटे साहब’ कैसे चुप रहते। पीआर टीम बुलवाई गई और एकदम शुभचिंतक अंदाज में केजरीवाल के विज्ञापन हर न्यूज बुलेटिन के बाद तैरने लगे। लगातार टीवी चैनलों और अखबारों में ‘विज्ञापनों की आंधी’ वाले हथियार से कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इतने में मजा नहीं आ रहा था तो उन्होंने आज 'खेला' ही कर दिया। हुआ ये कि पीएम मोदी के साथ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक चल रही थी। सब दरख्वास्त लगा रहे थे कि उनके राज्य में हालात बेकाबू हो चुके हैं, अस्पतालों में बेड नहीं हैं, ऑक्सीजन के अभाव में ही भले-चंगे कई लोग निपट गये.. मदद कीजिये... वगैरह-वगैरह। अब केजरीवाल की बारी आई तो भाई ने ‘डायलाॅग’ लाइव कर दिये... एकदम जैसे सीधे जनता के सामने पीएम से बात होगी टाइप!

बस यहीं खेला हो गया... केजरीवाल होशियार आदमी तो है ही, इस स्टंट के बाद और चर्चाओं में आ गए .. लेकिन ये बात हिन्दुस्तान के इकलौते 'साहब 'को पसंद नहीं आई और उन्होंने सरकारी भाषा में हड़काते हुए कह दिया- ‘ई ना चोलबे’! मतलब कि 'ये प्रोटोकाॅल के खिलाफ' है। बहुत सी बातों और लापरवाही पर अफसोस जताने के बजाय बड़े साहब ने कहा ‘ई ना चोलबे’!

असल में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बोलना शुरू किया तो उनका भाषण लाइव स्ट्रीम होने लगा। इस पर नरेंद्र मोदी ने कड़ी आपत्ति जताई। नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘ये हमारी जो परंपरा है, हमारे जो प्रोटोकॉल हैं, उसके बहुत ख़िलाफ हो रहा है कि कोई मुख्यमंत्री ऐसी ‘इन.हाउस मीटिंग’ को लाइव टेलिकास्ट करे। ये उचित नहीं है। इसका हमें हमेशा पालन करना चाहिए।’

इसपर केजरीवाल ने तुरंत माफी भी मांग ली, लेकिन तब तक टीवी वालों को मसाला मिल चुका था। मोदी की इस टिप्पणी पर मुख्यमंत्री केजरीवाल असहज हो गए और उन्होंने कहा- ‘ठीक है सर, इसका ध्यान रखेंगे आगे से... अगर मेरी ओर से कोई गुस्ताखी हुई है। मैंने कुछ कठोर बोल दिया है, मेरे आचरण में कोई गलती है तो उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूं’’। हालांकि, गुप्त बैठक का खुलासा अगर जनता सुन भी लेती तो क्या फर्क पड़ता! पता नहीं कौन सा सीक्रेट लीक हो जाता या जनता जो पहले ही त्राहिमाम की हालत में है, उसे न जाने कौन सा नया कष्ट मिल जाता!

खैर, अरविंद केजरीवाल ने इस ‘हाई लेवल टाॅप सीक्रेट’ मीटिंग में कोरोना को लेकर नेशनल प्लाॅन की बात कर दी। केजरीवाल ने ऑक्सीजन की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि केन्द्र में किसी मंत्री का नंबर तो उपलब्ध करवाया जाये, जिससे समस्या आने पर मदद ली जा सके। अब इसी लाइव स्ट्रीम के चलते केजरीवाल पर राजनीति करने का आरोप लग रहा है। ‘राजनीति मत करो’ ये सबसे आउटडेटेट बयान है, जो गाहे-बगाहे सुनाई दे जाता रहा है। कहा जा रहा है कि केजरीवाल ने बैठक में ऑक्सीजन एयरलिफ़्ट करने का मुद्दा उठाया, जबकि पहले से ही वायु सेना को इस काम पर लगा दिया गया है। 

