दुनिया में जितनी भी पर्वत श्रंखलायें हैं, उन पर्वत श्रंखलाओं में सबसे ऊंची चोटियों की ऊंचाई जितनी होती है, उतनी ऊंचाई पर हिमालय के किसी सामान्य पर्वत का बेसकैंप होता है। ट्रेकर्स आमतौर पर हिमालय के विभिन्न पर्वतों के बेसकैंप तक जाते रहते हैं, लेकिन जब दुनिया के नक्शे पर फतह की गई चोटियों को हम देखते हैं, तब पहाड़ों की उन औरतों का चेहरा अनायस ही जेहन में तैरने लगता है, जो अपने मवेशियों के लिए घास और लकड़ी के इंतजाम में ही ऊंचे पहाड़ों को लांघ आती हैं।
दुनिया में मुख्य तौर पर सात बड़ी पर्वत श्रंखलायें हैं, जिसमें सबसे ऊंचा है हिमालय। हिमालय की श्रेणियां लगभग सात देशों तक फैली हुई हैं। इनमें भारत, चीन, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और म्यांमार है। इसकी सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट या सागरमाथा की उंचाई 8848 मीटर है। सामान्य तौर पर हिमालय की विभिन्न चोटियों की ऊंचाई 7200 मीटर से ज्यादा है, जबकि मशहूर चोटियों के बेसकैंप औसतन 4000 मीटर से शुरू होते हैं। हिमालय के अलावा दुनिया में काॅर्डिलेरा डी लाॅस एंडिस है जो पश्चिमी दक्षिण अमेरिका में स्थित है। इसकी सबसे उंची चोटी आकोंकागुआ है। यह एशिया से बाहर विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत भी हैं। इसकी ऊंचाई 6960 मीटर है।
हालांकि, एशिया के हिमालय इतने ऊँचे हैं कि आकोंकागुआ का स्थान केवल विश्व के 110 वें सबसे ऊँचे पर्वत के तौर पर आता है। आकोंकागुआ चिली और अर्जेन्टीना देशों की सरहद पर स्थित है, हालांकि इसका शिखर अर्जेन्टीना की भूमि पर पड़ता है।
ऐसे ही ग्रेट डिवाइडिंग रेंज पर्वतमाला ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी पर्वतमाला है और दुनिया की तीसरी सबसे लम्बी गैर-समुद्री पर्वतमाला है। यह पूर्वोत्तर क्वीन्जलैंड राज्य के तट से परे स्थित डाउअन द्वीप से लेकर दक्षिण दिशा में 3500 किमी तक न्यू साउथ वेल्स और विक्टोरिया राज्यों तक चलती है। सबसे ऊँची चोटी 2228 मीटर कोजीओस्को पर्वत है। इसी तरह मध्य रूस की यूराल, काकेकस, पूर्वी रूस की कमचटका, पश्चिम अफ्रीका की एटलस, पूर्वी रूस की वेर्खोयांस्क, मेक्सिको की सिएरा मेडो आरिएंटल, ईरान की जाग्रोस, नार्वे की स्कैंडिनेवियन रेंज, मध्य यूरोप की एल्प्स है। इन सबकी ऊँचाई चार से पांच हजार मीटर के आसपास है, जितने पर हिमालय के बेसकैंप होते है। माउंट एवरेस्ट का बसेकैंप कालापत्थर 5545 मीटर तक है, जहां तक सामान्य ट्रेकिंग की जा सकती है।
इसी तरह भारत में ऊँचाई के मामले में तीसरे नंबर के नंदादेवी पर्वत का बेसकैंप पंचु ग्लेशियर चार हजार मीटर पर है, जबकि हिमालय के दूसरे नंबर का पर्वत माउंट के2 का बेसकैंप पांच हजार मीटर पर मौजूद है। ये सभी वो बेसकैंप हैं, जहां पर आम लोग पर्यटन के लिये आते हैं। हालांकि इसके आगे वो ही जाते हैं, जिन्हें चोटी तक परचम फहराना होता है और उसकी तैयारियां भी अलग होती है। उत्तराखंड और हिमाचल में तीन हजार मीटर की ऊँचाई तक तो घसियारिनें घास काटने जाती हैं और ये उनकी जिंदगी का रोजमर्रा का हिस्सा है। दिलचस्प बात यह है कि घास भी हिमालय पर इसी ऊंचाई तक होता है, इससे ऊँचाई पर होता तो शायद पहाड़ों की औरतों वहां भी पहुंच जाती।
लगातार ऊँचा उठ रहा है हिमालय
दिलचस्प बात यह भी है कि हिमालय की ऊंचाई साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। इसी साल जब चीन और नेपाल ने ऊंचाई नापी तो चार मीटर तक माउंट एवेरेस्ट की ऊंचाई बढ़ चुकी थी। असल में, यूरेशिया टेक्टॉनिक प्लेट खिसकने से विशाल समुद्र टेथिस से हिमालय की उत्पत्ति हुई और भारत समेत पड़ोसी देशों का वो भूगोल बना, जिसमें आज लगभग तीन अरब लोग रहते हैं। इस विशाल टेथिस समुद्र का प्रतिनिधित्व अब केवल लेह से 125 किलोमीटर दूरी पर स्थित पेंगोंग झील करती है। लाखों सालों की प्रक्रिया से हिमालय का निर्माण हुआ है। आज भी यूरेशिया टेक्टोनिक प्लेट नीचे खिसक रही है। या यूं कहें कि वो हिमालय को पीछे और ऊपर की ओर धकेल रही है, जिस कारण हर दिन हिमालय में कहीं न कहीं भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं और हिमालय की ऊंचाई लगातार बढ़ती रहती है।
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