गूगल ने दिल्ली हाई कोर्ट में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के खिलाफ एक मामला दर्ज करवाया है। कंपनी के खिलाफ चल रही आयोग की जांच रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई थी, जिसके बाद अमेरिकी कंपनी ने यह कदम उठाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गूगल के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की एकाधिकार व्यापार विरोधी जांच की रिपोर्ट लीक हो जाने की खबरों के बाद कंपनी ने आयोग के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है। अमेरिकी कंपनी ने एक बयान में कहा कि उसने यह कदम 'गोपनीय निष्कर्षों को गैर कानूनी तरीके से बाहर आने से रोकने के लिए' उठाया है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है- 'यह विश्वास भंग खुद की प्रतिरक्षा करने की उसकी क्षमता को कमजोर करता है और कंपनी को और उसके साझेदारों ना नुकसान करता है, इसलिए वो इसका विरोध कर रही है।' गूगल ने बयान में यह भी कहा है कि हमने पूरी तरह से सहयोग किया और पूरी जांच प्रक्रिया के दौरान गोपनीयता बना कर रखी और हम उसी स्तर की गोपनीयता की उम्मीद भी करते हैं।
गौरतलब है कि सीसीआई ने यह जांच 2019 में शुरू की थी और कहा था कि ऐसा लग रहा है कि गूगल ने अपने प्रभुत्व का फायदा उठा कर मोबाइल बनाने वाली कंपनियों के लिए उसके ऑपरेटिंग सिस्टम के अलग-अलग संस्करणों के इस्तेमाल की क्षमता को कम किया। बता दें कि गूगल पर अपने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम की प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग करने के आरोप पूर्व में भी लगते रहे हैं।
गूगल की ओर से दायर किए गए मुकदमे के बाद सीसीआई ने तुरंत इस कानूनी चुनौती पर अपना जवाब नहीं दिया है। इधर गूगल के प्रवक्ता ने भी इन सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया जिसमें उसने पूछा गया था कि क्या कंपनी ने सीसीआई की रिपोर्ट के मीडिया कवरेज पर रोक के आदेश की मांग की है? मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था कि गूगल ने भारत में अपने एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम की प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग किया था और अपनी विशाल वित्तीय ताकत का इस्तेमाल बाजार में मौजूद बाकी प्रतियोगियों को गैर कानूनी रूप से नुकसान पहुंचाने के लिए किया था। गूगल ने पिछले सप्ताह कहा था कि वो सीसीआई के साथ काम करने की प्रतीक्षा कर रहा है ताकि वो दिखा सके कि कैसे एंड्रॉइड की वजह से प्रतिस्पर्धा और बढ़ी है, ना कि कम हुई है।
आयोग का यह भी कहना था कि गूगल ने मोबाइल कंपनियों को गूगल के ही ऐप पहले से इंस्टॉल करने के लिए मजबूर भी किया। आयोग ने बाद में 750 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में लिखा कि ऐप्स को पहले से इंस्टॉल करने के लिए मजबूर करना उपकरण बनाने वाली कंपनियों पर अनुचित शर्त लागू करने के बराबर है, जो भारत के प्रतिस्पर्धा कानून के खिलाफ है। हालांकि, रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन उसमें यह भी कहा गया है कि गूगल ने अपने प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए प्ले स्टोर नाम के अपने ऐप स्टोर की स्थिति का फायदा उठाया। इस मामले में अब देखना दिलचस्प होग कि कोर्ट किसके पक्ष में फैसला सुनाती है।
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