कोरोना से न डरो, बस धपा-धप ट्वीट करो..! 

Hafta Bol!कोरोना से न डरो, बस धपा-धप ट्वीट करो..! 

उमेश तिवारी 'विश्वास'

उमेश तिवारी व्यंग्यकार, रंगकर्मी और मान्यताप्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं। अपनी शर्तों पर जीने के ख़तरे उठाते हुए उन्होंने रंगकर्म, पत्रकारिता, लेखन, अध्यापन, राजनीति से होकर गुज़रती ज़िंदगी के रोमांच को जिया है। रंगकर्म के लेखे-जोखे पर 2019 में 'थिएटर इन नैनीताल' नाम से किताब छप चुकी है।

उनकी टैस्ट रिपोर्ट अभी-अभी पॉजिटिव आयी है। ये एन्टीजन टैस्ट बताया जा रहा है। वो हमेशा ही एन्टी जन रहे हैं, रिपोर्ट तो पॉजिटिव आनी ही थी। इस पर उन्होंने इतरा कर ट्वीट किया है कि वो 'पॉजिटिव हो गए हैं। जो लोग हाल में उनके संपर्क में आये वो अपनी जांच करवा लें।'

संपर्क शब्द का प्रयोग अवश्य ही उन्होंने उसकी व्यापकता में किया होगा यानी नभ-जल-थल सहित। अंग-प्रत्यंग सब शामिल, जिन्होंने कान में कहा, हाथ में भिड़ाया, माथे पर घस्काया या पांव में छुआया उनके समेत। ये नेताजी की भलमनसाहत का सबूत है, तब्लीगी जमात वालों ने तो यह ध्यान नहीं रखा था। आपको याद ही होगा।

वह ख़ुद की चिंता छोड़ दूसरों के लिए चिंतित लग रहे हैं। सलाह से उपकृत होने के बाद जनता के लिए अपना कोविड टैस्ट, उसकी रिपोर्ट, एम्बुलेंस, कोविड वार्ड, डॉक्टर-नर्स का इंतजाम करना आसान थोड़े है। सरकार ही है जो इतनी शानदार व्यवस्था बनाती है कि इधर ईवीएम बटन दबाया और टीं आवाज़ के साथ गिर गया बहुमूल्य वोट। हो गया इलाज। और झड़ी लगा दी ट्वीटों की।

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एक टैम था जब पत्रकार ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए भाग-दौड़ करते थे। स्कूटर में तेल डाल-डाल कर बीमार के पास आते थे। मंत्रीजी की ज़ुकाम-बुखार वाली छवि जब समाचार पत्रों में छपती थी तो उनको हमेशा मोटा-ताज़ा देखने वाली जनता को धीरज बंधता था कि कोई तो है जो उनको कमज़ोर कर सकता है। ट्विटर ने उनसे सैडिस्टिक आनंद की घड़ी भी छीन ली है।

माननीय ने ट्वीट में बताया है कि 'स्वयं उनमें कोरोना के कोई लक्षण हैं, न कोई परेशानी हो रही है।' आप पूछेंगे तो टैस्ट क्यों करवाया भला ? ..भइये घरवाले ज़रा सी छींक-खांसी पर सरकारी डॉक्टर को पैदल दौड़ा देते हैं, ये तो कोरोना है! ऊपर से माननीय को हर जांच की तरह कोविड जांच भी फ्री है। वो चाहें तो रोज़ाना करवा लें। एक छींटा रक्त का तक नहीं देना पड़ता। अब कुछ दिन घर से ही काम करेंगे। मतलब नहाने-धोने से भी छुट्टी। बस श्रीमती, साली, सलाहकार और संतरी की कोरोना जांच करवानी है। सरकारी बंगले में सबको अलग-अलग कमरा देना है, जहां उनका बार-बार टैस्ट होगा, तब तक जब तक नेगेटिव नहीं आ जाता। तत्पश्चात वो जनता की चिंतायें मिटाते हुए, ख़ुशियों भरे चार-पांच ट्वीट करेंगे।

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हर वॉरिेयर सदस्य के लिए अलग-अलग या सबके लिये साथ, तीन दिन छोड़कर कि सारे बच गए। अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का अधिकार भी माननीय के पास ही है। वो जब चाहें जिसको या सबको बताएं। ठहर कर बताएं, न बताएं। जिस मासूमियत के साथ अपने पॉजिटिव होने की घोषणा रात सवा नौ पर की, उनसे मिलकर गए नेता विपक्ष की तो निश्चित ही नींद हराम हो गई होगी जो भ्रष्टाचार पर डील करने आये थे। उम्मीद करिए शीघ्र ही ट्वीटों की दुनियां में उनका ट्वीट भी हलचल मचाएगा।

मैंने पाया है कि जो ट्वीट नहीं करते उनके लिए कोरोना बहुत घातक है। मेरे देखते-देखते कई नॉन-ट्वीटकारी कोरोना से युद्ध में खेत रहे। उनके मुक़ाबले आप देख लें ट्वीट पेलू देर-सबेर चंगे होकर घर वापस आ ही गये। जो चल बसे मैंने उनका एक भी ट्वीट आजतक नहीं देखा। हां, उनके असमय निधन की सूचना ज़रूर ट्विटर पर मिल रही है। मैं तो कहूंगा हम सबको कोई ट्वीट अवश्य कर देना चाहिए। इतनी झाड़-फूंक, पूजा-पाठ आदि करते हैं, ट्वीट भी करके देखना चाहिए।

नया वायरस है, ट्वीट भी नए जमाने की बीमारी है, कौन जाने 'विषस्य विषमौषधम' वाला फंडा लागू हो रहा हो!

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