हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- 'मूर्ख बनाना बंद करो', 24 घंटे बाद ही सीएम ने फिर शुरू कर दिये हवाई दावे

Covid-19हाईकोर्ट ने सरकार से कहा- 'मूर्ख बनाना बंद करो', 24 घंटे बाद ही सीएम ने फिर शुरू कर दिये हवाई दावे

NEWSMAN DESK

यूं तो कोरोना काल में कुछ गिने चुने राज्यों को छोड़ दें, तो अधिकत्तर में महामारी के दौरान सरकारों का निकम्मापन, अदूरदर्शी, लापरवाह रवैया और अव्यवस्थाएं ही नजर आई है। कुछ ऐसा ही हाल उत्तराखंड सरकार का भी महामारी के दौरान नजर आया है। पूरी महामारी के दौरान सरकार हेडलाइन मैनेजमेंट में ही ज्यादा नजर आई है। मुख्यमंत्री ने इस दौरान देहरादून से हवाई तीर तो खूब छोड़े, लेकिन वो सुदर पहाड़ी इलाकों तक पहुंचने में नाकाम रहे। यूं समझ लीजिये कि सरकार के दावों से इतर जमीन पर भयावह स्थितियां थी। अब इन्हीं तमाम मामलों को लेकर उच्च न्यायालय में दायर की गई याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बुधवार को भी उत्तराखंड उच्च न्यायालय में इसी मामले को लेकर सुनवाई हुई है। इस दौरान न्यायालय ने सरकार को जमकर फटकार लगाई है।

न्यायालय ने कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये पर बुधवार को फटकार लगाई और कहा कि सरकार अदालत को मूर्ख बनाना बंद करे और जमीनी सच्चाई बताए। अदालत ने कहा, ‘हमें मूर्ख बनाना छोड़िये और सच्चाई बताइये। मुख्य न्यायाधीश को यह मत बताइये कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रह रहे हैं। हमें जमीनी हकीकत के बारे में बताइये।’ उत्तराखंड सरकार द्वारा कोविड-19 से मुकाबले के लिए किए जा रहे उपायों के संबंध में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को फटकार लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश आर.एस. चौहान और जस्टिस आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि कोविड का डेल्टा प्लस वैरिएंट पीछे बैठ कर सरकार को तैयारी करने का मौका नहीं देगा।

उच्च न्यायालय ने कड़े शब्दों में सरकार से कहा- ‘मुख्य न्यायाधीश को ये ना बताएं कि उत्तराखंड में राम राज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं। सरकार को वायरस के डेल्टा प्रकार से निपटने के लिए तैयारियां करनी चाहिए जो कि विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी अन्य प्रकार से अधिक तेजी से फैलता है।’ पीठ ने कहा, ‘डेल्टा प्लस प्रकार अगले तीन महीने में फैल सकता है। यह प्रकार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल में पहुंच चुका है।’

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को आईसीयू, बिस्तरों, ऑक्सीजन सांद्रक और एम्बुलेंस समेत अन्य तैयारियों की जमीनी हकीकत के बारे में बताना चाहिए। अदालत कड़ी टिप्पणी करते हुये कहा- ‘क्या सरकार तब जागेगी जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे?’ इसके साथ ही अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि बच्चों के संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती कदमों के बारे में हलफनामा दायर करे।

इस दौरान अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि जिस वक्त महामारी के दौरान युद्ध स्तर पर काम करने की आवश्यकता है, वहीं प्रक्रियाओं में देरी के लिए नौकरशाही बाधाएं पैदा की जा रही हैं। अदालत ने पर्याप्त एम्बुलेंस होने के सरकार के दावे पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा, ‘आपके पास पर्याप्त एम्बुलेंस है। दावा झूठा है, आप राज्य में पर्याप्त एम्बुलेंस के बारे में बात करते हैं, जबकि अक्सर खबरें आती हैं कि पहाड़ी इलाकों में गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस नहीं मिलती है, उन्हें पालकी से ले जाना पड़ता है।’

मामले पर अगली सुनवाई सात जुलाई और 28 जुलाई को होगी। इस दौरान सरकार को चारधाम यात्रा पर लिए गए निर्णय के बारे में भी अदालत को अवगत कराना होगा। इससे पहले कोर्ट ने मुख्य सचिव से चारधाम और कैची धाम को खोले जाने को लेकर तीखे सवाल भी किये थे। कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी से पूछा कि जब केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण को देखते हुये अमरनाथ यात्रा को रद्द किया हुआ है, तब सरकार चारधाम यात्रा को लेकर इतनी उतावली क्यों है? इस दौरान कोर्ट ने एक तल्ख टिप्पणी में यह तक कहा कि सरकार अपने ही आदेशों का पालन करवाने में नाकाम साबित हो रही है। इसके लिये कोर्ट ने गंगा दशहरा पर हरिद्वार के घाटों पर उमड़ी भीड़ का जिक्र किया। कोर्ट ने एक के बाद एक कई तीखे सवालों से सरकार को जमकर फटकार लगाई। इस दौरान सरकार के नुमाइंदे कोर्ट में बस चुपचाप सुनते हुये ही ज्यादा नजर आ रहे थे।

बहरहाल, कोर्ट के आदेशों और फटकार के बावजूद भी उत्तराखंड सरकार का रवैया इसी तरह का रहता है, तब तीसरी वेव में पहाड़ों की क्या स्थिति होगी कहना मुश्किल है। इससे पहले सरकार कुंभ में अपनी सनक के चलते लोगों की फजीहत को बढ़ा चुकी है।

सूरमा की फेंक

अभी सरकार को फटकार लगे हुये 48 घंटे भी नहीं बीते कि इधर मुख्यमंत्री ने ट्वीट करते हुये लिखा- '#COVID19 की संभावित तीसरी लहर के लिए हमारी सरकार ने इतनी तैयारियां कर ली हैं कि इस पर काबू पाने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। मैं अपना मुख्यमंत्री आवास भी कोविड के लिए तैयार करने जा रहा हूँ। जनता जनार्दन की सेवा के लिए जो भी त्याग संभव हो, उसे मैं निश्चित तौर पर करूँगा।' अब ये तो सरकार कोर्ट को ही बताये कि उसने 'कितनी' तैयारियां की हैं, लेकिन फिलहाल तो सीएम का ये ट्वीट 'सूरमा की फेंक' ही ज्यादा प्रतीत हो रहा है।

 

#COVID19 की संभावित तीसरी लहर के लिए हमारी सरकार ने इतनी तैयारियां कर ली हैं कि इस पर काबू पाने में हमें कोई दिक्कत नहीं होगी।

मैं अपना मुख्यमंत्री आवास भी कोविड के लिए तैयार करने जा रहा हूँ। जनता जनार्दन की सेवा के लिए जो भी त्याग संभव हो, उसे मैं निश्चित तौर पर करूँगा। pic.twitter.com/bDi9pR6heo

— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) June 24, 2021

 

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