पहले सैकड़ों सालों के अनुभव और रिसर्च को रामदेव ने किया खारिज, अब ले लिया यूटर्न

पहले सैकड़ों सालों के अनुभव और रिसर्च को रामदेव ने किया खारिज, अब ले लिया यूटर्न

NEWSMAN DESK

बाबा से 'लाला' में तब्दील हुये रामदेव लगातार नागरिकों की जान बचाने में जुटे हुये डॉक्टरों का मखौल उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं और इधर भारत सरकार रामदेव को लेकर बढ़ रही शिकायतों पर भी नर्म पड़ी हुई है। एलोपैथी को स्टुपिड और दिवालिया साइंस बताने पर रामदेव के खिलाफ महामारी रोग कानून के तहत कार्रवाई करने की डॉक्टरों की शीर्ष संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) व डॉक्टरों की अन्य संस्थाओं ने मांग की है। इससे पहले भी रामदेव आॅक्सीजन की कमी पर दम तोड़ते मरीजों का मजाक उड़ा चुके हैं।

सोशल मीडिया पर साझा किए जा रहे एक वीडियो का हवाला देते हुए आईएमए ने कहा है कि रामदेव कह रहे हैं- 'एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है और एलोपैथी की दवाएं लेने के बाद लाखों लोगों की मौत हो गई।' डॉक्टरों की शीर्ष संस्था आईएमए ने एक बयान में कहा है कि रामदेव पर महामारी रोग कानून के तहत मुकदमा चलाना चाहिए क्योंकि ‘अशिक्षित’ बयान ‘देश के शिक्षित समाज के लिए एक खतरा है, साथ ही गरीब लोग इसका शिकार हो रहे हैं।’

 

IMA HQs Press Release on 22.05.2021 pic.twitter.com/rrc1LXA24n

— Indian Medical Association (@IMAIndiaOrg) May 22, 2021

 

आईएमए ने कहा कि उसने रामदेव को कानूनी नोटिस भेजकर ‘लिखित माफी मांगने’ और ‘बयान वापस लेने’ को कहा है। आईएमए के साथ ही उनके इस बयान की दिल्ली स्थित एम्स, ऋषिकेश स्थित एम्स, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए), दिल्ली स्थित सफदरजंग सहित देश के कई बड़े अस्पतालों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर कहा था कि स्वास्थ्य मंत्रालय को रामदेव के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने एलोपैथी के खिलाफ ‘गैरजिम्मेदाराना’ बयान दिए और वैज्ञानिक दवा की छवि बिगाड़ी है। इन सभी संस्थाओं और अस्पतालों ने रामदेव के बयान को डॉक्टरों के खिलाफ हेट स्पीच बताया था और उनके खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत तत्काल सख्त कार्रवाई की मांग की थी।

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एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- 'किसी अन्य देश में ऐसा देखने को नहीं मिलता और क्योंकि भारत में रसूख का लाभ लेकर इस तरह की बयानबाजी आम है, इसीलिये रामदेव कानूनी प्रक्रिया से बार-बार बच जा रहे हैं। एलोपैथी दसियों सालों के अनुभव और प्रैक्टिस के बाद किसी मर्ज के इलाज का दावा करती है, जबकि बाबा बिना किसी डिग्री के लोगों का जीवन संकट में डालने का काम कर रहे हैं।' डॉक्टर ने यह भी कहा कि रामदेव की नजदीकी बीजेपी से छिपी हुई नहीं है, लिहाजा इस दफा भी कोई ठोस कार्रवाई होगी, उन्हें उम्मीद नहीं है।

गौरतलब है कि रामदेव के एलोपैथी को लेकर दिये गये हालिया बयान के बाद डॉक्टर बिरादरी खासी नाराज है। शिकायतें बढ़ी तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने रामदेव को एक पत्र लिखकर रामदेव से गुहार लगाई है कि वे अपने शब्द वापस ले लें। यह बेहद हास्यास्पद स्थिति है कि जिस बाबा पर कार्रवाई होनी चाहिये थी, उससे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जो कि खुद भी डॉक्टर रहे हैं, गुहार लगा रहे हैं। इस गुहार का असर कहें या फिर बढ़ते हंगामे और दबाव का असर कि बाबा ने तुंरत यूटर्न मार लिया और बदले में एक पत्र लिखकर कहा कि मैं एलोपैथी का विरोधी नहीं हूं! चंद घंटो पहले जो बाबा एलोपैथी को नकार रहा था, अब उसका हृदय परिवर्तन हो चुका था। अब एलोपैथी असरदार लगने लगी। बाबा ने ट्वीट कर लिखा- 'माननीय श्री हर्षवर्धन जी आपका पत्र प्राप्त हुआ, उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्दतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूँ और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं।' पत्र में लीपापोती ज्यादा है और खेद कम।

