योगी-मोदी के झगड़े में संघ-भाजपा की 'जमीन खिसकने' का ख्वाब पाल रहे विरोधियों के लिये दिल तोड़ने वाली खबर आई है!

Ho-Hallaयोगी-मोदी के झगड़े में संघ-भाजपा की 'जमीन खिसकने' का ख्वाब पाल रहे विरोधियों के लिये दिल तोड़ने वाली खबर आई है!

गौरव नौड़ियाल

गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।  

अभी जितना 'हो-हल्ला' सोशल मीडिया पर भाजपा के विरोधियों ने मचाया हुआ है, उसका हासिल कुछ होता नहीं दिख रहा है। योगी की विदाई, मोदी-योगी का टकराव, यूपी से भाजपा की बेदखली वगैरह-वगैरह... और बिखरे हुये विरोधियों की फैंटेसी पर संघ ने 'एकजुटता' वाली लगाम लगा दी है। बीते दिनों की राजनीतिक हलचल पर आप नजर मारेंगे तो एक बात आपको कॉमन दिखेगी! ..और वो यह है कि पिछले दिनों मोदी-योगी के मनमुटाव की खबरें खूब तेजी से प्रसारित हुई। संघ और भाजपा की बैठकों को लेकर यह तक कयास लगाये गये कि योगी की जगह पार्टी 2022 विधानसभा चुनाव में किसी दूसरे चेहरे पर दांव लगा सकती है।

इसके अलावा मोदी के करीबी एके शर्मा को मंत्रीमंडल में शामिल ना करने जैसे बातों को भी मीडिया में खूब हवा मिली, जिससे ऐसा लग रहा था कि वास्तव में योगी और मोदी के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। इधर हिंदुत्व के दो बड़े चेहरों के आपस में टकराने की सूचना ने ही विरोधियों की बांछे खिला दी। यहां तक कि राजनीतिक विश्लेषकों ने तो 2022 में सत्ता से भाजपा की बेदखली का खाका तक बुन लिया, लेकिन स्थितियां कुछ और हैं। भाजपा और संघ ने बेहद खूबसूरती से न केवल यूपी में फैली हुई अव्यवस्थाओं से लोगों और मीडिया दोनों का ध्यान भटका दिया, बल्कि मैदान पर भी आक्रामक ढंग से यूपी के किले को बचाने के लिये जमीन पर काम शुरू कर दिया है। एक नया अपडेट सामने आया है, जिसके मुताबिक संघ योगी के चेहरे पर ही 2022 का यूपी इलेक्शन लड़ने जा रहा है। 

आपको याद होगा पिछले दिनों मोदी-योगी के बीच तनातनी के खबरों समेत यह सब सूचनाएं एक के बाद एक उस वक्त मीडिया में तैरी, जब योगी सरकार की कोरोना मैनेजमेंट को लेकर इंटरनेशनल मीडिया तक में फजीहत हो रही थी। मीडिया के कैमरों का फोकस गंगा किनारे घाटों में दफ्न और नदी में बहती लाशों पर केंद्रित था। करीब हफ्ताभर गफलत की स्थिति बनी रही और धीरे से यूपी की अव्यवस्थाओं से ध्यान हटाकर भाजपा और संघ ने मीडिया के सामने मोदी-योगी के झगड़े का चारा डाल दिया और पूरा फोकस अब इन्हीं दो दिग्गजों के बीच मनमुटाव पर सिमट गया। यूपी सरकार के सोशल मीडिया हैंडल से गायब हुई पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीरों ने इस मसले को और हवा दे दी, लेकिन अब जो खबरें सामने आ रही हैं उनमें कहानी कुछ और ही आकार ले रही है।

