हाल ही में मीडिया में संघ और बीजेपी की बैठक खासी चर्चाओं में रही। खबर आई कि आरएसएस उत्तरप्रदेश में अगले साल होने वाले चुनावों के लिये सीएम योगी और मोदी की छवि सुधारने के लिये पार्टी के साथ मिलकर काम करेगा! कोरोना की दूसरी लहर में अव्यवस्थाओं और पीएम की अदूरदर्शिता के चलते भाजपा के दो बड़े ब्रांड योगी आदित्यनाथ और नरेन्द्र मोदी जिस तेजी से इधर अलोकप्रिय हुये, वो पार्टी और संघ दोनों के लिये चिंता का सबब बना हुआ है।
खबरों की मानें तो इस बैठक में योगी और मोदी दोनों की इमेज सुधारने के लिये काम करने पर चर्चा हुई। अब आज जो खबर तैर रही है, सीधे उस पर चलते हैं। ऐसा लग रहा है कि भाजपा ने इस दिशा में काम करना शुरू भी कर दिया है। इलाहाबाद में गंगा घाट पर जहां सैकड़ों शवों का ढेर रेत के नीचे दफ्न है, वहां से बेहद शर्मनाक दृश्य सामने आये हैं। असल में जिन रामनामी चुनरियों से लोगों ने अपने परिजन की लाशों को ढका था, उन्हें प्रशासन ने हटवा दिया है। ऐसा इसलिये किया गया ताकि लाशों का अता-पता ही न चल सके। लोगों में इस बात को लेकर गुस्सा भी है।
सोशल मीडिया से लेकर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में तैर रही इलाहाबाद के गंगा घाट की तस्वीरों के जरिये देश-दुनिया ने उत्तरप्रदेश में महामारी का विकराल रूप देखा। खबरें आई कि कोरोना महामारी के बीच दाह संस्कार का ख़र्च बढ़ने के कारण परिजन को मजबूर होकर शव को गंगा किनारे रेत में ही गाड़ना पड़ रहा है या फिर वो शवों को सीधे नदियों में प्रवाहित कर दे रहे हैं। इसकी वजह से केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार दोनों की ही खूब फजीहत हुई। अब कहा जा रहा है कि इसी से बचने के लिए प्रशासन शवों से चुनरी हटवा रहा है। बाकायदा प्रशासन की देख-रेख में ऐसा किया गया है।
'भारत समाचार' के एडिटर ब्रजेश मिश्रा ने एक वीडियो अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया है, जिसमें दो शख्स लाशों से चुनरी हटाते हुये नजर आ रहे हैं। ब्रजेश ने इस वीडियो को शेयर करते हुये लिखा- 'इंसानी जिस्मों के साथ ऐसी क्रूरता दुनिया के शायद ही किसी हिस्से में देखी गई हो। जिंदा थे तो इलाज नहीं। मर गए तो अंतिम संस्कार नही। अब कब्रों से रामनामी चादर रूपी कफन भी नोंच लिया। ताकि कैमरे पर कब्रों का पता ना चल सके। सम्मान से अंतिम संस्कार अपेक्षित। ऐसा आचरण मानवता के खिलाफ है।'
इंसानी जिस्मों के साथ ऐसी क्रूरता दुनिया के शायद ही किसी हिस्से में देखी गई हो. जिंदा थे तो इलाज नहीं. मर गए तो अंतिम संस्कार नही. अब कब्रों से रामनामी चादर रूपी कफन भी नोंच लिया. ताकि कैमरे पर कब्रों का पता ना चल सके. सम्मान से अंतिम संस्कार अपेक्षित. ऐसा आचरण मानवता के खिलाफ है pic.twitter.com/Unggc1mQbi
— Brajesh Misra (@brajeshlive) May 25, 2021
हाल ही में रायटर्स के ड्रोन फुटेज से भी इंटरनेशनल मीडिया में गंगा घाटों की तस्वीरें पहुंची थी, जिसमें यूपी में कोरोना प्रबंधन की जमीनी सच्चाई की पोल खुलकर सामने आ गई। इसके बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कैमरे से बचने के लिए इलाहाबाद जिले के फाफामऊ और श्रृंग्वेरपुर घाट पर गंगा किनारे रेत में शव दफन कर उसके ऊपर रखी गई लाल-पीली चुनरी को हटवा दिया है।
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफसरों की मौजूदगी में सफाई कर्मियों से पूरे घाट से चुनरी हटवाई गई। इसके अलावा शव दफन करने के बाद पहचान के लिए किनारे लगाई गई लकड़ी को भी हटवा दिया गया है, जिससे वहां सिर्फ रेत नजर आए न कि शवों के ढेर की श्रृंखला। रिपोर्ट के मुताबिक अफसरों ने पूरे दल-बल के साथ इन इलाकों का दौरा किया, जिसके बाद ये कदम उठाया गया। इस काम के लिए नगर निगम के जोनल अधिकारी नीरज सिंह की देखरेख में फाफामऊ घाट पर 100 से अधिक सफाईकर्मी लगाए गए थे।
प्रयागराज के इन दो बड़े घाटों के इस तरह के कई हृदयविदारक फोटो और वीडियो वायरल हुए थे, जिसमें ये स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि जहां तक नजर जाती है, वहां लाश ही लाश दिखाई पड़ रही हैं। वैसे ये अकेले उत्तर प्रदेश का ही मामला नहीं है। इससे पहले भाजपा शासित मध्य प्रदेश में के इंदौर में भी श्मसान घाटों और कब्रिस्तानों के रिकॉर्ड्स गायब होने की खबरें सामने आई थी।
बहरहाल, ऐसा लगता है कि संघ और भाजपा की बैठक के बाद अब यूपी के घाटों से ही हिंदुत्व के दो फायर ब्रांड नेताओं का चेहरा चमकाने की मुहिम शुरू कर दी गई है। जहां से फजीहत शुरू हुई, वहीं से मिशन डैमेज कंट्रोल भी शुरू किया गया। लाशों का क्या है, वो तो पहले भी वहीं थी और अब भी वहीं हैं। बाकी पीछे बचे जिंदा लोगों को सत्ता बचाने के लिये मशक्कत तो करनी ही होगी, भले ही उसके लिये लाशों से रामनामी ही क्यों ना नोचनी पड़े।
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