बैठक के फुटेज टीवी पर तैरने लगे और एबीपी की न्यूज एंकर शोभना ने खबर पढ़ते हुए कहा- ‘बड़ी खबर इस वक्त की... केजरीवाल ने सिर्फ राजनीतिक और गैरजिम्मेदाराना भाषण दिया। समस्या के समाधान की जगह राजनीति की, जिम्मेदारी से भागने वाला भाषण दिया, वैक्सीन की कीमत को लेकर झूठ फैलाया... पीएम संग पिछली बैठक में केजरीवाल जम्हाई लेते और हंसते हुए नजर आये थे।’ अब बताओ आदमी अब जम्हाई भी न ले... जब नेताओं को विधानसभा में पोर्न देखकर ‘जिंदगी का लुत्फ’ लेते हुए भारत देख चुका है, तब जम्हाई लेना अपराध तो नहीं ही हो सकता! क्यों...हो सकता है? सवाल यह है कि जब राज्य पहले ही केन्द्र को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, तब इस ‘प्रोटोकाॅल’ के टूटने पर इतना हंगामा क्यों बरपा है।

एंकर ने केन्द्र सरकार की ओर से केजरीवाल को दोबारा धो दिया और कहा- ‘लेकिन हां, राजनीति तो हुई है केजरीवाल की तरफ से...’ फिर ये भी बताया कि ये राजनीति एलजी को सुपरपावर देने के चलते हो रही है। इसके बाद मैंने इस खबर से हटकर ‘प्यारे आइम्स नाउ’ का रुख किया... यहां तो दो भद्र महिलाओं ने केजरीवाल की तकरीबन धज्जियां ही उड़ा दी। रिपोर्टर मेघा ने कहा- ‘हमने आज तक किसी मुख्यमंत्री को ऐसा करते हुये नहीं देखा...ये भरोसे को तोड़ने जैसा है। ऐसा लग रहा था जैसे केजरीवाल वहां भाषण दे रहे हों! कहीं से भी देखकर ये नहीं लग रहा था कि दो मुखिया बात कर रहे हों.. ऐसा लग रहा था ये कोई राजनीतिक भाषण था... मैं आपसे हाथ जोड़ रहा हूं, ऑक्सीजनदिलवा दो...। पहली दफा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री की बातचीत इस तरह से बाहर आई है।’ इसके बाद मैं जी न्यूज की खिड़की पर पहुंचा तो वहां भी बवाल कटा हुआ था।

‘न्यूज 18’ पर तो संबित पात्रा ने अलग ही किस्म का नौंटकीनुमा मजमा लगाया हुआ था। ये अजीब बात है जब देश के अलग-अलग हिस्सों में अस्पतालों के बाहर लोग बेड के इंतजार में हैं तब ‘दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी’ बीजेपी के प्रवक्ता टीवी स्क्रीन पर अरविंद केजरीवाल की जम्हाई लेने की एक्टिंग कर रहे थे। एक्टिंग खत्म हुई तो मोर्चा संभाला अमीश देवगन ने.. और एक के बाद एक सवालों की ऐसी झड़ी लगाई कि दर्शक एक पल के लिए चौंक गये कि ये आदमी सवाल भी पूछता है?

सवाल था दिल्ली में बने मुहल्ला क्लीनिकों में कितने टेस्ट हो रहे हैं! इस मारक सवाल का जवाब आप के प्रवक्ता राघव चड्डा ने कहा टीवी वालों को इस समय ’काॅमेडी नाइट विद संबित पात्रा’ नहीं चलना चाहिये। जाहिर है संबित उखड़ गये और तमाशे को आगे बढ़ाने में भरपूर योगदान देने के लिए अपनी सीट पर बल्लियों उछलने लगे। बहस इस पर घूम गई कि ‘तूने क्या किया, हमने क्या किया!’... इधर इस बीच शायद किसी और की सांसें बंद हुई हों। नेताओं का काम ही है तमाशा खड़ा करना, ऐसे में और उम्मीद भी क्या की जाये। बहरहाल जब भारत में लोग सरकारों की लापरवाही से दम तोड़ रहे हों, तब महामारी को लेकर चल रही मीटिंग के प्रोटोकाॅल टूट भी जा, ये तो इसमें कौन सी बड़ी बात है! ये नेताओं के चोचले हैं, आम आदमी की सांसें तो उखड़ ही रही हैं। ‘प्रोटोकाॅल’ पर हंगामा मचा हुआ है... इस बीच मेरे कान में गूंज रहा है- ‘कोरोना के कारण दिवंगत हुये लोगों की आत्मा को शांति मिले!’

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