भारत में पत्रकारों पर आए दिन हमलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब ऐसी ही एक और खबर सामने आ रही है। हाल ही में बिहार के मधुबनी जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां बेनीपट्टी थाना क्षेत्र में रहने वाले पत्रकार बुद्धिनाथ झा उर्फ अविनाश झा का अपहरण कर हत्या कर दी गई है। अविनाश की लाश को जला दिया गया था। मृतक पत्रकार की उम्र करीब 22 वर्ष थी। अविनाश एक स्थानीय न्यूज़ पोर्टल से जुड़े थे।
अविनाश झा के बारे में जो जानकारी सामने आ रही है उसके मुताबिक वो बेनीपट्टी के कुछ फर्जी नर्सिंग होम के खिलाफ अभियान शुरू करने जा रहे थे। 7 नवम्बर को अपने फेसबुक स्टोरी में अविनाश ने ऐसे कुछ फर्जी क्लीनिक के नाम सहित ‘खेला होबे’ का गाना शेयर किया था। उन्होंने कहा था कि 15 नवम्बर से खेला होबे। इस बात की अटकलें लगाई जा रही हैं कि अविनाश की हत्या के तार फर्जी नर्सिंग होम वाली फेसबुक स्टोरी से जुड़े हो सकते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 9 नवम्बर की रात उन्हें उनके घर के पास स्थित उनके क्लीनिक में लगे सीसीटीवी कैमरे में 9.58 बजे अंतिम बार देखा गया। मृतक पत्रकार के परिजन बीजे विकास के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे में 9 से 9.58 बजे के बीच वो लगातार अपने घर की गली के आगे मुख्य सड़क पर टहलते हुए फोन पर बात करते दिख रहे थे।
अगली सुबह यानी 10 नवंबर को परिजनों ने पुलिस में गुमशुदगी की खबर दी। समय बीतता रहा लेकिन पुलिस के हाथ कुछ खास नहीं लगा। इस बीच सोशल मीडिया में अविनाश के लापता होने की जानकारी वायरल हो चुकी थी। 12 तारीख को शाम करीब 7.45 बजे अविनाश के चचेरे भाई बीजे विकास के नम्बर पर बेनीपट्टी थाने से करीब पांच किलोमीटर दूरी पर स्थित उड़ेन गांव से एक फोन आया। फोन करने वाले युवक ने विकास को बताया कि उसके गांव के पास से गुजरने वाले स्टेट हाईवे के निकट एक लाश पड़ी है। इस जानकारी के बाद अविनाश के परिजन और पुलिस के लोग घटनास्थल पर पहुंचे। मौके पर शव की शिनाख्त अविनाश झा के रूप में हुई।
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वहां मौजूद लोगों ने बताया कि अविनाश के साथ भयावह क्रूरता की गई थी। उनके शव को पूरी तरह से जला दिया गया था। शव की पहचान अविनाश के हाथ की अंगूठी, पैर में मस्से का निशान और गले में पड़ी चेन के जरिए की गई। शव को बरामद करने के बाद प्रशासन ने तत्काल ही उसे पोस्टमॉर्टम के लिए मधुबनी सदर अस्पताल भेज दिया। 13 नवंबर को अविनाश का अंतिम संस्कार सिमरिया में किया गया।
अविनाश के परिजनों के मुताबिक 9 तारीख की रात से उनकी कोई खबर नहीं थी। अगली सुबह 10 नवंबर को परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की, तो पता चला कि उनका बाइक और उसकी चाभी उसके क्लीनिक में ही है, जहां वह खुद अपना काम करते थे। क्लीनिक का गेट भी खुला हुआ था और उनका लैपटॉप भी ऑन था।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में लोगों के हवाले से बताया गया है कि अविनाश शायद जल्द ही लौटने की मंशा से कहीं निकला था, लेकिन फिर वापस नहीं लौटा। 10 तारीख को परिजनों की चिंता बढ़ी तो पास के सीसीटीवी कैमरे को खंगाला गया, जिसमें वह रात को 9.58 बजे अंतिम बार दिखे। परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने उसका मोबाइल ट्रेस किया तो पाया कि बेनीपट्टी थाने से पश्चिम करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बेतौना गांव में 10 तारीख के सुबह 9 बजे आखिरी बार अविनाश का मोबाइल ऑन हुआ था। पुलिस जानकारी के लिए बेतौना गांव पहुंची लेकिन उसे कुछ खास हाथ नहीं लगा।
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बताया जा रहा है कि अविनाश झा ने दर्जनों फर्जी नर्सिंग होम पर आरटीआई के माध्यम से लाखों का जुर्माना लगवाया था और कुछ को बंद भी करना पड़ा था। अविनाश ने साल 2019 में बेनीपट्टी के कटैया रोड में जयश्री हेल्थ केयर के नाम से अपना नर्सिंग होम खोला था। यहां वो बाहर से चिकित्सकों को बुलाकर मरीजों का इलाज करते थे। अविनाश के इस बिजनेस से उनकी स्पर्धा बेनीपट्टी के दूसरे चिकित्सकों और नर्सिंग होम वालों से शुरू हो गई। अविनाश के ऊपर लोगों ने इतना दबाव बनाया कि उसे अपना क्लीनिक बंद करना पड़ा। इसके बाद अविनाश ने इलाके के अन्य क्लीनिक और नर्सिंग होम की गड़बड़ियों का खुलासा करना शुरू कर दिया। वो आरटीआई और बीमारों के परिजनों के साथ मिलकर यह काम कर रहे थे।
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