श्रीमन ने कह दिया 'क्या करते हो टीं..टीं..पने का काम', बाकी आईटी सेल इमेज बिल्डिंग का 'धंधा' संभाल ले!

Ho-Hallaश्रीमन ने कह दिया 'क्या करते हो टीं..टीं..पने का काम', बाकी आईटी सेल इमेज बिल्डिंग का 'धंधा' संभाल ले!

गौरव नौड़ियाल

गौरव नौड़ियाल ने लंबे समय तक कई नामी मीडिया हाउसेज के लिए काम किया है। खबरों की दुनिया में गोते लगाने के बाद फिलहाल गौरव फिल्में लिख रहे हैं। गौरव अखबार, रेडियो, टीवी और न्यूज वेबसाइट्स में काम करने का लंबा अनुभव रखते हैं।  

इस बार मैं लिखूं कि असल में क्या 'हो हल्ला' मचा हुआ है, इससे पहले मैं 'टीं...टीं...टीं' को डिस्क्राइब करना चाहूंगा... चीजें स्पष्ट हो, ये बेहद जरूरी है। तो भाईसाहब और भगिनियों... ये 'टीं...टीं...टीं..' असल में 'बीप' का ही मेरा अलग हाइब्रिड वर्जन है! चीजें दुरुस्त रखने में मेरा यकीन बहुत पुख्ता है! खासकर जब आप पावर में हों तब तो इसे दुरुस्त रखना और भी जरूरी हो जाता है। ...और ये तब 'मोर रिस्पॉन्सिबिलिटी' मांगता है, व्हेन यू आर अ 'माननीय'!

वो क्या है कि बचपन से ही मुझे अचानक लोगों के 'माननीय' बन जाने और बाकी नागरिकों पर नए-नए बने 'माननीय' के प्रति श्रद्धाभाव पैदा करने का दबाव नहीं देखा जाता है! अचानक से कोई भी माननीय हो जाता है और ऐसे ऐंठने लगता है कि बाकी के नागरिक स्वत: दोयम दर्जे की श्रेणी में घिसटते जीव नजर आने लगते हैं! खासकर जब बतौर पेशेवर मैं किसी पत्रकार को किसी माननीय द्वारा गरियाते हुए सुनता-देखता हूं तो मुझे कोफ्त होती है। उस पत्रकार पर भी और उस 'माननीय' पर भी, जिसका अपनी जुबान पर ही नियंत्रण नहीं है। ये कोफ्त तब और बढ़ गई जब अमर्यादित भाषा 'योगी' से सीएम बने आदित्यनाथ के एक वायरल वीडियो के जरिए मेरे सामने आई। मुझे पर्सनली बहुत तकलीफ है... मुझे इस भाषा से आपत्ति है, मुझे उस ढोंग से आपत्ति है जो सत्ता के लिए अख्तियार किया गया।

खैर, ये ​मेरी निजी खुन्नस है! मेरी चेतना है, जो मुझे प्रतिरोध करवाती है। यहां हम, मार्केट में मची हुई 'भसड़' का लेखा-जोखा लाते हैं। ... और जो ये नया हो-हल्ला बाजार में मचा हुआ है, वो असल में योगी के ताजातरीन 'अनचाही' फुटेज के टीवी पर लाइव चलने की वजह से उपजा है। असल में यूपी के सीएम योगी जो संस्कृति और धर्म को बचाने के लिए मुंह से गुब्बारे फोड़ रहे हैं, उन्होंने हमारी देशज सांस्कृतिक विरासत का प्रस्फुटन उस वक्त कर दिया, जब सामने कैमरा उनकी उपलब्धि को रिकॉर्ड करने के लिए निरंतर डेटा निगल रहा था और रिपोर्टर इस 'प्रसाद' को जनता को बांटने के लिए इसे पहले स्वयं ग्रहण कर रहा था।

अब हुआ यूं कि अचानक कुछ तकनीकी दिक्कत हो गई और एएनआई का जो रिपोर्टर अपना काम करते-करते बीच में अटक गया, उसने 'एक्सक्यूज' मांग लिया! बस कहानी यहीं खराब हो गई... मीडिया ने घुटने टेकते हुए खुद के लिए यह स्थिति उत्पन्न कर दी है कि अब 'एक्सक्यूज' के बदले 'गाली' मिलने लगी है! 'गाली' हालांकि जनता के लिए प्रसारित होने वाले 'प्रसाद' ग्रहण के लिए काम में जुटे पत्रकार को मिली, लेकिन न जाने कैसे सर्विलांस से बच-बचाकर लाइव के जोश में ये 'गाली रूपी प्रसाद' जनता के बीच भी बंट गया और हो गया '**यापने का काम'!

एबीपी गंगा ने आनन-फानन में प्रसारण रोक दिया और एंकर चिल्लाने लगे कि 'अपनी बात पूरी कीजिए..'! अब ऐसे में कैसे कोई अपनी बात पूरी करे भाई! हैं... ये भी भला कोई उद्बोधन है! वो भी माननीय के मुंह से 'पत्रकार साहब' के लिए... वो भी भला कोई '**यापने' का काम कर सकते हैं? एक बाइट के दौरान तकनीकी खामी आने पर क्या कोई सीएम किसी पत्रकार के प्रति ऐसे शब्दों का उपयोग कर सकता है? असल में ये एएनआई की करतूतों का प्रसाद है, जिसकी कीमत उसके पत्रकार चुका रहे हैं। एएनआई पर सरकार परस्त होने के आरोप पिछले दिनों में लगातार लगते आए हैं। एएनआई के काम को करीब से देखने पर इन आरोपों की पुष्टि भी हो जाती है, ऐसे में किस हैसियत से भला पत्रकार अपशब्दों का विरोध करता!

इस घटना के बाद पत्रकार ने योगी से उनकी भाषा को लेकर आपत्ति जाहिर की होगी, ऐसा भी कहीं उल्लेख नित लिखे जा रहे 'आधुनिक पुराणों' में भी नजर नहीं आता। श्रीमन उवाच् कर चुके थे और ये उवाच् जनता ने सुन लिया था, ऐसे में इस 'प्रसाद' का खंडन करने की जिम्मेदारी आई आईटी सेल के कंधों पर... बस फिर सारा खेल यहां से नए सिरे से शुरू हो गया और ऐसी-ऐसी जिरह पैदा की जाने की कोशिशें की गई कि 'न.. योगी आदित्यनाथ के मुखारबिंद से तो ऐसे शब्द निकल ही नहीं सकते!' 

खुद योगी आदित्यनाथ के मीडिया एडवाइजर शलभमणि त्रिपाठी ने एक अनाम यूजर के ट्वीट को रीट्वीट कर इस दाग को साफ करने की कोशिशें की, लेकिन जनता तक सच इससे काफी पहले पहुंच चुका था। योगी की टीम लगातार इस बात का प्रचार करती रही कि जो वीडियो सामने आया है, उसे एडिट किया गया है! वाह... कमाल का तर्क है पर भारत में जासूस कोई कम हैं क्या जो इसकी पुष्टि नहीं होती। जवाब आया नहीं ये वीडियो सही है और इसमें बोले गए शब्द उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के ही हैं। बात सिर्फ शब्दों की ही नहीं है ये उस मानसिकता का परिचायक है, जो हर किसी को हवा में उड़ा देने का गुरूर पाले सत्ता पर फिलवक्त आसीन है।   

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