गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।
दिल्ली से भोपाल और जयपुर से लखनऊ तक 'हो-हल्ला' मचा हुआ है। इस दफा ये 'हो-हल्ला' मीडिया मालिकों के घरों और दफ्तरों पर पड़े आयकर विभाग के छापे के चलते मचा हुआ है। पिछले कुछ सालों में जिस तेजी से सरकार के खिलाफ रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया समूहों पर छापेमारी और पत्रकारों पर मुकदमों की संख्या बढ़ी है, उससे सरकार की कई दफा किरकिरी ही हुई है। बावजूद इसके सरकार इस सबसे बेपरवाह अपनी आलोचना करने वालों पर नकेल डालने के लिये लगातार काम कर रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार उन आवाजों को कुचल देना चाहती है, जिसमें उसके खिलाफ जरा सा भी विरोध का स्वर है। ऐसा मैं इसलिये भी कह रहा हूं कि आयकर विभाग की इन कार्रवाईयों की टाइमिंग ठीक उस वक्त शुरू होती है, जब सरकार के खिलाफ मीडिया समूहों ने खबरें प्रकाशित करनी शुरू की हैं। इस दफा आयकर विभाग के निशाने पर 'दैनिक भास्कर' समूह और 'भारत समाचार' हैं।
हर मिनट खबरें उड़ेलने वाले 'दैनिक भास्कर' का होम पेज इस खबर को लिखे जाने के वक्त, पिछले पांच घंटों से अपडेट नहीं हुआ था। वजह थी सुबह से दैनिक भास्कर समूह के अलग-अलग दफ्तरों और मालिकों सुधीर अग्रवाल और पवन अग्रवाल के आवास पर पड़े आयकर विभाग के छापे। इस खबर ने किसी को नहीं चौंकाया, क्योंकि ऐसी किसी भी घटना की आहट 'दैनिक भास्कर' समूह की उन खबरों के बाद से ही महसूस की जाने लगी थी, जिसमें ये समूह सरकार के झूठ का पर्दाफाश पिछले कई दिनों से लगातार कर रहा था।
कोरोना काल में जिस तरह धारदार ढंग से भास्कर ने रिपोर्टिंग की थी, उसके बाद से ही 'दैनिक भास्कर' के बदले हुये सुरों को लेकर सरकार की प्रतिक्रिया के कयास लगाये जा रहे थे। 2013 और उसके बाद 2020 तक, पिछले सात सालों में भास्कर ने जिस ढंग से ब्रांड मोदी को चमकाने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी थी, उस समूह के अचानक 360 डिग्री पल्टी मारने पर पाठकों का चौंकना लाजमी था। फिर अचानक भास्कर को जनपक्षीय पत्रकारिता की याद आ गई और उसने कोरोना की पहली और दूसरी वेव के दौरान सरकार के दावों की बखिया उधेड़ने वाली रिपोर्ट्स प्रकाशित करनी शुरू कर दी। सारी कहानी यहीं से गढ़बड़ा गई। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सरकारी मिसमैनेजमेंट की असल तस्वीर सामने रखने वाले दैनिक भास्कर समूह के कई दफ्तरों पर गुरुवार तड़के इनकम टैक्स विभाग ने छापा मार कर तमाम कयासों पर मुहर लगा दी है। विभाग की टीमें दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान स्थित दफ्तरों पर पहुंची हैं, जहां खबर लिखे जाने तक कार्रवाई जारी है।
गुरुवार सुबह ये 'हो-हल्ला' केवल 'दैनिक भास्कर' समूह में ही नहीं सुनाई दे रहा था, बल्कि उत्तर प्रदेश में तेजी से लोकप्रिय हुये 'भारत समाचार' के परिसर में भी यही गूंज थी। एक साथ सरकार ने दो समूहों पर आयकर विभाग को जांच करने के लिये दौड़ा दिया। 'भारत समाचार' भी मोदी सरकार की तथ्यों को लेकर लगातार आलोचना कर रहा था। फिर चाहे कोरोना की दूसरी लहर के दौरान गंगा में लाशों का मामला हो या फिर पेगासस स्पायवेयर को लेकर रिपोर्ट्स, 'भारत समाचार' लगातार सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किये बैठा था। दोनों ही मीडिया कंपनियों पर पड़े छापों पर जहां सरकार की आलेाचना हो रही है, वहीं पत्रकारों ने भी आयकर विभाग की कार्रवाई की टाइमिंग पर सवाल खड़े किये हैं।
मानसून सत्र में दैनिक भास्कर ग्रुप पर सरकारी दबिश का मुद्दा विपक्ष ने भी जोर-शोर से उठाया है। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा में भास्कर समूह पर इनकम टैक्स विभाग के छापों का विरोध किया और नारेबाजी की। इसके बाद सदन दोपहर 2 बजे तक स्थगित कर दिया गया। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्गविजय सिंह ने इस मामले में ट्वीट करते हुये लिखा- 'पत्रकारिता पर मोदीशाह का प्रहार!! मोदीशाह का एक मात्र हथियार IT ED CBI! मुझे विश्वास है अग्रवाल बंधु डरेंगे नहीं। दैनिक भास्कर के विभिन्न ठिकानों पर इनकम टैक्स इन्वेस्टिगेशन विंग की छापामार कार्रवाई शुरू...प्रेस कॉन्प्लेक्स सहित आधा दर्जन स्थानों पर मौजूद है इनकम टैक्स की टीम.'
