गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।
हजरात, हजरात, हजरात! बाहर गजब 'हो-हल्ला' मचा हुआ है। न पूछिए... कितना, लेकिन बादशाह इस दफा 'हो-हल्ले' से इतना घबरा गया है कि उसने 'दरबारियों' के घर ही दरबान बिठा रक्खे हैं! तस्वीर देखिए। अहा, क्या सुंदर नजारा है। कहां की तस्वीर है, वो आगे बता ही दूंगा। पहले तो बादशाह की स्तुति में चंद पंक्तिया पढ़िए, गोयाकि बादशाह 'ऑल नेगेटिव' होकर भी जनता जनार्द्धन से 'नो नेगेटिव' की ही उम्मीद पाले बैठा है! उत्तर से दक्षिण तक बादशाह और उसके मुख्य सिपहसालार या यूं कह लीजिए कि उत्तराधिकारी का ख्वाब सजाए बैठे मोटे थुलथुले शख्स के फैलाए हुए रायते को समेटने में 'सुप्रीम पावर' की बड़ी छिछालेदारी हो रही है। एकदम गड्ड-मड्ड मामला हो गया है।
इतिहास के हिसाब से हिन्दुस्तान की इस कहानी को बांचना शुरू करें, तब हजरात आलम यह है कि बादशाह अपने ही सेनापतियों के 'पुग्गू' पर इन दिनों 'दे दनादन टिक्क' मारकर बाहर फेंक दे रहा है। क्या हिमालय का भाल, क्या इंडियन ओसन का थाल! सब जगह 'हो-हल्ला' मचा हुआ है। बादशाह की आईबी चतुर सुजान है, सो चहुंओर सब हलकान हैं। कभी सेनापति चुपचाप इसे बादशाह-सलामत की शान में खुद की ओर से हुई किसी गुस्ताखी की पेशगी मान 'जयकारे लगा' निकल जा रहे हैं, तो कोई-कोई सेनापति एकदम टूट जा रहा है, फट पड़ रहा है। वो आंसुओं के सैलाब में ही बादशाह के कसीदे पढ़ रहा है। सब जानते हैं कि यह झूठ है, फरेब है... इसलिये गोपनीय है।
कोई बादशाह को राज्यों में बगावत का डर दिखला रहा है तो कोई सेनापति बस 'यस मैन' बना हुआ बादशाह की कृपा के इंतजार में लार टपकाता हुआ पीछे-पीछे चला जा रहा है। अद्भुत समा है... राज दरबार सजा है। बादशाह की आंखों में जनता की अटूट 'भक्ति' की चमक है, जो रेशमी बालों से तक झड़ रही है।
बादशाह के लिए कब किसकी जासूसी हो जाए, किसी को खबर नहीं। सड़क से संसद तक बादशाह के खिलाफ पब्लिक ने 'हो-हल्ला' मचाया हुआ है। राज्यों की आधी पुलिस अपने ही शरीफ नागरिकों के आगे-पीछे डोल रही है। अब सबसे पहले इस तस्वीर का ही पता ठिकाना बता देता हूं। देखिए.. किस ठसक से लोकतंत्र की छाती पर बादशाह की पुलिस बैठ गई है कि कहीं जिल्लेइलाही की शान में गुस्ताखी न हो जाए! एकदम फिल्मी सेट है ना! जहां टाउन इंस्पेक्टर भारी भरकम 'कानूनों' के रक्षार्थ एक आलीशान सोफे पर पसरकर दिन गुजार दे रहा है, साथ में तीन ठो जवान भी हैं।
तान-शाह के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने मुझे मेरे ही घर में बन्दी बना रखा है , पुलिस का कहना है कि मैं जंतर मंतर महिला किसान संसद में हिस्सा लेने, किसानों की मांगों को अपना समर्थन देने नही जा सकती.क्या यह लोकतंत्र की हत्या नही है ??@RahulGandhi @INCIndia #FarmersProtest @OfficialBKU pic.twitter.com/zMq1gmxEHs
— Alka Lamba (@LambaAlka) July 26, 2021
ये तस्वीर असल में कांग्रेस नेता अल्का लांबा के घर की है, जहां ये भारीभरकम दारोगा सिर्फ इसलिये विराजमान हैं कि कहीं मोहतरमा जंतर-मंतर पर आयोजित महिला किसान संसद में जाकर अपनी हाजिरी न बजा आएं! है ना कमाल की बात। नेता घरों में ही नजरबंद किये जा रहे हैं। भई बादशाह को 'केयोस' पसंद नहीं ना.. जरूरत क्या है भला! अरे भाई बादशाह के राज में जब 'सब चंगा सी', तब 'दंगा और दंगल' काहे का। सर्वाधिकार बादशाह के पास सुरक्ष्रित हैं। पहले विपक्ष में रहकर वो लालकिले का भ्रम पैदा कर टीवी पर अवतरित होते थे और अब जब लालकिला ही डालमिया को सौंप दिया तब 'टेंशन' भी क्यों लेनी।