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संघ और दो संभावनाएं
चलिये एक पल के लिये यह मान भी लें कि पीएम नरेन्द्र मोदी और योगी के बीच चीजें दुरुस्त नहीं हैं, तब भी दोनों ही नेताओं के लिये यूपी का चुनाव उनके राजनीतिक भविष्य को देखते हुये बेहद महत्वपूर्ण है। दिल्ली की गद्दी के रास्ते में सबसे ज्यादा शेयर यूपी की सियासत के ही हिस्से आते हैं। ऐसे में पहली संभावना यह हो सकती है कि दोनों नेताओं ने अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिये फिलहाल बीच का रास्ता चुन लिया हो और दूसरी संभावना यह है कि संघ दोनों नेताओं के बीच सेतु का काम करने खुद आगे आ गया हो। मोदी और योगी दोनों ही संघ की सियासत के पाये हैं, जिनके टूटने का मतलब अंतत: संघ का ही नुकसान है। संघ अपनी मेहनत पर दो महत्वकांक्षी नेताओं के झगड़े में पानी नहीं फेरने देना चाहेगा, जबकि उसकी योजना लंबे समय तक भारत में अपनी सरकारों को बनाये रखने की है। कुल मिलाकर अगर पीएम नरेन्द्र मोदी और योगी के बीच चीजें दुरुस्त नहीं हैं, तब भी इसे फिलहाल तो संघ ने मैनेज कर लिया है।

 

प्रधानमंत्री जी का ऐलान- देश में सभी को मुफ्त टीका

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में दूसरी लहर नियंत्रित होने के करीब: मुख्यमंत्री श्री @myogiadityanath जी महाराज pic.twitter.com/TR8LnXKqva

— Yogi Adityanath Office (@myogioffice) June 8, 2021

 

योगी ही होंगे पार्टी के खेवनहार
रिपोर्ट्स की मानें तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दिल्ली में संपन्न हुई हालिया बैठक में साल 2022 में यूपी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ही लड़ने का फैसला लिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि अगले साल यूपी समेत पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चेहरा नहीं होंगे। संघ का मानना है कि क्षेत्रीय नेताओं के मुकाबले प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को सामने रखने से पीएम की छवि को नुकसान हुआ है। बिहार और बंगाल के इलेक्शन में पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने के बावजूद भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है। संघ नेताओं का मानना है कि पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में ममता बनाम मोदी की रणनीति से नुकसान हुआ। संघ का पूरा ध्यान फिलवक्त यूपी विधानसभा चुनावों पर है, जहां योगी के नेतृत्व में ही पार्टी चुनाव लड़ेगी। एक वजह यह भी है कि अभी से पार्टी के सोशल मीडिया हैंडल्स पर मोदी को किनारे कर योगी आदित्यनाथ, पार्टी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा की तस्वीरों ने ले ली है।

भीतर कुछ भी हो बाहर मोदी-योगी के बीच कोई झगड़ा नहीं
सूत्रों की मानें तो मोदी और योगी के बीच विवाद को ज्यादा हवा न मिले इसके लिये संघ ने साफ निर्देश जारी कर दिये हैं। शायद यही वजह रही कि सोमवार शाम प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्र के नाम संदेश को देखते हुए योगी की फोटो जारी की गई है। इससे पहले प्रधानमंत्री के संदेश को लेकर योगी आदित्यनाथ के सोशल मीडिया हैंडल्स से मैसेज भी किये गये थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैक्सीन मुफ्त करने के केंद्र के फैसले पर प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताकर संदेश भी दे दिया है कि 'सब चंगा सी'!

अब ऐसे में यूपी से भाजपा की विदाई का ख्वाब देख रहे कई विश्लेषकों को नये सिरे से कहानी का सार बुनना पड़ेगा और विरोधियों को इन विश्लेषकों से दूर जमीन पर लोगों का विश्वास जीतना होगा। सोशल मीडिया के सहारे ही सत्ता पर वापसी और संघ के जमीनी राजनीतिक कामों को चुनौती देने से बेहतर होगा कि विपक्षी अब जमीनी स्तर पर यूपी और अन्य राज्यों में जुट जाएं। ऐसा करने पर ही सत्ता में वापसी की संभावना ज्यादा है, बजाय कि सोशल मीडिया पर बैठकर यूपी की सत्ता पर काबिज होने के ख्वाब सजाने के.. संघ और भाजपा वैसे ही आपके दस कीमती दिन इस शिगूफे में निगल चुकी है कि योगी और मोदी के बीच सबकुछ ठीक नहीं। 

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