फटी जींस को घूरने वाली आंखे और 'प्रोजेक्ट नवेली' की ब्रांडिंग!

Ho-Hallaफटी जींस को घूरने वाली आंखे और 'प्रोजेक्ट नवेली' की ब्रांडिंग!

गौरव नौड़ियाल

गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।  

फटी जींस पर हो-हल्ला मचा हुआ है। ...और क्या बात इस हल्ले में दबा दी गई है? डबल इंजन की सरकार के एक इंजन के फेल होने के सवाल। चार साल कुशासन और पहाड़ों की बर्बादी के सवाल। अफसरशाही के बेलगाम होने के सवाल। आपदाओं के निमंत्रण के सवाल। जनांदोलनों और जनता पर बर्बरता के सवाल! असल में हो-हल्ला इस बात पर मचना चाहिए था कि डबल इंजन का झुनझुना थमाकर बीजेपी ने पिछले चार साल में उत्तराखंड में ऐसा कौन सा क्रांतिकारी काम किया, जिसके लिए उसकी आलोचना या उसके खिलाफ जनाक्रोश नहीं रहना चाहिए।

पिछले दिनों जब 'एक्स' का तमगा हासिल कर चुके त्रिवेन्द्र सिंह रावत को उनकी सरकार के चार साल के कार्यकाल पूरे होने से पहले ही मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया गया, तब किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये कुर्सी एक ऐसे खिलाड़ी को मिलने जा रही है, जिसने अब तक चुपचाप शालीन ढंग से राजनीति की है। विद्यार्थी परिषद के जमाने से राजनीति में सक्रिय गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत की जब त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह ताजपोशी की गई, तब कई तरह के सवालों पर विराम लग गया था। भाजपा ने बड़ी चालाकी से सीएम की रेस में शामिल अपने हैवी वेट नेताओं को किनारे लगाकर सत्ता की चाबी तीरथ सिंह रावत के हाथों में सौंप दी।

तीरथ सिंह रावत की राजनीति को देख चुके लोग जानते हैं कि वो जमीनी स्तर पर काम करने वाले शख्स रहे हैं। वो कभी मशहूर नहीं रहे, इसलिए उनकी ताजपोशी ने लोगों को इधर चौंकाया भी है। तीरथ के बारे में किस्सा मशहूर है कि वो चार लोगों के समूह को भी संबोधित करने में नहीं हिचकते हैं। उनकी गाड़ी सड़क से गुजर रही है और वहां कोई छोटा समूह गप्पें लड़ा रहा है, तब भी तीरथ उनके बीच पहुंचकर दुआ सलाम कर अपनी बात रखने में नहीं हिचकते।

तीरथ आए तब शायद किसी ने ये उम्मीद की होगी कि सीएम की कुर्सी पर बैठते ही उनकी शख्सियत और बयान बेमेल हो जाएंगे या यूं समझ लीजिए कि एकाकार होकर एक नई शख्सियत को सामने रखेंगे। जुम्मा-जुम्मा हफ्ताभर भी नहीं हुआ और तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी के उन नेताओं की फेहरिस्त में अपना नाम लिखवाने की होड़ लगा दी, जो गैर जिम्मेदार बयान देने के लिए बदनाम हैं।

एक के बाद एक तीरथ के बयान लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं और सोशल मीडिया पर हंगामा बरपा हुआ है। लोगों ने तीरथ के बयान के विरोध में अपने सलवार फाड़कर तस्वीर चस्पा कर दी है। इस मामले में मैं हिन्दुस्तान के लोगों की दाद देता हूं कि उन्हें जो गले नहीं उतरता, उसे वो रचनात्मक ढंग से उगल देते हैं। इस मसले पर भी ऐसे ही हो रहा है। लोग रिप्ड जींस की तस्वीरें चस्पा कर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं।

खैर, इसमें तीरथ का भी क्या दोष! वो जिस पार्टी से आते हैं, उसमें जब सुप्रीम लीडर ही अवैज्ञानिक और झूठी बातें करने के लिए मशहूर हों, तब एक प्यादे से भला क्या उम्मीद की जा सकती है। प्यादे ने राजा की तारीफ में कसीदे गढ़ते-गढ़ते औरतों को कैसे वस्त्र पहनने चाहिए, इसकी व्याख्या पूरी बेशर्मी से कर दी है। शायद कुर्सी का दोष होगा, जो आदमी बैठते ही अनाप-शनाप 'फायर' करने लगता है! क्या और कहां से परे उसे बस घुड़दौड़ में बने रहना है।