इधर, किसान अलग कह रहे हैं कि भई बादशाह सलामत देश की हालत पहले ही खराब है और हमारा काम कम गुजारे में ही चल जा रहा है, तब हम पर 'उपकार' न कीजिये। अब बादशाह तो बादशाह हुये, कब किसका भला करने, कब किसकी अक्ल ठिकाने लगाने का मन कर जाए, भला बताया जा सकता है? नहीं ना! तो बादशाह ने पहले किसानों का भला कर दिया, बिना किसी घमंड के और अब अक्ल भी ठिकाने लगा दी। दरबारियों को बोल दिया कि जो मुंह में आए कह दो, देखी जाएगी। दरबारी भी कभी खेत-खलियान से अपना 'भला' लौटाने आये किसानों को खालिस्तानी बता दे रहे हैं, कभी मवाली बता दे रहे हैं.. कभी दरबारी बादशाह से ज्यादा नंबरों की चाह में धरना स्थल पर पहुंचकर गदर काट जा रहे हैं, लेकिन किसान भी हैं कि टस से मस नहीं हो रहे।
आखिर जब बादशाह ही टस से मस नहीं हो पा रहा, तब जनता भी तो उसी बादशाह की है ना! वो कैसे टस से मस हो जाएगी... और बादशाह पला होगा नाजो में किसान तो जमीन का ही आदमी हुआ ना!दोनों ओर मुकाबला जबरदस्त है, लेकिन बाजी बादशाह ही मार ले जा रहा है, गोयाकि 'फेयर गेम' के मौके का यहां उत्पादन बंद कर दिया गया है।
पुरखों ने हम नाचीजों के मनोरंजन के लिये जो 'पांच साला बादशाह बदलू' रंगारंग कार्यक्रम की घोषणा की थी, वो चरमरा सा गया है। बादशाह, जहां मनोरंजन पेश नहीं कर पा रहा, वहां अपने जादू से सरकारें गिराने और बनाने लगा। 'बादशाह इन वेटिंग' खेल को समझ ही नहीं पा रहे! बिचारे... कभी ट्रोल हो जा रहे, तो कभी स्नूप हो जा रहे... राहत बस यह है कि रेस में बराबर बने हुये हैं। सिंहासन खाली नहीं रहेगा, चिंता ना कीजिये।
अगर खेत बेचने पर मजबूर करोगे, तो ट्रैक्टर संसद में चलेगा- सत्य की फ़सल उगाकर रहेंगे!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 26, 2021
कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो।#FarmersProtest pic.twitter.com/19PnIRet4U
आज फिर 'बादशाह इन वेटिंग' ने 'जनता मनोरंजन कार्यक्रम' में ट्रायल दिया है। एकदम ट्रैक्टर फाड़ विरोध हुआ है ...और ये होना भी चाहिये, लेकिन 'बादशाह इन वेटिंग' की फौज को कैद करना... ये नहीं होना चाहिए। थोड़ा क्लियर रहना चाहिये मामला, लोकतंत्र का आभाष बना रहता है। राशन, बिजली, पानी, वैक्सीन मिले न मिले, आनंद में कोई कटौती नहीं मंगता बाबू भाई। आनंद की ही तलाश में राजेश खन्ना निकल लिये थे... आनंद बेच-बेच कर ही कई बाबे 'धनाढ्य लिस्ट वाले बाबे' हो गये। बोले तो बिलेनियर बाबे! रामदेव को ही देख लीजिये... बादशाह सलामत को उन्होंने सत्ता का आनंद देने में मदद दी, आज वो आनंद में हैं। वो खुद ही घोषणा कर दिये कि 'रोक के दिखाए जिसके बम में है दम'। जनता ने बादशाह से कहा कि देखो भाई ये तो मतलब सिर पर चढ़ने जैसी बात हो गई... आप तो जानते ही हैं बादशाह ने बिना कहे ही क्या कह दिया! चलिये मैं ही बता देता हूं, शायद उन्होंने कहा- 'जल मत, दम है तो आगे निकल'!
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खैर, इस बीच पुरखों के रचे हुये दूसरे खेल में इन दिनों लोकतंत्र की ज्यादा खुशबू बिखर रही है। धरतीपुत्रों ने अपनी संसद बिठा ली है, जिसके सत्र भी कम जोरदार नहीं हैं। बादशाह की पुलिस इतनी डरी हुई है कि पूछो मत... वो 'नारदपुत्रों' को भी दूर फेंके हुई है, गोयाकि कहीं कोई लीक ना हो जाए। लीक से याद आया कि बादशाह की जान इन दिनों ऐसे ही लीक से अटकी हुई है, जैसे संसद की कार्रवाई अटक गई है। एकदम जैसे गले में भात का कौर फंस गया हो! 'पेगासस' की बात कर रहा हूं... क्या कमाल की रोमांचक कथा बाहर आई है। कितना भयानक खेल रचा गया है, जिसका ओर न छोर अब तक पता चल पा रहा है। पराये तो पराये, अपनों पर भी पहरा बिठा दिया गया। अब देखिए बादशाह का 'नेक्स्ट मूव' क्या होता है! कैसे बादशाह पिछली बातों की तरह इसे भी बिसरा देता है... कौन जाने इस दफा कौन सी 'टेक्नीक की टेस्टिंग' हम अभागों पर होगी। छुस्सससस... पता भी नहीं चलेगा, हैं ना! बस इतना देखना कि बादशाह की शान में कहीं कोई गुस्ताखी न हो..!
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