 

माननीय श्री @drharshvardhan जी आपका पत्र प्राप्त हुआ,
उसके संदर्भ में चिकित्सा पद्दतियों के संघर्ष के इस पूरे विवाद को खेदपूर्वक विराम देते हुए मैं अपना वक्तव्य वापिस लेता हूँ और यह पत्र आपको संप्रेषित कर रहा हूं- pic.twitter.com/jEAr59VtEe

— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) May 23, 2021

 

एक के बाद एक विवादित कारनामों के बावजूद केन्द्र सरकार रामदेव की ओर आंखे मूंदी बैठी हुई है और इसकी वजह भी साफ नजर आती है। 2014 में रामदेव ने नरेन्द्र मोदी के प्रचार में बढ़-चढ़कर भूमिका निभाई थी और लोगों को यह कहकर बरगलाया था कि केन्द्र में मोदी की ताजपोशी भारतीयों की गरीबी हर लेगी। तब बाबा अपनी सभाओं में यह दावा करने से भी नहीं चूकते थे कि केन्द्र में भाजपा की सरकार आने के बाद स्विस बैंकों में पड़ा काला धन वापस आ जाएगा। ऐसा तो नहीं हो सका, लेकिन रामदेव की संपत्ति जरूर इस बीच कई गुना बढ़ी है। बाबा रामदेव के कई प्रोडक्ट तो खुद सरकार के मंत्रियों ने ही प्रमोट किये हैं, जिनमें स्वास्थ्य मंत्री भी शामिल हैं।

डॉक्टरों की शीर्ष संस्थाओं की शिकायत के बाद अपने ट्वीट में हर्षवर्धन ने लिखा- ‘संपूर्ण देशवासियों के लिए कोविड-19 के खिलाफ दिन-रात युद्धरत डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्यकर्मी देवतुल्य हैं। बाबा रामदेव जी के वक्तव्य ने कोरोना योद्धाओं का निरादर कर देशभर की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है। मैंने उन्हें पत्र लिखकर अपना आपत्तिजनक वक्तव्य वापस लेने को कहा है।’ अपने पत्र में हर्षवर्धन ने यह जानकारी भी दी कि वह इस मामले पर रामदेव से बात कर चुके हैं और उन्हें अपनी भावनाओं से अवगत करा चुके हैं। इतना ही नहीं पत्र में हर्षवर्धन, रामदेव को यह भी समझाते हैं कि चेचक, पोलियो, इबोला, सार्स और टीबी जैसी गंभीर रोगों का इलाज एलोपैथी ने ही किया है।

बता दें कि एलोपैथी दवाओं को लेकर रामदेव के बयान पर दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने तो शनिवार को पुलिस में शिकायत दर्ज करायी थी। पुलिस को दी गई शिकायत के साथ सौंपे गए बयान में दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने आरोप लगाया है, ‘संकट की इस घड़ी में पूरा देश महामारी के खिलाफ लड़ रहा है, अपना और अपने परिवार की जान जोखिम में डाल रहा है, जो संसाधन हैं, उन्हीं के बल पर मुकाबला कर रहा है। बाबा रामदेव ने निजी हित के लिए मेडिकल साइंस और मेडिकल पेशे की धज्जियां उड़ाई हैं।’ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन ने दरियागंज थाने में शिकायत दी है। अधिकारी ने बताया, ‘हमें शिकायत मिली है और जांच की जा रही है।’

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इससे पहले विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए पतंजलि योगपीठ ने एक बयान जारी कर टिप्पणी का खंडन किया था और कहा था कि ‘यह स्पष्ट किया गया है कि वीडियो का संपादित किया गया संस्करण स्वामी जी द्वारा दिए जा रहे संदर्भ से अलग है।’ इससे पहले जालांधर में भी रामदेव के खिलाफ हाल ही में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। बहरहाल, रामदेव के हालिया बयान के बाद ट्विटर पर भी बाबा की गिरफ्तारी की मांग जोर पकड़ रही है।

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