भाजपा के लोगों को लगता है कि वो समाज को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए अकेले ही अवतरित हुए हैं, या उन्हें ही इसका ठेका दे दिया गया है। जबकि लोग इससे उलट उन्हें नैतिकता का सही और सलीकेदार पाठ पढ़ा रहे हैं। तीरथ सिंह रावत के इस बयान की निंदा आम से लेकर खास वर्ग तक, हर शउस शख्स ने की है जो जानता है कि इस तरह के बयान किस मानसिकता का परिचायक हैं।

दिलचस्प बात यह है कि लंबे समय से चुप्पी में गए इस मुल्क के सिनेमाई महानायक की नातिन नव्या नंदा ने तीरथ सिंह रावत के बयान की धज्जियां यह कहकर उड़ा दी है कि सीएम को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। नव्या ने सोशन मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा- 'हमारे कपड़ों को बदलने से पहले आपको अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है।' हालांकि इस बयान से नव्या के नए नवेले 'प्रोजेक्ट नवेली' को भी चर्चा मिली है। ये दो तरफे फायदे वाला सौदा रहा है, जैसा कि कारोबारियों के लिए अक्सर होता है। नव्या का बयान आते ही इसे व्यापक मीडिया कवरेज मिली है और ये क्यों मिली है, ये भी भला कोई बताने की बात है! नव्या नंदा का नवेली प्रोजेक्ट औरतों से जुड़े मसलों पर काम करेगा और वो इसकी फाउंडर हैं। खैर, इस मुद्दे पर अकेले नव्या ने ही नहीं बल्कि कई अन्य महिलाओं ने भी प्रतिक्रिया दी है।

'द डायलॉग' की एडिटर कंचन श्रीवास्तव ने ट्वीट किया- 'तीरथ सिंह रावत बीजेपी के बडबोले मुख्यमंत्रियों को टफ कंपीटीशन दे रहे हैं। अब 5 टिलियन डॉलर का सवाल यह है कि इनमें से भविष्य में पीएम की कुर्सी किसे मिलेगी'

#TirathSinghRawat is giving good competition to other motormouth BJP CMs.

Now the five trillion dollar question is, who amongst them will get PM chair in future?

— Kanchan Srivastava (@Ms_Aflatoon) March 17, 2021

बहरहाल, ये कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी के बड़े नेताओं ने महिलाओं को लेकर अपनी संकीर्ण और पुरातनपंथी सोच को जगजाहिर किया हो। इससे पहले आरएसएस के सर संघचालक तक महिलाओं को लेकर अजीब बयान दे चुके हैं, जिस पर खूब हो- हल्ला मचा है। मोहन भागवत ने अपने एक वक्तव्य में कहा था- 'आप लोग इसे विवाह समारोह कहते होंगे पर ये सौदा है। पति कहता है कि मेरा घर संभालो, सुख दो, मैं तुम्हारा पेट पालने की व्यवस्था करूंगा और तुमको सुरक्षित रखूंगा, जब तक पत्नी ऐसी है तब तक पति कांटैक्ट पूरा करने के लिए उसको रखता है। महिलाओं को सिर्फ घर के काम संभालने चाहिए चाहिए।'

अकेले तीरथ या भागवत ही नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ, शिवराज सिंह चौहान समेत कई और नेता भी महिलाओं को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं। हाल ही में मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबले ने भी आंदोलनकारी महिला किसानों को लेकर गैर जिम्मेदार बयान दिया था, जिसकी खूब निंदा हुई।

बयानों की फेहरिस्त में यदि उलझ जाएं तो पूरा दिन इस एक ही पीस को लिखने में गुजर जाएगा। लिहाजा ये बयान पुराण यहीं खत्म कर वापस मूल मुद्दे पर लौट चलते हैं कि आखिर वस्त्रों के चयन या वस्त्रों से किसी शख्स के चरित्र का आंकलन कैसे किया जा सकता है!

अंत में लाख टके की बात जो मैंने कहीं पढ़ ली थी, वो ये कि भाजपा नेताओं को अपने-अपने राज्यों में या फिर देश में बढ़ते यौन अपराधों पर लगाम लगाने के लिए काम करने की जरूरत है, ना कि कपड़ों से भारतीय संस्कृति के उठान और पतन को नापने का पैमाना सेट करने का सिरफिरापन दिखाना चाहिए। तीरथ सिंह रावत को कायदे से भारत की औरतों की ओर से लगाई गई लताड़ के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और सिर्फ उन्हें ही नहीं संघ की पाठशाला से निकले 'मर्दों' को ये बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि वस्त्रों के चयन और पहनने की स्वतंत्रता का सम्मान करें।

Leave your comment

Leave a comment

The required fields have * symbols