सीएम जब दिल्ली में थे, पुरानी 'कांग्रेस' और नई नवेली 'आप' ने एक ही दिन बोला धावा!

सीएम जब दिल्ली में थे, पुरानी 'कांग्रेस' और नई नवेली 'आप' ने एक ही दिन बोला धावा!

NEWSMAN DESK

उत्तराखंड में अगले विधानसभा चुनावों के लिये राजनीतिक पार्टियां सक्रिय हो गई हैं। पिछले लंबे वक्त से खामोश बैठे हुये नेताओं ने कोरोना से ढील मिलते ही अपने क्षेत्रों में दौरे शुरू कर दिये हैं। कांग्रेस जहां सुस्त गति से अपने अभियान को बढ़ा रही है, वहीं आम आदमी पार्टी कर्नल कोठियाल के चेहरे पर व्यापक जन अभियान में जुटी हुई है। कांग्रेस के साथ लाभ यह है कि उसके पास फिलहाल तो आप के मुकाबले एक बड़ा संगठन और पहले से राज्य में मौजूद चर्चित चेहरे हैं। हालांकि, इधर खेमों की लड़ाई भी ज्यादा है।

दूसरी ओर आम आदमी पार्टी की ओर से अब तक का सबसे बड़ा चेहरा सूबे में जो दिया गया है, वह शख्स ना तो ठीक से राजनीति जानता है ना प्रदेश में लोकप्रिय। फौज के एक पूर्व कर्नल पर उत्तराखंड में आम आदमी पाटी ने दांव खेला है, लेकिन दिक्कत यह है कि इससे पहले कोठियाल भाजपा और संघ के करीबी रहे हैं। केदारनाथ में पुर्ननिर्माण के दौरान चर्चाओं में आये कर्नल कोठियाल इससे पहले भाजपा से टिकट की उम्मीद में पीएम मोदी की तारीफ करना तक नहीं भूलते थे।

खैर, शनिवार को सूबे की राजधानी देहरादून में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की ओर से ही सीएम आवास के घेराव की योजना थी। बड़ी दिलचस्प बात जो रही वो यह कि शनिवार को ही सीएम का दिल्ली दौरा लगा हुआ था। दोनों ही पार्टियों ने अपने कार्यकर्ताओं के लश्कर के साथ सीएम आवास की ओर कूच किया, लेकिन भीतर जिसका घेराव होना था, वो नेता दिल्ली में अपने गुरू के हाथों में गुलदस्ता सौंपते हुये आदर भाव में तस्वीर उतरवा रहा था। ...और गुरू की आंखों की चमक, ट्विटर पर मौजूद उस तस्वीर से बह रही है, जिसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चस्पा किया है।

पहले आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अपने आधे कर्नल-आधे नेता की पर्सनैलिटी रखने वाले अजय कोठियाल के साथ जोशीले अंदाज में चीखते-फांदते हुये पहुंचे और भाजपा के खिलाफ नारों से ज्यादा 'हमारा नेता कैसा हो, कर्नल कोठियाल जैसा हो' पर सिमटकर लोटते-फांदते लौट गये। इस बीच मंद-मंद मुस्कान लिये कोठियाल नेता होने के अहसास से भरे हुये, कार्यकर्ताओं को निहार रहे थे। कुल मिलाकर सीएम आवास का घेराव समस्याओं से निजात को लेकर कम और अपनी राजनीतिक ब्रां​डिंग का ही ज्यादा नजर आ रहा था। अभी कर्नल को लंबा रास्ता तय करना है, बशर्ते बीच में आकर उनका 'सीएम चेहरा' ही कोई और ना लपक ले!

आप के सीएम आवास घेराव के बाद नंबर आया सूबे की दूसरी बड़ी पार्टी कांग्रेस का, जिसके नेता आप के बनिस्पत इस तरह के आयोजनों का लंबा अनुभव रखते हैं। एक दम इत्मीनान से कांग्रेस कार्यकर्ता अपने नेताओं की अगुवाई में पहुंचते हैं और सीएम आवास से दूर रोक लिये जाने पर हंगामा शुरू कर देते हैं। ढोल भी कार्यकर्ताओं के शोर के बीच एक लय में बज रहे हैं। साथ में अपने नेता प्रीतम सिंह पर फूलों की बौछार है। प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह की अगुवाई में ही कार्यकर्ताओं ने सीएम आवास का घेराव किया था। सीएम आवास के बाहर अपने कार्यकर्ताओं और बड़ी संख्या में मौजूद पुलिसबल को संबोधित करते हुये प्रीतम सिंह ने सधे हुए अंदाज में कहा कि अब बहुत दिन हो गये सरकार की  नीतियां सहते हुये... वगैरह-वगैरह!

इस दौरान कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता हरीश रावत रमेश पोखरियाल निंशक के कैबिनेट मंत्री का दर्जा छिन जाने का दु:ख व्यक्त कर रहे थे और खुद सूबे के मुख्यमंत्री धामी अपने सर्वोच्च पार्टी नेता के आगे एकदम निश्छल बच्चे सा भाव लिये हुए बैठे हुये तस्वीर उतरने का इंतजार कर रहे थे। प्रधानसेवक एकदम गुरुकुल के हेड मास्टर सरीखे करीने से सजी हुई सुफेद.. ना-ना सफेद दाढ़ी और बालों से किसी दिव्यपुरुष होने सरीखा भ्रम पैदा करने के लिये विशेष भाव ग्रहण किये बैठे थे। ये तस्वीर भी आपको सीएम के ट्विटर पर चस्पा मिल जाएगी। राजनीति में ऐसी तस्वीरें, मोदी के लिये भले गौण हों... उत्तराखंड के लिये बड़ी हो जाती हैं। यहां अब चुनाव जो आनेवाला है!

 

हम सभी के प्रेरणास्रोत और देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री @narendramodi जी से आज दिल्ली में मिलकर उनका स्नेह-रूपी आशीर्वाद प्राप्त किया। राज्य के विकास, कोरोना की सम्भावित तीसरी लहर, चार धाम यात्रा और कांवड़ यात्रा के विषय पर चर्चा एवं उनका मार्गदर्शन प्राप्त किया। pic.twitter.com/cBBglrqat0

— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) July 10, 2021

 

बहरहाल सीएम धामी न सही उनका घर ही सही, घेराव जरूरी प्रक्रिया है। इससे लोकतंत्र का आभाष जिंदा रहता है। बाकी इस घेराव में क्या मांगे थी, कितनों ने गिरफ्तारी दी, कब छूटे यह सब जानना जनता के लिये एकदम जरूरी नहीं है। ये असल में नेताओं के अगले चुनाव की रिहर्सल है, इससे उनका करियर परवान चढ़ना है। यूं समझ लीजिये कि बोर्ड इम्तिहान सर पर हैं और विद्यार्थी चमत्कार के इंतजार में सड़कों पर टहल रहे हैं।

Leave your comment

Leave a comment

The required fields have * symbols