आयकर विभाग के छापों की खबर बाहर आते ही मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर कहा- 'मोदी सरकार में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने का, सच को रोकने का काम शुरू से ही किया जा रहा है, अभी पेगासस जासूसी मामले में भी कई मीडिया संस्थान व उससे जुड़े लोग बड़ी संख्या में निशाने पर रहे है और अब सरकार की निरंतर पोल खोल रहे। सच को देश भर में निर्भिकता से उजागर कर रहे दैनिक भास्कर मीडिया समूह को दबाने का काम शुरू हो गया है ? अपने विरोधियों को दबाने के लिये, सच को सामने आने से रोकने के लिये ईडी , आईटी व अन्य एजेंसियो का दुरुपयोग यह सरकार शुरू से ही करती रही है और यह काम आज भी जारी है?'
मोदी सरकार में प्रजातंत्र के चौथे स्तंभ को दबाने का, सच को रोकने का काम शुरू से ही किया जा रहा है, अभी पेगासस जासूसी मामले में भी कई मीडिया संस्थान व उससे जुड़े लोग बड़ी संख्या में निशाने पर रहे है और अब सरकार की निरंतर पोल खोल रहे,
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) July 22, 2021
आयकर विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधते हुये ट्वीट किया- 'दैनिक भास्कर और भारत समाचार पर आयकर छापे मीडिया को डराने का प्रयास है। उनका संदेश साफ़ है- जो भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ बोलेगा, उसे बख्शेंगे नहीं। ऐसी सोच बेहद ख़तरनाक है। सभी को इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए। ये छापे तुरंत बंद किए जायें और मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए।'
दैनिक भास्कर और भारत समाचार पर आयकर छापे मीडिया को डराने का प्रयास है। उनका संदेश साफ़ है- जो भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ बोलेगा, उसे बख्शेंगे नहीं।ऐसी सोच बेहद ख़तरनाक है।सभी को इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठानी चाहिए
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 22, 2021
ये छापे तुरंत बंद किए जायें और मीडिया को स्वतंत्र रूप से काम करने दिया जाए
बता दें कि पेगासस स्पायवेयर मामले में भी भास्कर समूह ने प्रमुखता से खबर को छापा था। इतना ही नहीं सूमह की वेबसाइट ने मोदी और शाह पर पूर्व में लगे जासूसी के आरोपों को लेकर भी एक खबर प्रकाशित की थी, जिसके ठीक बाद आयकर विभाग की धमक इस संस्थान में सुनाई दी है। बहरहाल, मीडिया घरानों पर पड़ रहे आयकर विभाग के छापों से ज्यादा इन छापों की टाइमिंग और मीडिया घरानों का चुनाव चौंकाता है। मोदी सरकार के कार्यकाल में एक भी ऐसा समूह सरकारी कार्रवाई की जद में नहीं आया है, जो सरकार की हां में हां मिलाने के लिये बदनाम है।
भास्कर समूह के एक पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा- 'यह छिपी हुई बात नहीं हैं कि भास्कर समूह पर अभी क्यों आयकर विभाग का छापा पड़ा है। समूह ने यदि कर चोरी की भी है, तब भी आयकर विभाग की जांच की टाइमिंग सवाल पैदा करती है। समूह पिछले कई महीनों से लगातार सरकार के झूठ की पोल खोल रहा था और इसकी व्यापक पैमाने पर चर्चा भी हो रही थी। असली दिक्कत कोरोना की रिपोर्टिंग से ज्यादा पेगासस स्पायवेयर मामले को लेकर है, जिसमें अखबार ने बाकी अखबारों की तरह सरेंडर करने के बजाय खुलकर रिपोर्ट को छापा है। ये कार्रवाई अंतत: सरकार की ही फजीहत करवाने वाली है।'
ऐसे में सवाल तो उठता ही है कि आखिर सरकार क्या चुन-चुन कर मीडिया समूहों को सिर्फ इसलिये निशाना बना रही है, क्योंकि वो उसके खिलाफ मुखरता से आवाज उठा रहे हैं! खैर, इस कार्रवाई के बाद अखबार के पत्रकारों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर एक तस्वीर चस्पा कर दी है, जिस पर लिखा है- 'मैं स्वतंत्र हूं, क्योंकि मैं भास्कर हूं... भास्कर में चलेगी पाठकों की मर्जी!'। देखना दिलचस्प होगा कि पाठकों की मर्जी कब तक इस अखबार में चलती है या फिर भास्कर के पुराने लूपहोल्स उसे सरकार के सामने जल्द नतमस्तक करते हैं। एक दिलचस्प बात यह भी है कि 'दैनिक भास्कर' समूह पर पड़े छापों के तुरंत बाद जहां पत्रकार बिरादरी ने इस तरह के हमलों की आलोचना की है, वहीं मध्य भारत में इस समूह के प्रतिद्वंदी 'राजस्थान पत्रिका' ने एक स्पेशल एडिशन निकालकर इस कार्रवाई को 'कर चोरी' बताया है।
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